नई दिल्ली:   भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस और परमानेंट कमिशन अधिकारियों का अनुपात सही करने के लिए अब शॉर्ट सर्विस कमिशन के अधिकारियों की संख्या बढ़ाई जा रही है। उसी को अडजस्ट करने के लिए परमानेंट कमिशन ऑफिसर्स की वेंकेसी कम की जा रही है। शॉर्ट सर्विस और परमानेंट कमिशन अधिकारियों का रेशियो (अनुपात) सही करने के लिए एवी सिंह कमिटी ने भी सिफारिश की थी।   
   
जिस पर धीरे धीरे काम शुरू हुआ लेकिन अब दोनों ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकेडमी में ऑफिसर्स कैडेट्स की संख्या बढ़ा दी गई है। जहां शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत सेना में शामिल होने वालों की ट्रेनिंग होती है। साथ ही आईएमए (इंडियन मिलिट्री अकेडमी) में हर बैच में करीब 130 वेकेंसी कम की गई है।
     
नंबर में हो बैलेंस
सूत्रों के मुताबिक ओटीए (ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकेडमी) गया में इस बार ऑफिसर्स कैडेट का जो बैच आया है उसमें पहले के मुकाबले करीब दो गुने कैडेट्स हैं। इसी तरह ओटीए चेन्नई में पिछले बैच से ही संख्या बढ़ानी शुरू कर दी गई थी। मौजूदा नए बैच में दोनों ओटीए में करीब 320 कैडेट्स हैं। दोनों अकेडमी में कैडेट्स की संख्या और बढ़ाई जाएगी और इसे 700 - 750 तक ले जाया जाएगा। इसी हिसाब से परमानेंट कमिशन ऑफिसर्स की वेकेंसी कम की जा रही है। परमानेंट कमिशन वाले अधिकारियों की ट्रेनिंग आईएमए (इंडियन मिलिट्री अकेडमी) में होती है जबकि शॉर्ट सर्विस वालों की ट्रेनिंग ओटीए में होती है।
   
प्रमोशन का रेशियो भी बढ़ेगा
2004 में एवी सिंह कमिटी ने सिफारिश की थी कि परमानेंट कमिशन ऑफिसर्स और शॉर्ट सर्विस कमिशन के बीच मौजूदा 4 :1 के रेशियो को ठीक कर 1: 1.1 किया जाए। इससे सेना में अधिकारियों का सीनियर रैंक में प्रमोशन का रेशियो भी बढ़ेगा। सेना का ढांचा पिरामिड की तरह है, जूनियर लेवल पर ज्यादा अधिकारी और सीनियर लेवल पर कम। इस पिरामिड स्ट्रक्चर को कुछ ठीक करने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।
   
अभी अगर 100 लेफ्टिनेंट कर्नल हैं तो उनमें से करीब 30 से 50 (अलग अलग आर्म के हिसाब से) को फुल कर्नल रैंक मिल पाता है जबकि बाकी नॉन सिलेक्ट हो जाते हैं, यानी उससे आगे प्रमोशन नहीं।
   
ये अधिकारी 36-37 साल की उम्र में नॉन सिलेक्ट हो जाते हैं
ये अधिकारी 36-37 साल की उम्र में नॉन सिलेक्ट हो जाते हैं और वह 54 की उम्र तक जॉब में रहते हैं। ऐसे में उनके उत्साह पर भी फर्क पड़ता है। शॉर्ट सर्विस कमिशन और परमानेंट कमिशन के रेशियो में सुधार होने से नॉन सिलेक्ट अधिकारियों कीं संख्या कम होगी और संतुष्टि का स्तर बढ़ेगा।
   
  
जिस पर धीरे धीरे काम शुरू हुआ लेकिन अब दोनों ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकेडमी में ऑफिसर्स कैडेट्स की संख्या बढ़ा दी गई है। जहां शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत सेना में शामिल होने वालों की ट्रेनिंग होती है। साथ ही आईएमए (इंडियन मिलिट्री अकेडमी) में हर बैच में करीब 130 वेकेंसी कम की गई है।
नंबर में हो बैलेंस
सूत्रों के मुताबिक ओटीए (ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकेडमी) गया में इस बार ऑफिसर्स कैडेट का जो बैच आया है उसमें पहले के मुकाबले करीब दो गुने कैडेट्स हैं। इसी तरह ओटीए चेन्नई में पिछले बैच से ही संख्या बढ़ानी शुरू कर दी गई थी। मौजूदा नए बैच में दोनों ओटीए में करीब 320 कैडेट्स हैं। दोनों अकेडमी में कैडेट्स की संख्या और बढ़ाई जाएगी और इसे 700 - 750 तक ले जाया जाएगा। इसी हिसाब से परमानेंट कमिशन ऑफिसर्स की वेकेंसी कम की जा रही है। परमानेंट कमिशन वाले अधिकारियों की ट्रेनिंग आईएमए (इंडियन मिलिट्री अकेडमी) में होती है जबकि शॉर्ट सर्विस वालों की ट्रेनिंग ओटीए में होती है।
प्रमोशन का रेशियो भी बढ़ेगा
2004 में एवी सिंह कमिटी ने सिफारिश की थी कि परमानेंट कमिशन ऑफिसर्स और शॉर्ट सर्विस कमिशन के बीच मौजूदा 4 :1 के रेशियो को ठीक कर 1: 1.1 किया जाए। इससे सेना में अधिकारियों का सीनियर रैंक में प्रमोशन का रेशियो भी बढ़ेगा। सेना का ढांचा पिरामिड की तरह है, जूनियर लेवल पर ज्यादा अधिकारी और सीनियर लेवल पर कम। इस पिरामिड स्ट्रक्चर को कुछ ठीक करने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।
अभी अगर 100 लेफ्टिनेंट कर्नल हैं तो उनमें से करीब 30 से 50 (अलग अलग आर्म के हिसाब से) को फुल कर्नल रैंक मिल पाता है जबकि बाकी नॉन सिलेक्ट हो जाते हैं, यानी उससे आगे प्रमोशन नहीं।
ये अधिकारी 36-37 साल की उम्र में नॉन सिलेक्ट हो जाते हैं
ये अधिकारी 36-37 साल की उम्र में नॉन सिलेक्ट हो जाते हैं और वह 54 की उम्र तक जॉब में रहते हैं। ऐसे में उनके उत्साह पर भी फर्क पड़ता है। शॉर्ट सर्विस कमिशन और परमानेंट कमिशन के रेशियो में सुधार होने से नॉन सिलेक्ट अधिकारियों कीं संख्या कम होगी और संतुष्टि का स्तर बढ़ेगा।
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