मुंबई : विशेष पॉक्सो (POCSO) अदालत ने एक 71 वर्षीय बुजुर्ग को नौ साल की बच्ची से यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोप से बरी कर दिया है। यह मामला 2018 का है। अदालत ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि दो आंखों की सर्जरी कराने और पैरों में रॉड होने के कारण पांच मंजिलें चढ़ने में कठिनाई होने पर कोई आदमी आंख मार सकता है और यौन इशारे कर सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि इमारत में लिफ्ट नहीं है और किसी अन्य निवासी ने कथित पीछा करने या दुर्व्यवहार को नहीं देखा। न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष के मामले में कई विसंगतियां पाईं, जिसमें घटना और शिकायत दर्ज करने के बीच नौ महीने की देरी भी शामिल है।
बता दें कि एफआईआर के मुताबिक, नौ साल की बच्ची ने बताया कि 16 जनवरी 2018 को वह आरोपी के पोती के जन्मदिन पर गई थी, जहां केक खिलाने के बहाने उसने उसके साथ अनुचित हरकत की। यह आरोप उसने अदालत में अपनी गवाही के दौरान जोड़ा, जो पुलिस को दिए बयान में नहीं था। इसके अलावा उसने आरोप लगाया कि आरोपी अक्सर सीढ़ियों पर मिलने पर उसे देखकर आंख मारता और अश्लील इशारे करता था।
6 महीने बाद दर्ज हुई शिकायत, गवाह भी नहीं पेश
यह मामला 7 सितंबर 2018 को दर्ज हुआ था, यानी कथित घटना के नौ महीने बाद। लड़की ने बताया कि 3 सितंबर 2018 को जब वह अपने फ्लैट के बाहर झाड़ू लगा रही थी, तब आरोपी ने फिर आंख मारी, जिससे वह रोने लगी और अपने माता-पिता को बताया। इसके बाद उसकी मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। हालांकि अदालत ने पाया कि इस दौरान न तो इमारत के किसी निवासी ने कुछ देखा और न ही लड़की के पिता और उसकी सहेली, जो जन्मदिन पार्टी में मौजूद होने का दावा किया गया था, को गवाह बनाया गया। न्यायाधीश ने कहा कि यह विश्वास करना सुरक्षित नहीं है कि केवल लड़की की गवाही के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया जाए।
मेडिकल हालत ने दी संदेह को मजबूती
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी की शारीरिक हालत जिसमें आंखों की सर्जरी और पैरों में रॉड लगे होने की बात शामिल है, ऐसे आरोपों के पक्ष में नहीं जाती। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के व्यवहार के संबंध में भवन के अन्य निवासियों की गवाही नहीं ला पाया, जिससे पूरा मामला संदेह के घेरे में आ गया। अंततः अदालत ने कहा कि मामला संदेहास्पद है और आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है। आरोपी इस समय 78 वर्ष के हैं और जमानत पर थे।
बता दें कि एफआईआर के मुताबिक, नौ साल की बच्ची ने बताया कि 16 जनवरी 2018 को वह आरोपी के पोती के जन्मदिन पर गई थी, जहां केक खिलाने के बहाने उसने उसके साथ अनुचित हरकत की। यह आरोप उसने अदालत में अपनी गवाही के दौरान जोड़ा, जो पुलिस को दिए बयान में नहीं था। इसके अलावा उसने आरोप लगाया कि आरोपी अक्सर सीढ़ियों पर मिलने पर उसे देखकर आंख मारता और अश्लील इशारे करता था।
6 महीने बाद दर्ज हुई शिकायत, गवाह भी नहीं पेश
यह मामला 7 सितंबर 2018 को दर्ज हुआ था, यानी कथित घटना के नौ महीने बाद। लड़की ने बताया कि 3 सितंबर 2018 को जब वह अपने फ्लैट के बाहर झाड़ू लगा रही थी, तब आरोपी ने फिर आंख मारी, जिससे वह रोने लगी और अपने माता-पिता को बताया। इसके बाद उसकी मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। हालांकि अदालत ने पाया कि इस दौरान न तो इमारत के किसी निवासी ने कुछ देखा और न ही लड़की के पिता और उसकी सहेली, जो जन्मदिन पार्टी में मौजूद होने का दावा किया गया था, को गवाह बनाया गया। न्यायाधीश ने कहा कि यह विश्वास करना सुरक्षित नहीं है कि केवल लड़की की गवाही के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया जाए।
मेडिकल हालत ने दी संदेह को मजबूती
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी की शारीरिक हालत जिसमें आंखों की सर्जरी और पैरों में रॉड लगे होने की बात शामिल है, ऐसे आरोपों के पक्ष में नहीं जाती। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के व्यवहार के संबंध में भवन के अन्य निवासियों की गवाही नहीं ला पाया, जिससे पूरा मामला संदेह के घेरे में आ गया। अंततः अदालत ने कहा कि मामला संदेहास्पद है और आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाता है। आरोपी इस समय 78 वर्ष के हैं और जमानत पर थे।
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