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जमीन पर सोना क्यों बना रहा है लोगों को पहले से ज़्यादा फिट? वजह जानकर चौंक जाएंगे!

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भारतीय संस्कृति में जमीन पर सोने की परंपरा सदियों पुरानी है। यह न केवल एक साधारण जीवनशैली का हिस्सा थी, बल्कि इसके पीछे गहरे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण भी छिपे थे। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जब लोग लग्जरी गद्दों और बेड की ओर आकर्षित हो रहे हैं, विशेषज्ञ फिर से जमीन पर सोने की सलाह दे रहे हैं। यह प्रथा न केवल आपके शरीर को स्वस्थ रखती है, बल्कि मानसिक शांति और पर्यावरण से गहरा जुड़ाव भी प्रदान करती है। आइए, इस प्राचीन कला के फायदों को आधुनिक नजरिए से समझते हैं।

शरीर के लिए प्रकृति का उपहार

जमीन पर सोना आपके शरीर की प्राकृतिक मुद्रा को बनाए रखने में मदद करता है। जब आप कठोर सतह पर लेटते हैं, तो आपकी रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहती है, जो पीठ और कमर के दर्द को कम करने में सहायक है। आधुनिक गद्दे कई बार इतने नरम होते हैं कि वे रीढ़ को गलत दिशा में मोड़ देते हैं, जिससे सुबह उठने पर थकान और दर्द महसूस होता है। इसके विपरीत, जमीन पर सोने से मांसपेशियां और जोड़ पूरी तरह से आराम की स्थिति में रहते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से जमीन पर सोते हैं, उन्हें पुराने दर्द और अनिद्रा की शिकायत कम होती है।

पृथ्वी से ऊर्जा का संचार

क्या आपने कभी सुना है कि पृथ्वी के संपर्क में रहने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है? इसे वैज्ञानिक भाषा में "अर्थिंग" या "ग्राउंडिंग" कहते हैं। जब आप जमीन पर सोते हैं, तो आपका शरीर सीधे पृथ्वी की सतह के संपर्क में आता है, जिससे नकारात्मक चार्ज कम होता है और तनाव से राहत मिलती है। यह प्रक्रिया सूजन को कम करने, रक्त संचार को बेहतर बनाने और नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करती है। कई लोग जो इस तरीके को आजमाते हैं, वे सुबह तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ

जमीन पर सोना केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है। यह आपके मन को शांत करने और तनाव को कम करने में भी मदद करता है। हमारी भागदौड़ भरी जिंदगी में, हम अक्सर प्रकृति से कट जाते हैं। जमीन पर सोने से हम प्रकृति के करीब आते हैं, जिससे मन में शांति और स्थिरता का अनुभव होता है। योग और ध्यान के विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रथा चक्रों को संतुलित करने और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाने में भी सहायक है।

पर्यावरण के लिए एक कदम

आधुनिक बेड और गद्दों के निर्माण में कई रसायनों और संसाधनों का उपयोग होता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके विपरीत, जमीन पर सोना पूरी तरह से पर्यावरण-अनुकूल है। यह न केवल आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, बल्कि आपके कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करता है। एक साधारण चटाई या प्राकृतिक रेशों से बनी बिछावन पर्याप्त है, जो किफायती और टिकाऊ भी है।

कैसे शुरू करें?

यदि आप पहली बार जमीन पर सोने की सोच रहे हैं, तो इसे धीरे-धीरे शुरू करें। शुरुआत में एक पतली चटाई या कंबल का उपयोग करें, ताकि आपका शरीर इस बदलाव के लिए तैयार हो सके। सुनिश्चित करें कि सोने की जगह साफ और समतल हो। रात को सोने से पहले हल्का योग या स्ट्रेचिंग करें, ताकि मांसपेशियां ढीली हो जाएं। धीरे-धीरे, आप इस प्रथा के आदी हो जाएंगे और इसके लाभों को महसूस करेंगे।

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