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बाप सांसद रोत का दावा, करीब दो करोड़ आदिवासियों का धर्मांतरण हुआ

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चित्तौड़गढ़, 10 अगस्त (Udaipur Kiran) । विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को चित्तौड़गढ़ में पहले जुलूस निकाला और बाद में सभा का आयोजन किया। इसमें भारत आदिवासी पार्टी से सांसद राजकुमार रोत अतिथि के रूप में शामिल हुए।

मीडिया से बातचीत में उन्होंने देश में करीब दो करोड़ आदिवासियों के अन्य धर्म में कन्वर्ट होने की बात कही है। साथ ही यह भी कहा कि इन्हें मिलाकर करीब 17 करोड़ आदिवासी है लेकिन पीएम ने विश्व आदिवासी दिवस पर बधाई देना तक उचित नहीं समझा।

चित्तौड़गढ़ में आयोजन स्थल पर मीडिया से बातचीत में सांसद रोत ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस को लेकर पूरे देश में उत्साह है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार 10 करोड़ 47 लाख आदिवासी इस देश के अंदर है। आज की बात करें तो 14 से 15 करोड़ आदिवासी समुदाय रिकॉर्ड में है। ऐसे कई आदिवासी समुदाय हैं जो अन्य धर्म या अन्य कास्ट में कन्वर्ट हो गए हैं, तो देश के अंदर 15 से 17 करोड़ आदिवासी समुदाय के संरक्षण के लिए विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया गया है। लेकिन दुख की बात यह है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री ने उनको बधाई नहीं दी। प्रधानमंत्री हर छोटे-मोटे त्यौहार, दिवस पर ट्वीट कर बधाई देते हैं। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री ने भी इस दिवस की बधाई नहीं दी।

सांसद राजकुमार रोत ने आरोप लगाया कि राजस्थान के सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस को मानने को लेकर 50 लाख का प्रावधान किया। 25 लाख का राज्य स्तरीय कार्यक्रम के लिए जो हमारे सागवाड़ा में किया। जानकारी में सामने आया था कि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री स्वयं आ रहे हैं। बाद में पता चला कि मुख्यमंत्री तो ठीक उनके कैबिनेट का एक व्यक्ति नहीं पहुंचा और जिस आदिवासी दिवस के नाम पर वर्तमान की राजस्थान सरकार 50 लाख का घोटाला किया।

सांसद रोत ने कहा कि चित्तौड़गढ़ व मेवाड़ का इतिहास पूरे देश के इतिहास में गौरवशाली इतिहास है। आज भारत देश का हर वह नेता अपने गौरव की बात करता है, सबसे पहले चित्तौड़ व महाराणा प्रताप का नाम आता है। राणा पूंजा भील का नाम आता है। मेरी जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ में आज भील समुदाय जनसंख्या की दृष्टि में एक नंबर पर है। लेकिन आप सभी जानते हैं कि भील समुदाय के हालात क्या है। उन्हें यहां से प्रशासनिक व प्रतिनिधित्व राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला। भील समाज हर तरफ से पिछड़ा हुआ है। आज महाराणा महाराणा प्रताप जो कि शिरोमणि के नाम से जाने जाते हैं, हम सभी को गर्व हैं। उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़ने वाले भीलों की सेना थी, और यह इन्हीं के वंशज है। हजारों भीलों ने हल्दीघाटी के युद्ध में अपना बलिदान दिया। लेकिन आज उनके बलिदान को सरकारें भूलने का काम करती है। आदिवासी दिवस पर बधाई देने से भी हिचक जाती है।

भील प्रदेश एक पुरानी डिमांड

सांसद रोत ने कहा कि अगर भील प्रदेश बना होता तो चित्तौड़गढ़ में हमारे भील समुदाय की जो हालत व दुर्दशा है वह आज नहीं होतीm आज शेड्यूल-6 का प्रावधान हुआ होता जो पांचवी अनुसूचित हमारी अनुसूची में डूंगरपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा आ रहा है जबकि चित्तौड़गढ़ ओपन इलाके में आ गया। इस वजह से यहां के लोगों को रिजर्वेशन नहीं मिला, ना ही लैंड का उन्हें प्रावधान मिला। किसी भी प्रकार से उनका संरक्षण विशेष अधिकार थे वह नहीं मिले। भील प्रदेश एक पुरानी डिमांड है। चित्तौड़गढ़ की धरती से भी भील प्रदेश की आवाज बुलंदी से आज उठी है।

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(Udaipur Kiran) / अखिल

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