कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या 21 अक्टूबर 2025 सायं 5 बजकर 45 मिनट तक ही है, उसके बाद प्रतिपदा तिथि का संचरण होगा। दिनांक 22 अक्टूबर 2025, दिन बुधवार को उदिया तिथि में प्रतिपदा है, जो कि 22 अक्टूबर को रात्रि 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, इसलिए गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट 22 तारीख को ही शुभप्रद रहेगा।
महत्व एवं विधि-विधान- दीपावली महापर्व का चौथा पर्व गोवर्धन है, इस दिन ‘अन्नकूट पर्व’ भी होता है। गोवर्धन को अन्नकूट अर्थात् विभिन्न प्रकार के शाक, फल, अन्न, वनस्पतियां, दूध एवं दूध से बने पदार्थ, मिष्ठान आदि का भोग लगाने का विधान है। इस दिन प्रातः जल्दी उठकर घर के द्वार पर गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे पेड़ की शाखों एवं फूलों से सजाना चाहिए व उसकी एवं गायों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन मंदिरों में भगवान को छप्पन खाद्य पदार्थों का भोग लगाकर उसे प्रसाद रूप में वितरित करना चाहिए। इस दिन ब्रज में गोवर्धन पूजा एवं परिक्रमा का विधान है। श्रद्धालु इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत के सम्मुख भगवान श्रीकृष्ण, गायों व बाल गोपालों की आकृतियां बनाकर उनकी पूजा करते हैं। इस दिन भगवान की पूजा के उपरान्त विविध खाद्य सामग्रियों से उन्हें भोग लगाया जाता है। पारम्परिक पूजा के उपरान्त गोवर्धन पर्वत के आकार में मिठाइयां बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है, और बाद में उन्हें ही प्रसाद रूप में बांटा भी जाता है। आमतौर पर घरों में ही गाय के पवित्र कहे जाने वाले गोबर से लीपकर ही गोवर्धन पर्वत समेत श्रीकृष्ण, गायों व अन्य आकृतियों को बनाकर उनकी पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा में दिन के समय पंचमेल खिचड़ी का विशेष भोजन तैयार करके लोगों को भोज कराया जाता है। उसी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से अन्नपूर्णा देवी प्रसन्न होती हैं तथा जातक के घर वर्ष भर अन्न व धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है।
विशेष- जिन जातकों के घर अन्न के भंडार खाली रहते हों तथा घर में हर समय किसी न किसी चीज का अभाव बना रहता हो, उन्हें इस दिन अन्नपूर्णा देवी का पूजन विशेष विधि-विधान से करना चाहिए तथा गरीब लोगों को भोजन दान करना चाहिए। इससे उनके घर वर्ष भर किसी भी चीज की कमी नहीं रहेगी तथा भंडार हमेशा भरे रहेंगे।
महत्व एवं विधि-विधान- दीपावली महापर्व का चौथा पर्व गोवर्धन है, इस दिन ‘अन्नकूट पर्व’ भी होता है। गोवर्धन को अन्नकूट अर्थात् विभिन्न प्रकार के शाक, फल, अन्न, वनस्पतियां, दूध एवं दूध से बने पदार्थ, मिष्ठान आदि का भोग लगाने का विधान है। इस दिन प्रातः जल्दी उठकर घर के द्वार पर गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे पेड़ की शाखों एवं फूलों से सजाना चाहिए व उसकी एवं गायों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन मंदिरों में भगवान को छप्पन खाद्य पदार्थों का भोग लगाकर उसे प्रसाद रूप में वितरित करना चाहिए। इस दिन ब्रज में गोवर्धन पूजा एवं परिक्रमा का विधान है। श्रद्धालु इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत के सम्मुख भगवान श्रीकृष्ण, गायों व बाल गोपालों की आकृतियां बनाकर उनकी पूजा करते हैं। इस दिन भगवान की पूजा के उपरान्त विविध खाद्य सामग्रियों से उन्हें भोग लगाया जाता है। पारम्परिक पूजा के उपरान्त गोवर्धन पर्वत के आकार में मिठाइयां बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है, और बाद में उन्हें ही प्रसाद रूप में बांटा भी जाता है। आमतौर पर घरों में ही गाय के पवित्र कहे जाने वाले गोबर से लीपकर ही गोवर्धन पर्वत समेत श्रीकृष्ण, गायों व अन्य आकृतियों को बनाकर उनकी पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा में दिन के समय पंचमेल खिचड़ी का विशेष भोजन तैयार करके लोगों को भोज कराया जाता है। उसी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से अन्नपूर्णा देवी प्रसन्न होती हैं तथा जातक के घर वर्ष भर अन्न व धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है।
विशेष- जिन जातकों के घर अन्न के भंडार खाली रहते हों तथा घर में हर समय किसी न किसी चीज का अभाव बना रहता हो, उन्हें इस दिन अन्नपूर्णा देवी का पूजन विशेष विधि-विधान से करना चाहिए तथा गरीब लोगों को भोजन दान करना चाहिए। इससे उनके घर वर्ष भर किसी भी चीज की कमी नहीं रहेगी तथा भंडार हमेशा भरे रहेंगे।
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