तलाक एक धारदार हथियार है जो रिश्ते को ख़त्म कर सकता है! अगर यह हथियार वार करता है तो रिश्ता दो टुकड़ों में टूट जाता है। ऐसे टुकड़े कि दो आत्माएं शारीरिक और भावनात्मक रूप से अलग हो जाती हैं। भारत में तलाक को रिश्तों का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि तलाक के कई प्रकार होते हैं। ऐसा ही एक प्रकार है ‘स्लीप डिवोर्स’।
यद्यपि नाम अलग लग सकता है, लेकिन ‘स्लीप डिवोर्स’ पारंपरिक तलाक से बहुत अलग है और वास्तव में रिश्ते को मजबूत करता है। कई लोगों की ‘तलाक’ शब्द के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन स्लीप डिवोर्स का उद्देश्य रिश्ते में तनाव या दूरी को बढ़ाना नहीं बल्कि उसे कम करना है। अक्सर, किसी रिश्ते में अंतरंगता और एक साथ समय बिताना जितना जरूरी है, उतना ही एक-दूसरे को ‘स्पेस’ देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। लगातार एक साथ रहने से कभी-कभी आपकी व्यक्तिगत शांति और मन की शांति छिन सकती है। इसके परिणामस्वरूप निराशा, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और मानसिक थकान, रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
स्लीप डिवोर्स का अर्थ है एक ही घर में रहते हुए भी अलग-अलग कमरों या बिस्तरों पर सोना। इसमें दिन का बाकी समय एक साथ बिताना, बातचीत करना, प्रेम और साथ का अनुभव करना, तथा सोते समय एक-दूसरे को आवश्यक निजी स्थान और शांति प्रदान करना शामिल है। इससे दोनों को पर्याप्त नींद लेने, शरीर और दिमाग को तरोताजा रखने तथा अगले दिन अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से पूरा करने में मदद मिलती है।
इससे दोनों पक्षों को अपनी और दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को समझने का समय मिलता है। सोते समय यह निजी समय रिश्ते में भावनात्मक निवेश बनाए रखने के लिए फायदेमंद होता है। अन्यथा, नींद में व्यवधान, आदतों में अंतर या छोटी-मोटी बहस रिश्ते की डोर को कमजोर कर सकती है। स्लीप डिवोर्स को चरम स्थिति तक पहुंचने से पहले एक चिकित्सीय विकल्प के रूप में देखा जाता है, जो रिश्ते को बनाए रखने और प्यार को गहरा करने में मदद करता है।
भारत में इस प्रकार का तलाक आम नहीं है। लेकिन पश्चिमी देशों में इसका बहुत प्रभाव है। अमेरिका जैसे देशों में 35% जोड़े स्लीप डिवोर्स का अभ्यास कर रहे हैं। इस तलाक में जो नुकसान होगा वह यह है कि रिश्ते में शारीरिक संपर्क होना जरूरी है, इससे दोनों आत्माएं शारीरिक और भावनात्मक रूप से जुड़ती हैं। लेकिन, स्लीप डिवोर्स में सोते समय की अंतरंगता लगभग पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। कभी-कभी इससे रिश्ते में दूरी बढ़ सकती है। दम्पति अकेलापन महसूस करने लगते हैं।
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