केरल में शायद वो दिन दूर नहीं जब बाघ, हाथी या तेंदुओं की हत्याएं आम हो सकती हैं। राज्य सरकार यहां एक ऐसा कानून बनाने की तैयारी में है, जिस पर लंबी बहस हो सकती है। सरकार इंसानों के लिए खतरा पैदा करने वाले जंगली जानवरों को मारने के लिए कानून लाना चाहती है। इसके मुताबिक अगर कोई बाघ..हाथी..तेंदुआ या कोई भी जंगली जानवर अगर इंसानों के लिए खतरा पैदा करता है तो उसे आम लोग मार सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक वन्यजीवों को मारने की परमिशन देने वाले मसौदे को मंजूरी मिल गई है और जल्द ही इस पर आगे बढ़ा जाएगा। केरल सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में संशोधन करना चाहती है। अगर यह कानून बनता है तो केरल में आम लोगों के पास भी जंगली जानवरों को मारने का 'लाइसेंस' होगा।
इंसानों के लिए खतरा बने तो मिलेगी मौत! इस बिल को लेकर जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक अगर कोई जंगली जानवर इंसानी बस्तियों की तरफ आता है। किसी इंसान को नुकसान पहुंचाता है और खतरा पैदा करता है तो उसे जान से मारने का अधिकार आम लोगों के पास भी होगा। इसके लिए बस चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन की ही अनुमति काफी होगी।
अभी क्या है कानून मौजूदा नियमों के मुताबिक अगर कोई जंगली जानवर इंसानों पर हमला करता है तो उसे मारने के लिए वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है। केरल सरकार का मानना है कि इस तरह के हमलों में अक्सर गरीब व छोटे किसान ही ज्यादा शिकार बनते हैं। ऐसे में टॉप अधिकारियों से परमिशन लेना व्याहारिक नहीं है। इंसानों और जंगली जानवरों के बीच बढ़ते संघर्ष को रोकने के लिए विस्तृत पॉलिसी बनाने की जरूरी है।
केरल में बढ़ रहा इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष केरल में इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। तेजी से खत्म होते जा रहे जंगलों की वजह से अक्सर बाघ, हाथी और तेंदुए खाने की तलाश में बस्तियों का रुख कर लेते हैं। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2020 से 2024 के बीच 460 लोगों की मौत इस वजह से हुई जबकि 4527 लोग घायल हुए हैं। सांपों का काटने के अलावा बाघ, हाथी, जंगली सुअर के हमलों के मामले ज्यादा सामने आए हैं। केरल में अभी करीब 2000 से ज्यादा हाथी हैं। जबकि यहां 170 के करीब बाघ भी हैं।
विदेशों की तर्ज पर चलना चाहती है केरल सरकार केरल में सरकार विदेशों की तर्ज पर जंगली जानवरों को मारना चाहती है। इसके लिए ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण दिया जा रहा है। जहां कंगारुओं की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए उन्हें मारा जा रहा है। लेकिन केरल में पहले से ही वन्यजीवों की संख्या लगातार घट रही है। एक आंकड़े के मुताबिक 2017 में राज्य में 5000 से ज्यादा हाथी थे, जो 2023 में घटकर 2386 ही रह गए।
जानकारी के मुताबिक वन्यजीवों को मारने की परमिशन देने वाले मसौदे को मंजूरी मिल गई है और जल्द ही इस पर आगे बढ़ा जाएगा। केरल सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में संशोधन करना चाहती है। अगर यह कानून बनता है तो केरल में आम लोगों के पास भी जंगली जानवरों को मारने का 'लाइसेंस' होगा।
इंसानों के लिए खतरा बने तो मिलेगी मौत! इस बिल को लेकर जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक अगर कोई जंगली जानवर इंसानी बस्तियों की तरफ आता है। किसी इंसान को नुकसान पहुंचाता है और खतरा पैदा करता है तो उसे जान से मारने का अधिकार आम लोगों के पास भी होगा। इसके लिए बस चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन की ही अनुमति काफी होगी।
अभी क्या है कानून मौजूदा नियमों के मुताबिक अगर कोई जंगली जानवर इंसानों पर हमला करता है तो उसे मारने के लिए वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है। केरल सरकार का मानना है कि इस तरह के हमलों में अक्सर गरीब व छोटे किसान ही ज्यादा शिकार बनते हैं। ऐसे में टॉप अधिकारियों से परमिशन लेना व्याहारिक नहीं है। इंसानों और जंगली जानवरों के बीच बढ़ते संघर्ष को रोकने के लिए विस्तृत पॉलिसी बनाने की जरूरी है।
केरल में बढ़ रहा इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष केरल में इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। तेजी से खत्म होते जा रहे जंगलों की वजह से अक्सर बाघ, हाथी और तेंदुए खाने की तलाश में बस्तियों का रुख कर लेते हैं। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2020 से 2024 के बीच 460 लोगों की मौत इस वजह से हुई जबकि 4527 लोग घायल हुए हैं। सांपों का काटने के अलावा बाघ, हाथी, जंगली सुअर के हमलों के मामले ज्यादा सामने आए हैं। केरल में अभी करीब 2000 से ज्यादा हाथी हैं। जबकि यहां 170 के करीब बाघ भी हैं।
विदेशों की तर्ज पर चलना चाहती है केरल सरकार केरल में सरकार विदेशों की तर्ज पर जंगली जानवरों को मारना चाहती है। इसके लिए ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण दिया जा रहा है। जहां कंगारुओं की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए उन्हें मारा जा रहा है। लेकिन केरल में पहले से ही वन्यजीवों की संख्या लगातार घट रही है। एक आंकड़े के मुताबिक 2017 में राज्य में 5000 से ज्यादा हाथी थे, जो 2023 में घटकर 2386 ही रह गए।
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