नई दिल्लीः गुरु गेविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के नामी कॉलेजों में एडमिशन दिलाने का झांसा देकर एक गिरोह ने कई लोगों से लाखों की ठगे कर ली। नेहरू प्लेस में एक ऑफिस खोल कर फ्रॉड को अंजाम दिया गया। जिसे बाद में बंद कर फरार हो गए। अब तक 32 पीड़ित सामने आ चुके हैं। जिनसे एक करोड़ 69 लाख 47 हजार 800 रुपये लिए गए। एसएमएस और कॉल कर पीड़ितों को एनआरआई और मैनेजमेंट कोटे से दाखिला दिलाने का झांसा दिया गया था।
एक पीड़ित ने बताया कि उनके बेटे ने 12वीं पास की तो वह आगे की पढ़ाई के लिए अच्छी यूनिवर्सिटी और कॉलेज की तलाश में थे। जुलाई में फोन पर एक एसएमएस आया, जिसमें आईपी यूनिवर्सिटी के नामी कॉलेज में एनआरआई कोटे से एडमिशन दिलाने की बात कही गई थी। लावण्या नाम की लड़की का नंबर दिया गया था, जिसने कॉल करने पर नेहरू प्लेस स्थित ब्राइट एजुकेशन अकैडमी में बुलाया। वहां जाने पर साढे तीन लाख रुपये की डिमंड की गई। उन्होंने ढाई लाख रुपये दे दिए।
BTech, BBA, BCA और LLB में एडमिशन दिलाने का दिया गया था झांसा
इसी तरह अन्य स्टूडेंट्स के पैरंट्स से पैसे ऐठे गए। पीड़ितों की तरफ से पुलिस को दी गई सामूहिक शिकायत के मुताबिक, इस गिरोह में दो लड़कियों समेत कुल 7 लोग थे। ये Blech, BBA, BCA और LLB समेत अन्य प्रफेशनल कोर्स में MAIT, VIPS, और JIMS सरीखे नामी कॉलेज एडमिशन दिलाने का झांसा देते थे। फर्ने रजिस्ट्रेशन फीस रिसिप्ट भी दी जाती थी, जिसमें JIMS ग्रेटर में नोएडा के प्रस्तावित कोर्सेज की डिटेल होती थी। आरोपी MAIT समेत अन्य नामी कॉलेज में ट्रांसफर का भी दावा करते थे।
पीड़ितों का भरोसा जीतने के लिए ब्राइट एजुकेशन अकैडमी के लेटर हेड पर पैसे लेने की रसीद भी
देते थे। सभी पीड़ितों से जुलाई में संपर्क साधा गया थ, जिनकी आखिरी बात आरोपियों से अगस्त के पहले हफ्ते तक हुई थी। दरअसल 5 अगस्त तक सभी को एडमिशन का अलॉटमेंट लेटर दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन तय समय तक किसी को लेटर नहीं मिला। इसके बाद आरोपियों ने अपने फोन बंद कर लिए।
दो आरोपी भेजे जा चुके हैं जेल: दिल्ली पुलिस
की महिला हेड कॉन्स्टेबल मुकेश भी इस गैंग की ठगे का शिकार हुई थीं। अपने बेटे के एडमिशन के लिए उन्होंने 29 जुलाई को दो लाख 30 हजार रुपये दिए थे। द्वारका साइबर पुलिस थाने में 25 अगस्त को केस दर्ज करवाया गया था। इसके बाद गाजियाश्चाद निवासी कुशाग्र श्रीवास्तव (35) और चिन्मय सिन्हा (32) को गिरफ्तार किया गया। इनसे एक करोड़ 34 लाख 66 हजार कैश, 6 फोन और एक लैपटॉप समेत कई दस्तावेज रिकवर किए गए थे।
EOW कर रही जांच
गैग के शिकार हुए अन्य 32 पीडितों ने साउथ ईस्ट जिले के कालकाजी थाने में शिकायत दी है। इसे आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को ट्रासफर कर दिया गया है, जहां 22 अक्टूबर को कई धाराओं में एक और मुकदमा दर्ज किया गया है। जेल में बंद कुशाग्र और चिन्मय को EDW प्रोडक्शन रिमाड पर लाएगी और पूछताछ के बाद गिरोह के अन्य लोगों की जानकारी हासिल की जाएगी, जिसके बाद और गिरफ्तारियां हो सकती है।
