-अच्युतानंदन का भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन में अतुलनीय योगदान
-केरल के मुख्यमंत्री बनने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे
-22 से 24 जुलाई तक राजकीय शोक की घोषणा
तिरुवनंतपुरम, 21 जुलाई, (Udaipur Kiran) । केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का 101 वर्ष की उम्र में निधन हुआ। वे 23 जून को हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में भर्ती थे। अच्युतानंदन के निधन की खबर से राज्य और देश भर में शोक की लहर दौड़ गई, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। राज्य सरकार ने उनके निधन से बाद 22 से 24 जुलाई तक, तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता वेलिक्काकाथु शंकरन अच्युतानंदन (वीएस अच्युतानंदन ) का 101 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। तिरुवनंतपुरम के एसयूटी अस्पताल में सोमवार दोपहर 3.20 बजे उन्होंने अंतिम सांसें ली। उन्हें कार्डियक अरेस्ट के बाद 23 जून को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अच्युतानंदन का रक्तचाप कम होने के बाद सोमवार दोपहर मेडिकल बोर्ड ने एक बैठक बुलाई। बाद में, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल, माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन, स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज, मुख्य सचिव और पार्टी के अन्य नेता अस्पताल पहुंचे थे।
वयोवृद्ध नेता के निधन पर राजनीतिक जगत से श्रद्धांजलि का सैलाब उमड़ पड़ा। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अच्युतानंदन को केरल की राजनीति में एक ऊंचा व्यक्तित्व बताया, जबकि सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने उनकी अटल प्रतिबद्धता की प्रशंसा की। देश इस वयोवृद्ध नेता के निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है, उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रेरित करती रहेगी।
अच्युतानंदन का भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन में योगदान अतुलनीय है। वह पार्टी के शुरुआती दिनों में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे और इसके विकास और विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह एक प्रख्यात लेखक भी थे। उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र और सामाजिक मुद्दों पर कई पुस्तकें लिखीं। उनकी आत्मकथा मरिक्कथा एझुथुकल (न बुझने वाले लेखन) मलयालम साहित्य में एक उत्कृष्ट कृति मानी जाती है।
अच्युतानंदन आठ दशक लंबे करियर में बड़े जननायक और वामदलों के सबसे मुखर वक्ता के तौर पर रहे। अपने राजनीतिक जीवन में कुल 10 चुनाव लड़े, जिनमें से 7 बार जीत हासिल की। उनका पहला चुनाव अलप्पुझा जिले के अंबालापुझा से था, जिसमें वे हार गए थे। राज्य विधानसभा में तीन बार विपक्ष के नेता रहे वीएस ने सीपीआई (एम) के राज्य सचिव के रूप में कार्य किया था। वह 2021 तक विधानसभा के सदस्य रहे। उन्हें 18 मई 2006 को मुख्यमंत्री चुना गया और वह 14 मई 2011 तक इस पद पर रहे। 82 वर्ष की आयु में, वह केरल के मुख्यमंत्री बनने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे। वह सबसे लंबे समय तक विपक्ष के नेता भी रहे।
एक राजनेता के रूप में वीएस की लोकप्रियता बेजोड़ थी। 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले, सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने उन्हें स्टार प्रचारक के रूप में चुना था। उस समय 93 वर्षीय वीएस ने अच्छा प्रदर्शन किया और पिनाराई विजयन पहली बार मुख्यमंत्री बने। विजयन मंत्रिमंडल ने उन्हें राज्य प्रशासनिक सुधार आयोग का अध्यक्ष बनाया, जो कि एक मानद पद था, और वे 2021 तक इस पद पर रहे।
वीएस ने ट्रेड यूनियन गतिविधियों के माध्यम से राजनीति में पदार्पण किया। वे 1938 में राज्य कांग्रेस में शामिल हुए और 1940 में सीपीआई के सदस्य बने, जिसने राजनीति में उनके लंबे और घटनापूर्ण जीवन को चिह्नित किया। भारत और विशेष रूप से केरल के राजनीतिक परिदृश्य में उथल-पुथल भरे दौर के दौरान, वीएस को पांच साल और छह महीने की जेल हुई। उन्होंने साढ़े चार साल छिपकर भी बिताए। वे 1957 में भाकपा के राज्य सचिवालय सदस्य बने, उसी वर्ष जब केरल में ईएमएस नंबूदरीपाद के नेतृत्व में भारत की पहली निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार बनी।
वीएस अच्युतानंदन का जन्म 20 अक्टूबर 1923 को अलपुझा के एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया। वो एक दर्जी की दुकान और फिर कारखाने में काम करने लगे। फिर वामपंथी आंदोलन के दौरान उससे जुड़ गए। अच्युतानंदन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उन 32 नेताओं में से एक थे, जिन्होंने 1964 में अलग राह अपनाकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी।————–
(Udaipur Kiran) / उदय कुमार सिंह
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