Next Story
Newszop

ताजिकिस्तान में आयोजित ग्लेशियर सम्मेलन में भारत ने पाकस्तान को घेरा, कहा- सिंधु जल संधि का उल्लंघन किया

Send Push

इंटरनेट डेस्क। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने शनिवार को ग्लेशियर संरक्षण पर उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्ण सत्र में अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारत ताजिकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय ग्लेशियर सम्मेलन का उपयोग कर ऐसे मुद्दों का अनुचित संदर्भ लाने के पाकिस्तान के प्रयास की कड़ी निंदा करता है जो मंच के दायरे में नहीं आते हैं। यह पहली बार है जब भारत और पाकिस्तान ने किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर सिंधु जल संधि पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया है। इससे पहले 23 अप्रैल को भारत ने कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद संधि को स्थगित रखने का फैसला किया था।

सद्भावना और मित्रता की भावना से संपन्न है संधि

कीर्ति वर्धन सिंह ने सिंह ने कहा कि ये हिमालयी ग्लेशियर हमारी महत्वपूर्ण नदियों - जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु - को पानी देते हैं। यह निर्विवाद तथ्य है कि सिंधु जल संधि के लागू होने के बाद से परिस्थितियों में बुनियादी बदलाव हुए हैं और इसके लिए संधि के तहत दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इन बदलावों में तकनीकी उन्नति, जनसांख्यिकीय परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और सीमा पार आतंकवाद का लगातार खतरा शामिल है। सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि इस संधि की प्रस्तावना में कहा गया है कि इसे सद्भावना और मित्रता की भावना से संपन्न किया गया है। सद्भावनापूर्वक संधि का सम्मान करने का दायित्व इसके लिए मौलिक है। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से लगातार सीमा पार आतंकवाद संधि के प्रावधानों के अनुसार इसका फायदा उठाने की क्षमता में बाधा डालता है। पाकिस्तान, जो खुद संधि का उल्लंघन कर रहा है, उसे संधि के उल्लंघन का दोष भारत पर डालने से बचना चाहिए।

पाक ने की भारत के फैसले की आलोचना

पाकिस्तानी अखबार डॉन ने शरीफ के हवाले से कहा कि सिंधु बेसिन के पानी के बंटवारे को नियंत्रित करने वाली सिंधु जल संधि को स्थगित रखने का भारत का एकतरफा और अवैध निर्णय बेहद खेदजनक है। बता दें कि सिंधु नदी बेसिन, जो जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक रूप से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है, अपनी पूर्वी और पश्चिमी सहायक नदियों में नाटकीय रूप से अलग-अलग प्रभावों का सामना कर रही है, जैसा कि हाल के वैज्ञानिक शोधों से पता चला है, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे पर पिछले समझौते अप्रासंगिक हो सकते हैं।

ग्लेशियरों का पीछे हटना केवल एक चेतावनी नहीं...


भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि ग्लेशियरों का पीछे हटना न केवल एक चेतावनी है, बल्कि यह एक तात्कालिक वास्तविकता है, जिसका जल सुरक्षा, जैव विविधता और अरबों लोगों की आजीविका पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। कीर्ति वर्धन सिंह ने शनिवार को ग्लेशियरों के संरक्षण पर उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित किया। ग्लेशियरों के पीछे हटने के वैश्विक और क्षेत्रीय परिणामों पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह घटना तेजी से बढ़ रही है, जिसका हिमालय जैसे पर्वतीय क्षेत्रों पर असंगत प्रभाव पड़ रहा है। पर्यावरण मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि उन्होंने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र से आंतरिक रूप से जुड़े देश के रूप में भारत की गहरी चिंता को दोहराया और ग्लेशियरों की निगरानी और जलवायु अनुकूलन के उद्देश्य से चल रही पहलों की एक श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की।

PC : hindustantimes

Loving Newspoint? Download the app now