Next Story
Newszop

Hepatitis D : जानिए क्यों WHO ने हेपेटाइटिस D को बताया कैंसर का बड़ा खतरा, और क्या है इसका इलाज?

Send Push

Hepatitis D : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और उसकी कैंसर अनुसंधान शाखा IARC ने हाल ही में हेपेटाइटिस डी (HDV) को कैंसरकारी घोषित किया है। यह एक खतरनाक और कम चर्चित वायरल हेपेटाइटिस है, जो लीवर को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। WHO का यह कदम स्क्रीनिंग बढ़ाने और नए इलाज तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। आइए, इस बीमारी और इसके खतरों को विस्तार से समझते हैं।

हेपेटाइटिस क्या है और क्यों है खतरनाक?

हेपेटाइटिस पांच वायरस – A, B, C, D और E – के कारण होने वाली बीमारी है, जो लीवर में सूजन पैदा करती है। इनमें से हेपेटाइटिस B, C और D लंबे समय तक रहने वाली (क्रॉनिक) बीमारियां पैदा कर सकते हैं। ये बीमारियां लीवर सिरोसिस, लीवर फेलियर और यहां तक कि लीवर कैंसर का कारण बन सकती हैं। WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा, “हर 30 सेकंड में हेपेटाइटिस से जुड़ी गंभीर लीवर बीमारी या कैंसर से किसी की मौत हो रही है। फिर भी, हमारे पास इस बीमारी को रोकने के लिए जरूरी उपकरण मौजूद हैं।”

हेपेटाइटिस डी: एक खतरनाक जोड़ी

हेपेटाइटिस डी (HDV) उन लोगों को प्रभावित करता है, जो पहले से ही हेपेटाइटिस B से संक्रमित हैं। IARC के अनुसार, हेपेटाइटिस B के साथ HDV होने पर लीवर कैंसर का खतरा 2 से 6 गुना तक बढ़ जाता है। यह वायरस दुनिया भर में करीब 4.8 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है और हेपेटाइटिस B के साथ मिलकर यह 20% तक मृत्यु दर के साथ सबसे घातक है। यह खासतौर पर अफ्रीका, एशिया, अमेजन बेसिन और भारत जैसे निम्न और मध्यम आय वाले क्षेत्रों में ज्यादा पाया जाता है। शोध बताते हैं कि हेपेटाइटिस B से पीड़ित 8-37% लोग HDV से भी संक्रमित हो सकते हैं, जो क्षेत्र के हिसाब से बदलता है।

भारत में हेपेटाइटिस का बढ़ता बोझ

WHO की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में वैश्विक हेपेटाइटिस बोझ का 11.6% हिस्सा था। देश में कुल 3.5 करोड़ से ज्यादा हेपेटाइटिस के मामले दर्ज किए गए, जिनमें 2.98 करोड़ मामले हेपेटाइटिस B के थे। भारत में इस बीमारी का प्रसार चिंता का विषय है, और HDV के नए वर्गीकरण ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

नए इलाज और WHO की रणनीति

WHO ने 2024 में हेपेटाइटिस B और D के लिए टेस्टिंग और डायग्नोसिस पर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। डॉ. मेग डोहर्टी, WHO में साइंस फॉर हेल्थ की आने वाली निदेशक, ने बताया कि संगठन HDV के लिए नए इलाजों के नैदानिक परिणामों पर नजर रख रहा है। मौखिक दवाएं हेपेटाइटिस B को लंबे समय तक दबा सकती हैं, जबकि हेपेटाइटिस C का इलाज 2-3 महीनों में संभव है। हालांकि, हेपेटाइटिस D के लिए इलाज के विकल्प अभी बदल रहे हैं। WHO का कहना है कि टेस्टिंग, इलाज, हानि कम करने और टीकाकरण जैसी सेवाओं को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में शामिल करने से लीवर सिरोसिस और कैंसर से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।

आगे की राह

हेपेटाइटिस डी को कैंसरकारी घोषित करना एक बड़ा कदम है, जो इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसके इलाज को प्राथमिकता देने की जरूरत को दर्शाता है। भारत जैसे देशों में, जहां हेपेटाइटिस का बोझ पहले से ही भारी है, स्क्रीनिंग और नए इलाजों तक पहुंच बढ़ाना बेहद जरूरी है। अगर समय रहते कदम उठाए गए, तो लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।

Loving Newspoint? Download the app now