मूल्यांकन में काट ली जाती है राशि, शिकायत के बाद भी नहीं होती सुनवाई
अनूपपुर, 21 जून (Udaipur Kiran) । ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने के लिए संचालित मनरेगा योजना से ग्रामीणों को रोजगार तो मिल रहा है लेकिन टास्क दर तथा मूल्यांकन के कारण कभी भी मजदूरों को पूरी मजदूरी की राशि नहीं मिल पाती है। निजी कार्य में जहां मजदूरों को प्रतिदिन 300 रुपए मजदूरी प्राप्त होती है, वहीं शासकीय कार्य में अधिकतम 220 रुपए ही मजदूरी के रूप में मिलते हैं। निर्धारित मजदूरी 261 रुपए भी नहीं मिल पाती है। मूल्यांकन में राशि काट ली जाती है। कभी भी पूरी मजदूरी नहीं बनाई जाती है, इसलिए मजदूरों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश के अनूपुर जिले में देखने में आ रहा है कि यहां कुल एक लाख 59 हजार जॉब कार्ड धारक हैं। वर्तमान में एक लाख 25 हजार जॉब कार्ड सक्रिय हैं, जिसमे 2 लाख 15 हजार मजदूर कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक परिवार को मनरेगा के माध्यम से 100 दिन का रोजगार दिए जाने का प्रावधान है। मनरेगा में बीते 3 वर्षों में मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी राशि में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। हर वर्ष लगभग 20 रुपए की राशि शासन से बढ़ाई जा रही है। वर्ष 2023 में मनरेगा में मजदूरी की राशि 221 रुपए थी, 2024 में 243 हुई जबकि 2025 में 261 रुपए मजदूरी की अधिकतम राशि निर्धारित की गई है। इसमें से मजदूरों को सिर्फ 220 रुपए ही अधिकतम मजदूरी के रूप में प्राप्त हो पाता है।
बीते वर्ष 17 मजदूरों को महाराष्ट्र से कराया गया था मुक्त
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार तथा मजदूरी राशि पर्याप्त न मिलने के कारण ग्रामीण महानगरों की ओर पलायन करते हैं। बीते वर्ष पुष्पराजगढ़ विकासखंड के ग्राम बहपुर के 17 मजदूर महाराष्ट्र मजदूरी करने गए थे जहां कार्य कराने वाले कंपनी ने उन्हें बंधुआ मजदूर के रूप में बंधक बना लिया था। ग्रामीण लोकनाथ ने पुलिस में पिता सहित 16 अन्य लोगों को महाराष्ट्र में बंधक बना लिए जाने की शिकायत की थी। इसके बाद अमरकंटक पुलिस ने महाराष्ट्र से सभी 17 मजदूरों को मुक्त कराते हुए वापस लाया था।
कम मिलती मजदूरी
ग्रामीण दादू प्रसाद चंद्रवंशी ने बताया कि मनरेगा में काफी कम मजदूरी मिलती है। परिवार चलाना मुश्किल होता है। इस संबंध में जब ग्राम पंचायत सचिव और सरपंच से शिकायत की जाती है उनका कहना होता है कि उपयंत्री के मूल्यांकन के आधार पर मजदूरी मिलती है। यह हमारे हाथ में नहीं। जब गांव में मजदूरी पूरी नहीं होती तो हमे पलायन के लिए मजबूर होना पढ़ता हैं।
नहीं होता गुजारा
मनरेगा में मजदूरी का कार्य करने वाले समय लाल निवासी भेजरी ने बताया कि मजदूरी राशि कम है जिसके कारण लोगों का गुजारा इतने में नहीं हो पाता है। जिसके पास जमीन और कृषि कार्य है उसका तो गुजारा हो जाएगा लेकिन जो भूमिहीन है उसे गुजारे के लिए महानगर की ओर जाना पड़ता है।
पूरी मजदूरी नहीं मिलती
रामकुमार चंद्रवंशी ने बताया कि शासन ने जो राशि निर्धारित की गई है उतनी मजदूरी भी कभी भी नहीं मिलती है। यदि मजदूर किसी व्यक्ति के यहां मजदूरी का कार्य करता है तो उसे तत्काल 300 प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी राशि दी जाती है लेकिन मनरेगा में 200 से 220 तक मजदूरी राशि मिलती है।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
You may also like
चिकित्सा संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर हुआ योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित
हजारों योग साधकों ने सामूहिक योगाभ्यास कर दिया आरोग्यता और वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश
मुख्यमंत्री ने चिरांग में पूर्वोत्तर की पहली पूर्णतः आधुनिक जेल का किया उद्घाटन
बेतिया में हुआ भव्य योग सह मतदाता जागरूकता कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर
SBI CBO Jobs: एसबीआई की इस भर्ती के लिए फिर से शुरू हुई आवेदन प्रक्रिया, अब इस दिन तक अप्लाई करने का है मौका