एक पीड़ित ने बताया कि उनके बेटे ने 12वीं पास की तो वह आगे की पढ़ाई के लिए अच्छी यूनिवर्सिटी और कॉलेज की तलाश में थे। जुलाई में फोन पर एक एसएमएस आया, जिसमें आईपी यूनिवर्सिटी के नामी कॉलेज में एनआरआई कोटे से एडमिशन दिलाने की बात कही गई थी। लावण्या नाम की लड़की का नंबर दिया गया था, जिसने कॉल करने पर नेहरू प्लेस स्थित ब्राइट एजुकेशन अकैडमी में बुलाया। वहां जाने पर साढे तीन लाख रुपये की डिमंड की गई। उन्होंने ढाई लाख रुपये दे दिए।
BTech, BBA, BCA और LLB में एडमिशन दिलाने का दिया गया था झांसा
इसी तरह अन्य स्टूडेंट्स के पैरंट्स से पैसे ऐठे गए। पीड़ितों की तरफ से पुलिस को दी गई सामूहिक शिकायत के मुताबिक, इस गिरोह में दो लड़कियों समेत कुल 7 लोग थे। ये Blech, BBA, BCA और LLB समेत अन्य प्रफेशनल कोर्स में MAIT, VIPS, और JIMS सरीखे नामी कॉलेज एडमिशन दिलाने का झांसा देते थे। फर्ने रजिस्ट्रेशन फीस रिसिप्ट भी दी जाती थी, जिसमें JIMS ग्रेटर में नोएडा के प्रस्तावित कोर्सेज की डिटेल होती थी। आरोपी MAIT समेत अन्य नामी कॉलेज में ट्रांसफर का भी दावा करते थे।
पीड़ितों का भरोसा जीतने के लिए ब्राइट एजुकेशन अकैडमी के लेटर हेड पर पैसे लेने की रसीद भी
देते थे। सभी पीड़ितों से जुलाई में संपर्क साधा गया थ, जिनकी आखिरी बात आरोपियों से अगस्त के पहले हफ्ते तक हुई थी। दरअसल 5 अगस्त तक सभी को एडमिशन का अलॉटमेंट लेटर दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन तय समय तक किसी को लेटर नहीं मिला। इसके बाद आरोपियों ने अपने फोन बंद कर लिए।
दो आरोपी भेजे जा चुके हैं जेल: दिल्ली पुलिस
की महिला हेड कॉन्स्टेबल मुकेश भी इस गैंग की ठगे का शिकार हुई थीं। अपने बेटे के एडमिशन के लिए उन्होंने 29 जुलाई को दो लाख 30 हजार रुपये दिए थे। द्वारका साइबर पुलिस थाने में 25 अगस्त को केस दर्ज करवाया गया था। इसके बाद गाजियाश्चाद निवासी कुशाग्र श्रीवास्तव (35) और चिन्मय सिन्हा (32) को गिरफ्तार किया गया। इनसे एक करोड़ 34 लाख 66 हजार कैश, 6 फोन और एक लैपटॉप समेत कई दस्तावेज रिकवर किए गए थे।
EOW कर रही जांच
गैग के शिकार हुए अन्य 32 पीडितों ने साउथ ईस्ट जिले के कालकाजी थाने में शिकायत दी है। इसे आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को ट्रासफर कर दिया गया है, जहां 22 अक्टूबर को कई धाराओं में एक और मुकदमा दर्ज किया गया है। जेल में बंद कुशाग्र और चिन्मय को EDW प्रोडक्शन रिमाड पर लाएगी और पूछताछ के बाद गिरोह के अन्य लोगों की जानकारी हासिल की जाएगी, जिसके बाद और गिरफ्तारियां हो सकती है।
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