हरिद्वार, 25 अगस्त (Udaipur Kiran) । ग्राम्य विकास विभाग के अंतर्गत संचालित अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष से वित्तपोषित ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर रही है। रीप परियोजना जिले की दिव्यांग महिला को जीने का सहारा
मिला है। रीप की सहायता से महिला एक दुकान खाेलकर आत्मनिर्भर बन गई है।
मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे के निर्देश पर जनपद के समस्त विकासखंडों में अल्ट्रा पुअर सपोर्ट, एंटरप्राइजेज और सीबीओ लेवल के एंटरप्राइजेज की स्थापना की गई है। रीप परियोजना विशेष रूप से अल्ट्रा-पुअर श्रेणी की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर आत्मनिर्भरता की नई राह दिखा रही है। इसका एक जीवंत उदाहरण लक्सर विकासखंड के कंकरखाता गांव की बीना हैं। दिव्यांग होने के कारण बीना के पास आजीविका का कोई निश्चित साधन नहीं था, जिससे उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। महिला शक्ति स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं, जो संगम सीएलएफ के अंतर्गत आता है। इसी दौरान ग्रामोत्थान परियोजना की टीम ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान उनकी स्थिति को समझा। बीना ने एक प्रोविजन स्टोर खोलकर अपनी आजीविका शुरू करने की इच्छा व्यक्त की। इस पर अल्ट्रा-पुअर गतिविधि के तहत उसकी मदद की गई।
इसके तहत बीना ने 39,500 की लागत का एक प्रोविजन स्टोर खोला, जिसमें बीना ने मात्र साढ़े चार हजार रुपये का अंशदान दिया और शेष 35 हजार रुपये की राशि उसे परियोजना के तहत ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में दी गई। इस वित्तीय सहायता से बीना ने अपना प्रोविजन स्टोर स्थापित कर लिया है। आज वह अपने परिवार का भरण-पोषण सम्मान के साथ कर रही हैं।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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