केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए 8वें वेतन आयोग और महंगाई भत्ते (DA) से जुड़ी बड़ी खबरें सामने आ रही हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (DA) में 3% की बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी, जिसके बाद यह 50% से बढ़कर 53% हो गया था, और यह वृद्धि 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी हुई है. इस बढ़ोतरी से लगभग 49.18 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 64.89 लाख पेंशनभोगियों को लाभ मिला है. इसके अतिरिक्त, मार्च 2025 में, जनवरी-जून 2025 की अवधि के लिए महंगाई भत्ते को 53% से बढ़ाकर 55% करने की मंजूरी दी गई थी.
सबसे प्रतीक्षित 8वें वेतन आयोग की बात करें तो, इसका गठन 16 जनवरी, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था. उम्मीद है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से लागू होंगी. हालांकि कुछ रिपोर्टों में देरी की आशंका भी जताई गई है और इसे 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में लागू किया जा सकता है. यदि कार्यान्वयन में देरी होती है, तो कर्मचारियों को जनवरी 2026 से एरियर मिलने की संभावना है.
8वें वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों, जिसमें रक्षाकर्मी भी शामिल हैं, और 65 लाख पेंशनभोगियों के वेतन, पेंशन और भत्तों में संशोधन करना है.कर्मचारी और विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि 8वें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम मूल वेतन मौजूदा ₹18,000 से बढ़कर ₹26,000 तक हो सकता है.यह 40-44% की ‘जबरदस्त’ वृद्धि का संकेत देता है. वेतन संशोधन के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुणक, ‘फिटमेंट फैक्टर’ का 1.96 होने का अनुमान लगाया जा रहा है, हालांकि इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. विशेषज्ञों के अनुमानों के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 3.68 तक हो सकता है. एक लोकप्रिय अनुमान 2.86 के फिटमेंट फैक्टर का है, जो न्यूनतम वेतन को ₹51,480 तक बढ़ा सकता है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 7वें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम मूल वेतन ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 हो गया था, जिसका कारण 2.57 का फिटमेंट फैक्टर था. पेंशनभोगियों के लिए भी पेंशन में बड़ी वृद्धि देखी गई थी, जो ₹3,500 से बढ़कर ₹9,000 हो गई थी. 8वें वेतन आयोग के तहत पेंशनभोगियों की पेंशन में भी पर्याप्त वृद्धि की उम्मीद है. सरकार की ओर से अभी तक फिटमेंट फैक्टर या 8वें वेतन आयोग के लाभों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. महंगाई भत्ते को साल में दो बार, 1 जनवरी और 1 जुलाई से लागू किया जाता है, जिसका निर्धारण अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW) के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है.
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