न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने संबोधन के दौरान भारत और चीन पर यूक्रेन युद्ध के फाइनेंसिंग का आरोप लगाया। ट्रंप ने कहा कि चीन और भारत रूसी तेल खरीद कर यूक्रेन में रूसी युद्ध के 'प्राथमिक वित्तपोषक' हैं। ट्रंप प्रशासन ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ) लगाया है, जिससे भारत पर लगाया गया कुल अमेरिकी टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। भारत ने अमेरिकी टैरिफ को अनुचित बताया है। भारत ने कहा है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, वह अपने राष्ट्रीय और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।
ट्रंप ने क्या कहाट्रंप ने कहा, "चीन और भारत रूसी तेल खरीदकर इस युद्ध के मुख्य वित्तपोषक हैं, लेकिन नाटो देशों ने भी रूसी ऊर्जा और रूसी ऊर्जा उत्पादों पर ज्यादा रोक नहीं लगाई है, जैसा कि आप जानते हैं, मुझे लगभग दो हफ्ते पहले पता चला और मैं इससे खुश नहीं था। जरा सोचिए, वे अपने ही खिलाफ युद्ध को वित्तपोषित कर रहे हैं। किसने इसके बारे में सुना है? अगर रूस समझौता करने को तैयार नहीं है, तो युद्ध समाप्त करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका कड़े टैरिफ लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिससे रक्तपात रुक जाएगा। मेरा मानना है कि बहुत जल्दी, लेकिन इन टैरिफों के प्रभावी होने के लिए, यूरोपीय देशों को, आप सभी अभी यहां मौजूद हैं, हमारे साथ मिलकर ठीक यही उपाय अपनाने होंगे।
अमेरिका की जमकर की तारीफट्रंप ने दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधियों को यह बताने में जरा भी समय बर्बाद नहीं किया कि अमेरिका ‘‘दुनिया में सबसे गर्म देश है’’, और कोई भी देश उसके आसपास भी नहीं है। उन्होंने बाद में कहा कि अमेरिका ‘‘व्यापार करने के लिए दुनिया का सबसे अच्छा देश’’ है। ट्रंप ने दावा किया कि अब अर्थव्यवस्था उनके पहले कार्यकाल की तुलना में ‘बड़ी और बेहतर’ है, जिसे उन्होंने ‘दुनिया के इतिहास में सबसे महान’ बताया। ट्रंप ने यह दावा भी किया कि अमेरिका को पहले से कहीं ज्यादा ‘सम्मान’ मिला है।
जो बाइडन पर फोड़ा नाकामियों का ठीकरासंयुक्त राष्ट्र सहित इस तरह के राजनयिक परिवेश में इस तरह की राष्ट्रीय शेखी बघारना आमतौर पर नापसंद किया जाता है। हाल में ब्रिटेन की राजकीय यात्रा के दौरान भी ट्रंप ने अपनी टिप्पणियों में यही रुख अपनाया था। ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण के शुरुआती मिनटों में कम से कम दो बार पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पर निशाना साधा। ट्रंप ने डेमोक्रेटिक प्रशासन और बाकी दुनिया, दोनों की तुलना में अपने नेतृत्व में अमेरिका के प्रदर्शन पर शेखी बघारने की रणनीति को जारी रखा है। ट्रंप ने ऐसे दावे करने के लिए अधिकतर सत्यापन योग्य तथ्यों के बजाय सामान्य अतिशयोक्ति का इस्तेमाल किया है।
ट्रंप ने क्या कहाट्रंप ने कहा, "चीन और भारत रूसी तेल खरीदकर इस युद्ध के मुख्य वित्तपोषक हैं, लेकिन नाटो देशों ने भी रूसी ऊर्जा और रूसी ऊर्जा उत्पादों पर ज्यादा रोक नहीं लगाई है, जैसा कि आप जानते हैं, मुझे लगभग दो हफ्ते पहले पता चला और मैं इससे खुश नहीं था। जरा सोचिए, वे अपने ही खिलाफ युद्ध को वित्तपोषित कर रहे हैं। किसने इसके बारे में सुना है? अगर रूस समझौता करने को तैयार नहीं है, तो युद्ध समाप्त करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका कड़े टैरिफ लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिससे रक्तपात रुक जाएगा। मेरा मानना है कि बहुत जल्दी, लेकिन इन टैरिफों के प्रभावी होने के लिए, यूरोपीय देशों को, आप सभी अभी यहां मौजूद हैं, हमारे साथ मिलकर ठीक यही उपाय अपनाने होंगे।
ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र की आलोचना कीट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों और 150 से अधिक वैश्विक नेताओं के सामने इस अंतरराष्ट्रीय संगठन की कड़ी आलोचना की। ट्रंप ने कहा कि जिन विभिन्न युद्धों को उन्होंने रुकवाया है, उनके बारे में संयुक्त राष्ट्र ने उनसे संपर्क नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में अपार क्षमता है, लेकिन यह उस क्षमता के आसपास भी नहीं पहुंच पा रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अधिकतर मामलों में, कम से कम अभी तो, वे बस एक बेहद कड़े शब्दों वाला पत्र लिखते हैं और फिर उस पर अमल नहीं करते। ये खोखले शब्द हैं और खोखले शब्दों से युद्ध हल नहीं होते।’’BREAKING: 'China and India are the primary funders of the Ukraine war. But even NATO countries are buying oil from Russia. If Russia does not make a deal to end the war, America will impose powerful tariffs to stop the war,' declares Donald Trump pic.twitter.com/3ekQQ3I3BV
— Shashank Mattoo (@MattooShashank) September 23, 2025
अमेरिका की जमकर की तारीफट्रंप ने दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधियों को यह बताने में जरा भी समय बर्बाद नहीं किया कि अमेरिका ‘‘दुनिया में सबसे गर्म देश है’’, और कोई भी देश उसके आसपास भी नहीं है। उन्होंने बाद में कहा कि अमेरिका ‘‘व्यापार करने के लिए दुनिया का सबसे अच्छा देश’’ है। ट्रंप ने दावा किया कि अब अर्थव्यवस्था उनके पहले कार्यकाल की तुलना में ‘बड़ी और बेहतर’ है, जिसे उन्होंने ‘दुनिया के इतिहास में सबसे महान’ बताया। ट्रंप ने यह दावा भी किया कि अमेरिका को पहले से कहीं ज्यादा ‘सम्मान’ मिला है।
जो बाइडन पर फोड़ा नाकामियों का ठीकरासंयुक्त राष्ट्र सहित इस तरह के राजनयिक परिवेश में इस तरह की राष्ट्रीय शेखी बघारना आमतौर पर नापसंद किया जाता है। हाल में ब्रिटेन की राजकीय यात्रा के दौरान भी ट्रंप ने अपनी टिप्पणियों में यही रुख अपनाया था। ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण के शुरुआती मिनटों में कम से कम दो बार पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन पर निशाना साधा। ट्रंप ने डेमोक्रेटिक प्रशासन और बाकी दुनिया, दोनों की तुलना में अपने नेतृत्व में अमेरिका के प्रदर्शन पर शेखी बघारने की रणनीति को जारी रखा है। ट्रंप ने ऐसे दावे करने के लिए अधिकतर सत्यापन योग्य तथ्यों के बजाय सामान्य अतिशयोक्ति का इस्तेमाल किया है।
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