नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भी अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, वह 13 जुलाई से तीन दिवसीय दौरे पर बीजिंग और तिआनजिन पहुंचेंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे। इस वर्ष एससीओ की अध्यक्षता चीन कर रहा है।
यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह गलवान घाटी की हिंसक झड़प (जून 2020) के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वे अपने चीनी समकक्ष से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पांच साल में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बैठकविदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2023 में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी। यह बैठक पांच वर्षों में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई थी।
डोभाल और राजनाथ भी कर चुके हैं चीन का दौराबैठक के दौरान पीएम मोदी ने स्पष्ट किया था कि भारत-चीन संबंधों को तीन "परस्परों" परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता के आधार पर आगे बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि यह संबंध सकारात्मक दिशा में लौट सकें और टिकाऊ बन सकें। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया और विभिन्न जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा की।
आतंकी संगठनों को लेकर भारत ने जताई चिंताएससीओ के सुरक्षा सलाहकारों की 20वीं बैठक में अजीत डोभाल ने कहा था कि भारत आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा और आईएसआईएस से उत्पन्न खतरे को लेकर गहरी चिंता में है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड को त्यागने और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों व संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक से अलग चीनी रक्षा मंत्री से की थी मुलाकातडोभाल की चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात में भारत-चीन संबंधों की हालिया स्थिति की समीक्षा की गई और द्विपक्षीय विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई की जरूरत पर भी चर्चा हुई। इसी दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक के इतर चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से मुलाकात की। बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की।
संवाद के माध्यम से मुद्दे हल करने पर जोररक्षा मंत्रालय के अनुसार, रक्षा मंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति लाने के लिए दोनों देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने जटिल मुद्दों को स्थायी वार्ता और निरंतर संवाद के माध्यम से हल करने की जरूरत पर बल दिया। सिंह ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के पांच साल बाद पुनः शुरू होने की सराहना की और भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।
यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह गलवान घाटी की हिंसक झड़प (जून 2020) के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वे अपने चीनी समकक्ष से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पांच साल में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बैठकविदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2023 में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी। यह बैठक पांच वर्षों में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई थी।
डोभाल और राजनाथ भी कर चुके हैं चीन का दौराबैठक के दौरान पीएम मोदी ने स्पष्ट किया था कि भारत-चीन संबंधों को तीन "परस्परों" परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता के आधार पर आगे बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि यह संबंध सकारात्मक दिशा में लौट सकें और टिकाऊ बन सकें। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया और विभिन्न जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा की।
आतंकी संगठनों को लेकर भारत ने जताई चिंताएससीओ के सुरक्षा सलाहकारों की 20वीं बैठक में अजीत डोभाल ने कहा था कि भारत आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा और आईएसआईएस से उत्पन्न खतरे को लेकर गहरी चिंता में है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड को त्यागने और संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों व संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक से अलग चीनी रक्षा मंत्री से की थी मुलाकातडोभाल की चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात में भारत-चीन संबंधों की हालिया स्थिति की समीक्षा की गई और द्विपक्षीय विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई की जरूरत पर भी चर्चा हुई। इसी दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक के इतर चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से मुलाकात की। बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की।
संवाद के माध्यम से मुद्दे हल करने पर जोररक्षा मंत्रालय के अनुसार, रक्षा मंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति लाने के लिए दोनों देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने जटिल मुद्दों को स्थायी वार्ता और निरंतर संवाद के माध्यम से हल करने की जरूरत पर बल दिया। सिंह ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के पांच साल बाद पुनः शुरू होने की सराहना की और भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।
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