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जींस-टॉप पहनकर भीख मांग रहीं थीं 9 युवतियां, असली कहानी सुन पुलिस भी रह गई हैरान!

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आंवला की सड़कों पर हाल ही में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जहां जींस और टॉप पहने नौ युवतियां राहगीरों से मदद की गुहार लगा रही थीं। ये युवतियां गुजरात के अहमदाबाद से आई थीं और अपनी पारिवारिक परेशानियों का हवाला देकर लोगों से 100-200 रुपये की मांग कर रही थीं। लेकिन इस कहानी में एक ट्विस्ट था—पुलिस ने इन्हें हिरासत में लेकर शांतिभंग के आरोप में चालान कर दिया। आइए, इस घटना के पीछे की पूरी कहानी को समझते हैं और जानते हैं कि आंवला की सड़कों पर क्या हुआ।

सड़क पर भावनात्मक अपील का खेल

शुक्रवार की दोपहर, आंवला-बदायूं रोड पर एक मेडिकल कॉलेज के पास कुछ युवतियां राहगीरों को रोक रही थीं। जींस और टॉप में सजी-धजी ये युवतियां अपनी कहानियां सुनाकर लोगों का ध्यान खींच रही थीं। कोई घर की आर्थिक तंगी की बात कर रही थी, तो कोई बीमारी का हवाला दे रही थी। कई लोग उनकी बातों में आकर मदद के लिए रुपये दे रहे थे। लेकिन कुछ सतर्क नागरिकों को इनकी हरकतों पर शक हुआ। उन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस को सूचना दी।

पुलिस मौके पर पहुंची और युवतियों से पूछताछ शुरू की। पूछताछ में पता चला कि ये सभी युवतियां गुजरात के अहमदाबाद जिले के बटवा थाना क्षेत्र की रहने वाली हैं। इनके नाम हैं—उर्मी (28), नीतू (25), कुसुम (25), अंजलि (21), सुनीता (26), रीना (20), मनीषा (20), पूनम (25) और टीना (26)। पुलिस ने इन्हें थाने ले जाकर शांतिभंग के आरोप में कार्रवाई की और बाद में एसडीएम कोर्ट से दो-दो लाख रुपये के मुचलके पर छोड़ दिया गया।

क्या यह एक संगठित गिरोह का हिस्सा है?

आंवला के स्थानीय लोगों में चर्चा जोरों पर है कि ये युवतियां किसी बड़े संगठित गिरोह का हिस्सा हो सकती हैं। कस्बे में यह बात भी फैल रही है कि इस गिरोह के अन्य सदस्य आसपास के इलाकों में भी इसी तरह की गतिविधियां कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि रुपये न देने पर ये युवतियां राहगीरों पर गंभीर आरोप भी लगा सकती हैं। इस स्थिति को देखते हुए पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। कोतवाल कुंवर बहादुर सिंह ने कहा, “हमने इन युवतियों को शांतिभंग में चालान किया है। लोगों से अनुरोध है कि ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।”

लोगों की सतर्कता और पुलिस की तत्परता

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सतर्कता कितनी जरूरी है। आंवला के लोगों ने समय रहते पुलिस को सूचित कर एक संभावित खतरे को टाल दिया। पुलिस ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रित किया। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि भावनात्मक कहानियों के पीछे छिपे इरादों को समझना जरूरी है। खासकर अनजान लोगों से मदद मांगने वालों के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए।

समाज के लिए सबक

आंवला की इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या ये युवतियां वाकई में परेशानी में थीं, या यह एक सुनियोजित योजना थी? क्या समाज में बढ़ती आर्थिक तंगी लोगों को ऐसे रास्तों पर ले जा रही है? पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि को देखकर तुरंत नजदीकी थाने में संपर्क करें। साथ ही, यह भी जरूरी है कि हम अपने आसपास के लोगों की मदद करें, लेकिन सावधानी के साथ।

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