श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में पहलगाम आंतकी हमले और फिर ऑपरेशन सिंदूर के वक्त पर केंद्र सरकार के साथ मजबूती से खड़े रहे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अब पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को उठाया है। अब्दुल्ला ने एक इंटरव्यू में पीएम नरेंद्र मोदी से और गृह मंत्री अमित शाह से अच्छे रिश्ते रखने से लेकर पूर्ण राज्य की मांग पर खुलकर बात की। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बिना किसी देरी के बहाल हाेना चाहिए। अब्दुल्ला ने संकेत दिए कि इस संबंध में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस कानूनी विकल्पों सहित सभी रास्ते तलाश रही है। केंद्र शासित प्रदेश में नेशनल कॉन्फ्रेंस के सत्ता में आने के लगभग दस महीने बाद अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य का दर्जा लोगों का मौलिक अधिकार है।
हाईब्रिड प्रणाली की किया खारिज
अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र ने संसद और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसका वादा किया था। उमर अब्दुल्ला ने सरकार की हाइब्रिड प्रणाली की बात को खारिज कर दिया जिसके तहत राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद भी कानून-व्यवस्था केंद्र के पास रहेगी और कहा कि ऐसी बातें उन लोगों की ओर से आ रही हैं जिन्होंने पिछले साल के विधानसभा चुनाव होने पर संदेह जताया था। विधानसभा चुनावों में 64 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया था। अब्दुल्ला ने कहा कि हम ऐसी कोई चीज नहीं मांग रहे जो हमारा हक नहीं है। राज्य का दर्जा हमारा अधिकार है, इसका वादा लोगों से किया गया था। उन्होंने कहा कि तो, हम कोई नई या असामान्य मांग नहीं कर रहे हैं।
बातचीत का नहीं खुलासा जरूरी नहीं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखने वाले उमर अब्दुल्ला ने इस मामले पर अपनी निजी चर्चाओं का विवरण देने से परहेज किया तथा केवल इतना कहा कि राज्य के दर्जे का मुद्दा कई बार कई स्तरों पर उठाया गया है। अब्दुला ने कहा कि मेरे और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री आदि के बीच जो व्यक्तिगत बातचीत हुई है, वे ऐसी बातें नहीं हैं जिन्हें सार्वजनिक किया जाए। लेकिन आप निश्चिंत रहें, राज्य का दर्जा और जम्मू-कश्मीर से जुड़े अन्य मुद्दे कई बार, कई स्तरों पर उठाए गए हैं। और हम लगातार इन्हें उठाते रहेंगे। अब्दुल्ला ने कहा कि जहां तक अच्छे रिश्तों का आनंद लेने की बात है, मुझे नहीं लगता कि इस पर इतनी आलोचना होनी चाहिए। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मामले में हालात सौहार्दपूर्ण बनाए रखने की जिम्मेदारी फिर से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों पर है।
पीडीपी पर साधा निशाना
अब्दुल्ला ने अतीत की राजनीतिक परिस्थितियों की तुलना करते हुए विशेष रूप से पीडीपी द्वारा बीजेपी के साथ किए गए गठबंधन का उल्लेख किया, जो मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में हुआ था। उन्होंने कथित राजनीतिक लाभ की ओर इशारा करते हुए कहा कि मुफ्ती सईद के सामने भाजपा के साथ गठबंधन करने की क्या मजबूरी थी? और महबूबा प्रधानमंत्री और उनके व्यक्तित्व के बारे में क्या-क्या कहा करती थीं। वे यह भूल गए हैं।उन्होंने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि टकराव तब होता है जब टकराव जरूरी होता है। अगर अब तक भारत सरकार मददगार रही है, तो क्या मुझे कम से कम सार्वजनिक रूप से उसकी सराहना नहीं करनी चाहिए? लेकिन जहां चीजें अच्छी नहीं हैं या जहां चीजें गलत हैं, मैं उस पर चुप नहीं हूं।
अब बढ़ गया है आतंकवाद
