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Foreign Relations : थाईलैंड की प्रधानमंत्री पर 'हितों के टकराव' का दाग? लीक कॉल ने बढ़ाई टेंशन

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Foreign Relations : थाईलैंड की प्रधानमंत्री पर ‘हितों के टकराव’ का दाग? लीक कॉल ने बढ़ाई टेंशन

News India Live, Digital Desk: Foreign Relations : थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री मानी जा रहीं पाएटोंगतार्न शिनावात्रा, एक लीक हुई फोन कॉल के बाद राजनीतिक बवंडर में फंस गई हैं। यह विवाद एक ऐसी बातचीत के बाद खड़ा हुआ है, जिसमें वह अपने पिता थेकसिंह शिनावात्रा के एक व्यक्तिगत मामले को लेकर कंबोडिया के नेता हुन मानेट से बात कर रही थीं।

क्या है मामला?

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस लीक कॉल में पाएटोंगतार्न ने कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट से थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थेकसिंह शिनावात्रा (जो पाएटोंगतार्न के पिता भी हैं) से जुड़ी एक संपत्ति या घर के मामले में सहायता मांगी थी। कहा जाता है कि थेकसिंह के हुन मानेट के साथ निजी संबंध रहे हैं, क्योंकि कंबोडिया में थेकसिंह ने काफी समय निर्वासन में बिताया था।

राजनीतिक विवाद और आरोप:

आलोचकों और विपक्षी दलों का कहना है कि पाएटोंगतार्न ने अपनी राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग किया है, क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर अपने आधिकारिक पद का इस्तेमाल एक व्यक्तिगत या पारिवारिक मामले के लिए किया। विपक्ष का आरोप है कि यह हितों के टकराव (Conflict of Interest) का स्पष्ट मामला है और इससे थाईलैंड की कूटनीति पर भी सवाल खड़े होते हैं। यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या एक प्रधानमंत्री को किसी निजी पारिवारिक मामले के लिए दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष से इस तरह मदद मांगनी चाहिए?

पाएटोंगतार्न का बचाव:

हालांकि, पाएटोंगतार्न ने अपने बचाव में कहा है कि यह बातचीत पूरी तरह से निजी थी और इसका कोई आधिकारिक या नीतिगत इरादा नहीं था। उनका कहना है कि यह केवल एक साधारण बातचीत थी, जिससे थाईलैंड की सरकारी नीतियों या संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

आगे क्या?

इस मुद्दे को लेकर थाईलैंड की विपक्षी ‘मूव फॉरवर्ड पार्टी’ के नेता चायथवात तुलाथोन ने गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री जैसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को व्यक्तिगत और आधिकारिक जिम्मेदारियों के बीच की सीमा को समझना चाहिए। इस पूरे घटनाक्रम ने पाएटोंगतार्न की राजनीतिक यात्रा में एक बड़ा तूफान खड़ा कर दिया है और उनकी साख पर सवाल उठा दिए हैं। यह देखना होगा कि वह इस विवाद से कैसे निकल पाती हैं और थाईलैंड की राजनीति पर इसका क्या दूरगामी असर होता है।

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