नई दिल्ली: माइनिंग सेक्टर की बड़ी कंपनी वेदांता अब एक और कंपनी खरीदने की तैयारी में है। उसके दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही इन्फ्रा सेक्टर की कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स (JAL) को खरीदने के लिए सबसे बड़ी बड़ी बोली लगाई थी। इस रेस में अडानी ग्रुप भी शामिल था लेकिन अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने बाजी मार ली। ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब वेदांता ने जयप्रकाश एसोसिएट्स में 100 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया यानी CCI से मंजूरी मांगी है। वेदांता इस डील के लिए 12,505 करोड़ रुपये देगी।
कानून के हिसाब से अगर कोई कंपनी दिवालिया होने की कगार पर है, तो उसे खरीदने के लिए सीसीआई की मंजूरी जरूरी होती है। CCI एक सरकारी संस्था है जो यह देखती है कि कहीं कोई कंपनी गलत तरीके से बाजार पर कब्जा तो नहीं कर रही है। वेदांता ने CCI को 11 सितंबर को एक अर्जी दी है जिसमें कहा गया है कि जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने से भारत में कंप्टीशन पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। मतलब बाजार में दूसरी कंपनियों के लिए भी मुकाबला करने का मौका बना रहेगा।
कितना है कर्ज
एनसीएलटी ने पिछले साल जून में जयप्रकाश एसोसिएट्स के खिलाफ दिवालियापन की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था। वेदांता, जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने की प्रक्रिया CIRP के तहत ही कर रही है। वेदांता शुरुआत में इस कंपनी में 3,800 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसके बाद अगले पांच साल तक हर साल 2,500 से 3,000 करोड़ रुपये लगाएगी। इस तरह जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने में वेदांता को लगभग 17,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। हालांकि अभी इस डील की कुल कीमत 12,505 करोड़ रुपये आंकी गई है।
जयप्रकाश एसोसिएट्स पर 57,185 करोड़ रुपये का कर्ज है। यह कंपनी बीएसई और एनएसई में लिस्टेड है। इसका बिजनस रियल एस्टेट, सीमेंट, होटल, इंजीनियरिंग, प्रॉक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन तक फैला है। इसकी कुछ ग्रुप कंपनियां पावर, फर्टिलाइजर, स्पोर्ट्स और एविएशन में भी हैं। हालांकि फिच ग्रुप की कंपनी CreditSights का कहना है कि जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदना वेदांता के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि दोनों कंपनियों के कारोबार में कोई खास तालमेल नहीं है।
कानून के हिसाब से अगर कोई कंपनी दिवालिया होने की कगार पर है, तो उसे खरीदने के लिए सीसीआई की मंजूरी जरूरी होती है। CCI एक सरकारी संस्था है जो यह देखती है कि कहीं कोई कंपनी गलत तरीके से बाजार पर कब्जा तो नहीं कर रही है। वेदांता ने CCI को 11 सितंबर को एक अर्जी दी है जिसमें कहा गया है कि जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने से भारत में कंप्टीशन पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। मतलब बाजार में दूसरी कंपनियों के लिए भी मुकाबला करने का मौका बना रहेगा।
कितना है कर्ज
एनसीएलटी ने पिछले साल जून में जयप्रकाश एसोसिएट्स के खिलाफ दिवालियापन की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था। वेदांता, जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने की प्रक्रिया CIRP के तहत ही कर रही है। वेदांता शुरुआत में इस कंपनी में 3,800 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसके बाद अगले पांच साल तक हर साल 2,500 से 3,000 करोड़ रुपये लगाएगी। इस तरह जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदने में वेदांता को लगभग 17,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। हालांकि अभी इस डील की कुल कीमत 12,505 करोड़ रुपये आंकी गई है।
जयप्रकाश एसोसिएट्स पर 57,185 करोड़ रुपये का कर्ज है। यह कंपनी बीएसई और एनएसई में लिस्टेड है। इसका बिजनस रियल एस्टेट, सीमेंट, होटल, इंजीनियरिंग, प्रॉक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन तक फैला है। इसकी कुछ ग्रुप कंपनियां पावर, फर्टिलाइजर, स्पोर्ट्स और एविएशन में भी हैं। हालांकि फिच ग्रुप की कंपनी CreditSights का कहना है कि जयप्रकाश एसोसिएट्स को खरीदना वेदांता के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि दोनों कंपनियों के कारोबार में कोई खास तालमेल नहीं है।
You may also like
पुलिस ने कोचिंग संचालक को करोड़ो की ठगी मामले में किया गिरफ्तार
तीन पति, सभी ने` छोड़ा, BF भी दे गया प्रेग्नेंट GF को धोखा, बच्चा होने के 6 महीने बाद हुआ ऐसा खुलासा कि…
सड़क पर तड़प रही` थी लड़की ड्राइवर ने टैक्सी बेचकर कराया इलाज बदले में लड़की ने उसके साथ जो किया वो आपको भी कर देगा हैरान
बिहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूर्णिया दौरा, स्थानीय लोगों ने जताई खुशी
सौरव गांगुली निर्विरोध सीएबी अध्यक्ष पद के लिए चुने जा सकते हैं