उत्तर प्रदेश के नगीना लोकसभा क्षेत्र से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार कारण बेहद विवादास्पद है। पीएचडी स्कॉलर डॉ. रोहिणी घावरी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों ने न केवल उनकी छवि पर सवाल उठाए हैं, बल्कि उनकी संसद सदस्यता को भी खतरे में डाल दिया है। राष्ट्रीय महिला आयोग में दर्ज शिकायत के बाद अब उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने भी इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। क्या है यह पूरा विवाद और इसके क्या हो सकते हैं परिणाम? आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं।
आरोपों का सिलसिला और महिला आयोग का रुखनगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद पर डॉ. रोहिणी घावरी ने गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज की गई। इस शिकायत ने उत्तर प्रदेश महिला आयोग को भी हरकत में ला दिया। आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चंद्रशेखर की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की मांग उठाई है। मीनाक्षी ने बताया कि उन्होंने नगीना क्षेत्र की कई महिलाओं से बातचीत की, जिन्होंने सांसद के व्यवहार और चरित्र पर सवाल उठाए। इस आधार पर आयोग ने राष्ट्रीय महिला आयोग को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें चंद्रशेखर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
सोशल मीडिया और वायरल वीडियो का कोणमीनाक्षी भराला ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में खुलासा किया कि उन्होंने चंद्रशेखर के कुछ सोशल मीडिया वीडियो देखे, जिनमें वे भावुक अंदाज में दिखाई दिए और हार्ट शेप बनाते नजर आए। इन वीडियो को देखकर मीनाक्षी ने उनके व्यक्तित्व पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “ऐसे वीडियो बनाने और वायरल करने वाले व्यक्ति का चरित्र कैसा हो सकता है? जब एक महिला ने उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए, तो वे इनसे बचते नजर आए, जो उनके खिलाफ संदेह को और गहरा करता है।” मीनाक्षी ने यह भी दावा किया कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं, जो इन आरोपों को मजबूती प्रदान करते हैं।
महिलाओं के प्रति सोच पर सवालमहिला आयोग की सदस्य ने चंद्रशेखर आजाद के व्यवहार को महिलाओं के प्रति असम्मानजनक और गलत मानसिकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “ऐसे लोग, जो सम्मानित पद पर बैठकर भी महिलाओं के प्रति गलत सोच रखते हैं, उन्हें संसद में बैठने का कोई हक नहीं।” मीनाक्षी ने नगीना की स्थानीय महिलाओं से बातचीत के आधार पर यह भी बताया कि क्षेत्र की कई महिलाओं ने चंद्रशेखर के स्वभाव को अनुचित ठहराया। इस कारण आयोग ने उनकी सदस्यता रद्द करने और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग को और बल दिया है।
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