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भौतिक विज्ञानी व थिन फिल्म टेक्नोलॉजी के प्रणेता डा.ललित मल्होत्रा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संगोष्ठी का आयोजन

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मंडी, 08 जुलाई (Udaipur Kiran) । अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भौतिक विज्ञानी डॉक्टर ललित मल्होत्रा का 17 जून 2025 को गुड़गांव में निधन हो गया था। उनकी स्मृति में व्यक्तित्व एवं कृतित्व नाम से एक संगोष्ठि का आयोजन मंडी में किया गया। यह आयोजन संयुक्त रूप से तीन संस्थाओं मंडीपीडिया, मेरे अपने व इंटेक मंडी चैप्टर द्वारा स्थानीय खत्री सभा भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर खत्री सभा भवन में उपस्थित लोगों ने दिवंगत डॉ ललित मल्होत्रा ओर से पुष्पांजलि को देकर वैज्ञानिक शोधों से जनमानस के जीवन को सुखमय बनाने के लिए अपनी कृतज्ञता प्रेषित की।

इस अवसर पर मंच संचालक नीरज शर्मा ने डा. मल्होत्रा का जीवन वृतांत पढ़कर बताया की मंडीवासी इस महान वैज्ञानिक को प्यार से बचपन के लतू के नाम से ज्यादा जानते थे। उन्हें इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी – जापान सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस फैलोशिप – 1982, हरिओम आश्रम प्रेरित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, 1984, मैटेरियल्स रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया मेडल 1995 में प्राप्त हुआ।

वहीं पर पत्रकार अनिल कुमार शर्मा ने अपने शोध आलेख के द्वारा हिमाचल वासियों को ललित मल्होत्रा के समाज को दिए गए अमूल्य वैज्ञानिक योगदान के बारे में लोगों को बताया था।

कार्यक्रम के सह-आयोजक अनिल शर्मा, प्रधान ओल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने बताया कि डा. ललित मल्होत्रा बीजै हाई स्कूल मंडी में पढ़े व इस संस्था के आजीवन सदस्य बने रहे। वे वल्लभ कालेज मंडी में अपनी पढ़ाई करते हुए हमेशा प्रथम आए। इस अवसर पर विशेष रूप से आईआईटी मंडी से आमंत्रित प्रोफेसर अजय सोनी ने अपने अनुभव व ललित मल्होत्रा के साथ गुजारे गए समय को याद करते हुए प्रथम बैच के अपने अनुभव मंच से साझा किए। जब आईआईटी मंडी को कमांद में स्थापित किया जा रहा था तो प्रारंभिक वर्षों में उसको खड़ा करने में ललित मल्होत्रा का विशेष योगदान रहा था। जहां उन्हें विजिटिंग प्रोफेसर की भूमिका में बुलाकर उनके अंतरराष्ट्रीय अनुभव, मार्गदर्शन का लाभ आईआईटी मंडी को स्थापित करने में लिया गया था। उसकी आधुनिक संरचना, सुचारू प्रशासन, वैज्ञानिक दृष्टिकोण छात्रों व संबंधित फैकेल्टी को समय-समय पर मिलता रहा। आईआईटी दिल्ली में प्रथम बार थिन फिल्म लैब का निर्माण करने में डॉक्टर ललित मल्होत्रा की विशेष भूमिका रही और वहां पर जो थिन फिल्म पर शोध हुआ उसने आज हम सब की जिंदगी को बहुत ही सुखद व आसान बना दिया है।

डा. अजय सोनी व डॉ. पवन वैद्य ने बताया कि किस तरह चश्मा, चिप्स, सेमीकंडक्टर सैक्टर, एलईडी, टेलीविजन, कैप्सूल के अलावा जहां-जहां पर भी इलेक्ट्रॉनिक का सामान तैयार किया जाता है उसमें थिन फिल्म टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है और इसके बिना किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की आप कल्पना भी नहीं कर सकते ना ही उसे बना सकते हैं। वक्ता नित्य दर्शी वैद्य ने कहा कि इस महान वैज्ञानिक ने प्रेक्टिकल करते हुए अपने ज्ञान से सारे समाज को लाभान्वित करते हुए जनमानस को सुखमय बनाया।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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