अब्दुल्ला ने कहा कि मेरे समय में हमने इसे लगभग दो से ढाई जिलों तक सीमित कर दिया था। आज घाटी में शायद ही कोई जिला बचा है और जम्मू का एक बड़ा हिस्सा इससे प्रभावित है। उन्होंने तर्क दिया कि उग्रवाद का यह विस्तार तब हुआ जब जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश था, जो केंद्रीय नियंत्रण में था, न कि एक निर्वाचित सरकार के अधीन। उन्होंने कहा कि लगता है कि निर्वाचित सरकारों ने बेहतर काम किया है। उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि निर्वाचित सरकार सुरक्षा स्थिति का प्रबंधन करने में असमर्थ है। अब्दुल्ला ने कहा कि हमने अतीत में बहुत अच्छे तरीके से चीजों को संभाला है और भविष्य में भी हम अच्छा प्रबंधन करेंगे। यह हाइब्रिड प्रणाली स्वीकार्य नहीं है। (एजेंसी इनुपट के साथ)
हाईब्रिड प्रणाली की किया खारिज
अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र ने संसद और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इसका वादा किया था। उमर अब्दुल्ला ने सरकार की हाइब्रिड प्रणाली की बात को खारिज कर दिया जिसके तहत राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद भी कानून-व्यवस्था केंद्र के पास रहेगी और कहा कि ऐसी बातें उन लोगों की ओर से आ रही हैं जिन्होंने पिछले साल के विधानसभा चुनाव होने पर संदेह जताया था। विधानसभा चुनावों में 64 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया था। अब्दुल्ला ने कहा कि हम ऐसी कोई चीज नहीं मांग रहे जो हमारा हक नहीं है। राज्य का दर्जा हमारा अधिकार है, इसका वादा लोगों से किया गया था। उन्होंने कहा कि तो, हम कोई नई या असामान्य मांग नहीं कर रहे हैं।
बातचीत का नहीं खुलासा जरूरी नहीं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखने वाले उमर अब्दुल्ला ने इस मामले पर अपनी निजी चर्चाओं का विवरण देने से परहेज किया तथा केवल इतना कहा कि राज्य के दर्जे का मुद्दा कई बार कई स्तरों पर उठाया गया है। अब्दुला ने कहा कि मेरे और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री आदि के बीच जो व्यक्तिगत बातचीत हुई है, वे ऐसी बातें नहीं हैं जिन्हें सार्वजनिक किया जाए। लेकिन आप निश्चिंत रहें, राज्य का दर्जा और जम्मू-कश्मीर से जुड़े अन्य मुद्दे कई बार, कई स्तरों पर उठाए गए हैं। और हम लगातार इन्हें उठाते रहेंगे। अब्दुल्ला ने कहा कि जहां तक अच्छे रिश्तों का आनंद लेने की बात है, मुझे नहीं लगता कि इस पर इतनी आलोचना होनी चाहिए। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के मामले में हालात सौहार्दपूर्ण बनाए रखने की जिम्मेदारी फिर से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों पर है।
पीडीपी पर साधा निशाना
अब्दुल्ला ने अतीत की राजनीतिक परिस्थितियों की तुलना करते हुए विशेष रूप से पीडीपी द्वारा बीजेपी के साथ किए गए गठबंधन का उल्लेख किया, जो मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में हुआ था। उन्होंने कथित राजनीतिक लाभ की ओर इशारा करते हुए कहा कि मुफ्ती सईद के सामने भाजपा के साथ गठबंधन करने की क्या मजबूरी थी? और महबूबा प्रधानमंत्री और उनके व्यक्तित्व के बारे में क्या-क्या कहा करती थीं। वे यह भूल गए हैं।उन्होंने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि टकराव तब होता है जब टकराव जरूरी होता है। अगर अब तक भारत सरकार मददगार रही है, तो क्या मुझे कम से कम सार्वजनिक रूप से उसकी सराहना नहीं करनी चाहिए? लेकिन जहां चीजें अच्छी नहीं हैं या जहां चीजें गलत हैं, मैं उस पर चुप नहीं हूं।
अब बढ़ गया है आतंकवाद
अब्दुल्ला ने कहा कि मेरे समय में हमने इसे लगभग दो से ढाई जिलों तक सीमित कर दिया था। आज घाटी में शायद ही कोई जिला बचा है और जम्मू का एक बड़ा हिस्सा इससे प्रभावित है। उन्होंने तर्क दिया कि उग्रवाद का यह विस्तार तब हुआ जब जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश था, जो केंद्रीय नियंत्रण में था, न कि एक निर्वाचित सरकार के अधीन। उन्होंने कहा कि लगता है कि निर्वाचित सरकारों ने बेहतर काम किया है। उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि निर्वाचित सरकार सुरक्षा स्थिति का प्रबंधन करने में असमर्थ है। अब्दुल्ला ने कहा कि हमने अतीत में बहुत अच्छे तरीके से चीजों को संभाला है और भविष्य में भी हम अच्छा प्रबंधन करेंगे। यह हाइब्रिड प्रणाली स्वीकार्य नहीं है। (एजेंसी इनुपट के साथ)
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