मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से एक डराने वाला वीडियो सामने आया है। एक बाघ को वापस जंगल में भगाने की कोशिश कर रहे वन विभाग के अधिकारियों की जान पर बन आई। झाड़ियों में छिपे बैठे बाघ ने अचानक हमला बोल दिया। गनीमत रही कि सभी वनकर्मी सुरक्षित हैं।
दरअसल बांधवगढ़ के बफर जोन के पास बलहोंद मुहाबोला एरिया के पास गांव में एक बाघ ने आतंक मचा रखा था। इस बाघ ने गांव के कई मवेशियों को अपना निवाला बना लिया था। गांव वालों ने इस संबंध में शिकायत की। इस वजह से वन विभाग ने इस बाघ को वापस जंगल की ओर खदेड़ने का ऑपरेशन चलाया।
हाथी लेकर पहुंचा वन विभागइस काम के लिए वन विभाग ने एक हाथी को तैनात किया और जंगल के बफर जोन में प्रवेश किया। योजना था कि हाथी के जरिए बाघ को वापस जंगल में जाने को मजबूर किया जाएगा। बाघ के खौफनाक हमले से पहले हाथी पर बैठा महावत काफी चिल मूड में दिख रहा था। वो लोगों से बातें करते हुए हंस रहा था। उसे अंदाजा भी नहीं था कि बाघ की अगली चाल क्या होगी। उन्हें लग रहा था कि हाथी के जरिए वे सावधानी और सुरक्षित तरीके से बाघ को जंगल भेज देंगे।
अचानक बोला हमलाबाघ झाड़ियों में छिपा बैठा था और हाथी पर बैठे महावत को इसका अंदाजा भी नहीं था। जैसे ही हाथी झाड़ियों के नजदीक पहुंचा, अचानक से बाघ ने हमला बोल दिया। बाघ की दहाड़ से पूरा इलाका दहल गया। उसके आक्रामक रुख से हाथी भी घबरा गया और इधर-उधर दौड़ने लगा। इस वजह से उस पर बैठे महावत को काफी चोंट आई। गनीमत यह रही कि वह बाघ का निवाला नहीं बना। महावत का इलाज चल रहा है।
बाघों का गढ़ है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व2022 की गणना के मुताबिक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में करीब 134 बाघ थे। हालांकि अब माना जा रहा है कि इनकी संख्या 75 के आसपास हो सकती है। 1536 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जंगल में बाघों को देखने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं। 1968 में इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। 1993 में इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल गया। यहां बाघों के अलावा तेंदुए, भेड़िए समेत कई जंगली जानवर हैं।
दरअसल बांधवगढ़ के बफर जोन के पास बलहोंद मुहाबोला एरिया के पास गांव में एक बाघ ने आतंक मचा रखा था। इस बाघ ने गांव के कई मवेशियों को अपना निवाला बना लिया था। गांव वालों ने इस संबंध में शिकायत की। इस वजह से वन विभाग ने इस बाघ को वापस जंगल की ओर खदेड़ने का ऑपरेशन चलाया।
Crouching tiger, scared elephant: Chilling video from #Bandhavgarh reserve; mahout dodges death
— The Times Of India (@timesofindia) October 15, 2025
Details here 🔗 https://t.co/O2jG5FeOyF pic.twitter.com/iWgCRFzlSK
हाथी लेकर पहुंचा वन विभागइस काम के लिए वन विभाग ने एक हाथी को तैनात किया और जंगल के बफर जोन में प्रवेश किया। योजना था कि हाथी के जरिए बाघ को वापस जंगल में जाने को मजबूर किया जाएगा। बाघ के खौफनाक हमले से पहले हाथी पर बैठा महावत काफी चिल मूड में दिख रहा था। वो लोगों से बातें करते हुए हंस रहा था। उसे अंदाजा भी नहीं था कि बाघ की अगली चाल क्या होगी। उन्हें लग रहा था कि हाथी के जरिए वे सावधानी और सुरक्षित तरीके से बाघ को जंगल भेज देंगे।
अचानक बोला हमलाबाघ झाड़ियों में छिपा बैठा था और हाथी पर बैठे महावत को इसका अंदाजा भी नहीं था। जैसे ही हाथी झाड़ियों के नजदीक पहुंचा, अचानक से बाघ ने हमला बोल दिया। बाघ की दहाड़ से पूरा इलाका दहल गया। उसके आक्रामक रुख से हाथी भी घबरा गया और इधर-उधर दौड़ने लगा। इस वजह से उस पर बैठे महावत को काफी चोंट आई। गनीमत यह रही कि वह बाघ का निवाला नहीं बना। महावत का इलाज चल रहा है।
बाघों का गढ़ है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व2022 की गणना के मुताबिक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में करीब 134 बाघ थे। हालांकि अब माना जा रहा है कि इनकी संख्या 75 के आसपास हो सकती है। 1536 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जंगल में बाघों को देखने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं। 1968 में इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। 1993 में इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल गया। यहां बाघों के अलावा तेंदुए, भेड़िए समेत कई जंगली जानवर हैं।
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