Medicine Price Drop : सरकार के बनाए एक विशेषज्ञ पैनल ने देश के लिए बड़ी राहत वाली सिफारिश पेश की है। इस पैनल ने लगभग 200 ज़रूरी दवाओं और उनकी सामग्री (Active Pharmaceutical Ingredients - API) पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने की सलाह दी है।
अगर यह सुझाव लागू होता है, तो इससे दवाओं की कीमतों में गिरावट आएगी और इलाज सस्ता होगा।
क्यों जरूरी है यह कदम?
भारत में स्वास्थ्य सेवा को सस्ता और प्रभावी बनाना सरकार की प्राथमिकता में है। देश में कई ज़रूरी दवाओं के लिए कच्चा माल चीन जैसे अन्य देशों से मंगवाना पड़ता है।
इस कच्चे माल पर जो इंपोर्ट ड्यूटी लगती है, वह दवाओं की कुल कीमत को बढ़ा देती है। इस वजह से इलाज महंगा हो जाता है, जो सीधे तौर पर मरीजों पर भारी पड़ता है।
मरीजों को कैसे मिलेगा फायदा?
पैनल का मानना है कि इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती से दवा कंपनियों को सस्ते में सामग्री मिलेगी। इससे उनकी उत्पादन लागत घटेगी और वह सस्ते दामों पर दवाइयां बाजार में ला सकेंगे।
खासतौर पर कैंसर, टीबी, डायबिटीज़ और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों की दवाइयों की कीमतों में कमी आएगी।
कौन-कौन सी दवाएं शामिल हैं सूची में?
इस सिफारिश के तहत दो श्रेणियों में दवाओं को रखा गया है। पहली श्रेणी में 74 दवाएं हैं, जिन पर 5% कस्टम ड्यूटी लगती है। दूसरी श्रेणी में 69 दवाओं को पूरी तरह से ड्यूटी से मुक्त करने की बात कही गई है।
इसके अलावा, दुर्लभ बीमारियों जैसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, गौचर डिजीज, फैब्री डिजीज, और वंशानुगत एंजाइम की कमी से जुड़ी 56 दवाओं को भी कस्टम ड्यूटी से छूट देने की सिफारिश की गई है। इन दवाओं की कीमत बहुत अधिक होती है, कुछ के एक कोर्स की कीमत करोड़ों में होती है।
भविष्य में स्वास्थ्य व्यवस्था पर असर
सरकार की मंजूरी मिलने के बाद यह कदम लाखों मरीजों के लिए राहत लेकर आएगा। इससे न केवल मरीजों को सस्ती दवाइयां मिलेंगी, बल्कि भारत का हेल्थकेयर सिस्टम भी मजबूत होगा।
देश में दवा निर्माण उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
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