–गैर हाज़िरी के कारण कर्मचारी की बर्खास्तगी रद्द
प्रयागराज, 28 जून (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि कोई कर्मचारी ऐसी परिस्थितियों के कारण ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हो पाता है जो उसके नियंत्रण से बाहर थीं, जैसे कि जेल में होना और बाद में बरी हो जाना, तो उसे कदाचार का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने आगरा जिला सहकारी बैंक लिमिटेड के एक कर्मचारी, विनोद कुमार मिश्रा की बर्खास्तगी को रद्द करते हुए उसे तत्काल सेवा में बहाल करने का आदेश दिया और साथ ही 50 प्रतिशत बकाया वेतन का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।
विनोद कुमार मिश्रा आगरा जिला सहकारी बैंक लिमिटेड में क्लर्क-सह-कैशियर के पद पर कार्यरत थे। 5 सितंबर, 2021 को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा एक आपराधिक मामले में उसको गिरफ्तार किया गया था। उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और 28 जून, 2024 को बरी होने तक वह जेल में रहे।
इस अवधि के दौरान, बैंक अधिकारियों ने उनकी अनुपस्थिति को अनाधिकृत मानते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की। उन्हें ड्यूटी पर लौटने के लिए कई नोटिस भेजे गए और विभागीय जांच में भाग लेने के लिए भी कहा गया, लेकिन चूंकि वह जेल में थे, इसलिए वे उपस्थित नहीं हो पाए। बैंक ने उनके आवासीय पते पर नोटिस भेजे, जबकि उनके परिवार ने बैंक को उनकी गिरफ्तारी की सूचना दे दी थी। बैंक ने 28 दिसंबर, 2023 को मिश्रा को सेवा से बर्खास्त कर दिया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिका की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर ने कहा कि बैंक अधिकारियों को मिश्रा की गिरफ्तारी और कारावास की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने जानबूझकर इस तथ्य की अनदेखी की। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी ऐसी स्थिति में है जहां वह नोटिस प्राप्त करने या अपनी रक्षा करने में असमर्थ है, तो उसे अवसर देना वैध नहीं माना जा सकता।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
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