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श्रीकृष्ण की रासलीला और रूक्मिणी हरण की कथा सुन श्रद्धालु भावविभोर

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मीरजापुर, 22 जून (Udaipur Kiran) । जमालपुर क्षेत्र के मदरां गांव स्थित शांति निकेतन आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन रविवार को कथा व्यास पं. कृष्णा नंद महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला और रुक्मिणी हरण की मार्मिक कथा का विस्तार से वर्णन किया। कथा श्रवण कर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।

कथा व्यास ने बताया कि वृंदावन की रासलीला भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच प्रेम, भक्ति और आनंद का दिव्य नृत्य है। श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन सुनकर गोपियां उनकी ओर आकर्षित होती हैं और भगवान उनके साथ नृत्य करते हैं। यह लीला मोक्ष का मार्ग दिखाने वाली मानी जाती है, जो प्रतिदिन निधिवन में होती है।

रूक्मिणी हरण की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि यह एक साहसिक प्रेमगाथा है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने सामाजिक बंधनों को तोड़ते हुए रूक्मिणी को पत्नी रूप में स्वीकार किया। रूक्मिणी के आग्रह पर श्रीकृष्ण विदर्भ पहुंचे और उसका अपहरण कर विवाह रचाया। रूक्मिणी के भाई रूक्मी सहित अनेक राजाओं ने श्रीकृष्ण का विरोध किया, लेकिन सभी पराजित हुए। अंततः श्रीकृष्ण रूक्मिणी को लेकर द्वारका लौटे।

पं. कृष्णा नंद महाराज ने कहा कि यह कथा नारी की इच्छाशक्ति, प्रेम और आत्मनिर्णय का प्रतीक है। श्रीकृष्ण ने रूक्मिणी की इच्छा का सम्मान कर समाज को संदेश दिया।

कार्यक्रम में पूर्व ब्लॉक प्रमुख आनंद कुमार सिंह बंटू, किशोर सिंह, नवीन पाण्डेय, छोटेलाल तिवारी, सुभाष राय, रणजीत सिंह, हनुमत शरण राय, जोशी पटेल, अशोक पाठक, उदय नारायण सिंह, शिवप्रसाद सिंह, ओमप्रकाश पाण्डेय, बृजमोहन पाण्डेय, रामनरेश, काशीनाथ तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा

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