लाइव हिंदी खबर :-बहुत से लोग मानते हैं कि मंगलवार हनुमान जी का दिन है, जबकि शनिवार को शनि देव की पूजा की जाती है। लेकिन कुछ मान्यताओं के अनुसार, शनिवार भी हनुमान जी का दिन माना जाता है। इस दिन भक्तजन हनुमान मंदिर जाकर श्रद्धा से पूजा करते हैं और दुखों से मुक्ति के लिए हनुमान पाठ का आयोजन करते हैं। कई लोग इस दिन उपवास रखकर अपनी भक्ति प्रकट करते हैं। आइए जानते हैं कि शनिवार को हनुमान जी की पूजा का इतना महत्व क्यों है।
शनिवार को पूजा का कारण
हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है। उनकी माता अंजनी, ऋषि गौतम और अहिल्या की संतान थीं। भगवान शिव के आशीर्वाद से माता अंजनी को हनुमान जी प्राप्त हुए। हनुमान जी की शक्ति से जुड़ी एक पुरानी कथा है। त्रेता युग में, जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुंचे, तो उन्होंने शनिदेव को उल्टा लटका हुआ देखा। जब हनुमान जी ने इसका कारण पूछा, तो शनिदेव ने बताया कि रावण ने उन्हें कैद कर रखा है। हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के बंदीगृह से मुक्त किया।
इसके बाद शनिदेव ने हनुमान जी से वर मांगने को कहा। हनुमान जी ने कहा, 'कलियुग में मेरी पूजा करने वालों को आप अशुभ फल नहीं देंगे।' इस घटना के बाद से शनिवार को हनुमान जी की पूजा की जाने लगी। लोग शनिदेव की साढ़ेसाती से बचने के लिए हनुमान जी के साथ शनिदेव की भी पूजा करते हैं। इसके लिए भक्त शाम को शनिदेव के मंदिर जाकर उनकी पूजा करते हैं।
साढ़ेसाती से बचने के लिए मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
बुरे कर्मों और साढ़ेसाती के प्रभाव से बचने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।
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