वाराणसी,02 मई . वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शुक्रवार को आद्य गुरु शंकराचार्य की जयंती श्री काशी विश्वनाथ धाम में उत्सव पूर्वक मनाई गई.
धाम स्थित आद्य गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा पर पुष्प सज्जा कर भगवान शंकराचार्य की शास्त्रोक्त विधि से आराधना की गई. शंकराचार्य भगवान के प्रतिमा की मंत्रोच्चार सहित आरती कर त्रिपुण्ड अभिषेक किया गया. मंदिर न्यास के अधिकारी मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विशेष कार्याधिकारी, महंत चिंतामणि गणेश, चल्ला सुब्बा राव, प्रबंधक श्रृंगेरी मठ, चल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद, कोविलूर मठ के स्वामी सहित अन्य विशिष्ट जनों की उपस्थिति में पूजन संपन्न किया गया. शास्त्रीगणों ने भगवान शंकराचार्य की प्रतिमा के समक्ष शंकराचार्य कृत स्त्रोतों के सस्वर पाठ कर सांध्य अर्चना की. धाम में संपन्न सायंकालीन कार्यक्रम में भगवान शंकराचार्य कृत शिव मानस स्तुति से प्रारंभ कर क्रमशः वेदसारशिवस्त्रोत्रम, अन्नपूर्णा स्त्रोत्रम, निर्वाणषट्कम, कालभैरवाष्टकम, भवान्याष्टकम का सुंदर सुस्वर पाठ कर क्षमा याचना स्त्रोत्रम से कार्यक्रम का समापन किया गया.
उत्सव के विद्वत आयोजन में श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित सभागार (बोर्ड रूम) में काशी के विद्वतजनों ने आद्य गुरु शंकराचार्य के योगदान का जिक्र किया. इसमें कोविलूर स्वामी, सभा अध्यक्ष के रूप में कुलपति सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो० बिहारी लाल शर्मा, सभा संयोजक प्रो० राम नारायण द्विवेदी (महामंत्री, काशी विद्वत परिषद् ), प्रो.हरिशंकर पांडेय, आचार्य वैदिक दर्शन संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, डॉ कमलेश झा, प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय, के० वेंकट रमण घनपाठी, प्रख्यात वेदज्ञ एवं पूर्व सदस्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास आदि ने भागीदारी की. इसी कार्यक्रम में चल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद ने श्रृंगेरी मठ की ओर से भगवान विश्वनाथ की सेवा में रजत बिल्व माला भी भेंट की.
/ श्रीधर त्रिपाठी
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