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रूस से तेल खरीदने वालों पर 'कमर तोड़' बैन लगाएंगे... अमेरिकी सीनेटर ने पार की हदें, भारत को खुली धमकी

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वॉशिंगटन: अमेरिकी नेताओं ने एक बार फिर भारत को रूस से तेल नहीं खरीदने की धमकी दी है। अमेरिकी सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने इसके लिए बेहद सख्त भाषा का इस्तेमाल भारत के लिए किया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि अमेरिका की ओर से रूस से तेल या यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाएगा। उन्होंने साफ कहा है कि अमेरिका के इस बिल का सीधा टारगेट चीन और भारत हैं। रिचर्ड से पहले सीनेटर लिंडसे ग्राहम भारत और चीन को रूस से सहयोग बंद करने के लिए कह चुके हैं।



रोम में यूक्रेन के समर्थन में एक कॉन्फ्रेस में डेमोक्रेटिक सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने कहा कि उनका रूस सेंक्शन विधेयक मॉस्को से तेल खरीदने वाले भारत और चीन जैसे देशों पर भारी जुर्माना लगाएगा। रिचर्ड और लिंडसे ग्राहम ने रूस से तेल या यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है। इसके लिए उन्होंने एक विधेयक पेश किया है। यूक्रेन के लिए समर्थन को मजबूत करने और रूस को कमजोर करने के लिए ये विधेयक लाया गया है।





चीन और भारत पर क्यों निशानाअमेरिकी सीनेटरों के इस बिल का मुख्य लक्ष्य चीन और भारत हैं, जो रूस की तकरीबन 70% एनर्जी खरीद रहे हैं। सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल और लिंडसे ग्राहम की ओर से प्रस्तावित बिल में रूस से तेल और यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर 500% तक टैरिफ लगाने की बात कही गई है। अमेरिका के सीनियर नेताओं में शुमार ब्लूमेंथल ने कहा कि यह विधेयक पुतिन का समर्थकों करने वालों को फिर से सोचने पर मजबूर करेगा।





अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत और चीन लगातार तेल खरीद के जरिए रूस की मदद कर रहे हैं। अगर ये देश ऐसा करना जारी रखते हैं तो इन देशों पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस का तेल खरीदकर ये देश (चीन-भारत) रूसी प्रेसीडेंट व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में बने रहने में आर्थिक मदद कर रहे हैं।



संसद में आ सकती है बिल लिंडसे ग्राहम ने दावा किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सहमति से वह रूस के आर्थिक सहयोगियों पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक (सैंक्शन बिल) ला रहे हैं। ग्राहम ने इस बिल के जल्दी ही संसद में लाने का संकेत दिया है। उनका कहना है कि इस प्रतिबंध विधेयक पर इसी महीने, जुलाई में ही आगे बढ़ा जा सकता है।



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अमेरिका की ओर से लगातार रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिश हो रही है। अमेरिका ने ऐसे देशों पर दबाव बनाया है, जो रूस के साथ व्यापार करते हैं। चीन, भारत, ईरान जैसे देशों ने अमेरिका की धमकियों को नजरअंदाज किया है लेकिन अमेरिकी नेता रूस से तेल खरीदने वाले इन देशों के खिलाफ धमकीभरी भाषा बोलते रहते हैं।

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