नई दिल्ली: एशिया कप फाइनल में भारत की जीत के हीरो रहे मध्यक्रम के बल्लेबाज तिलक वर्मा ने कहा कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों की छींटाकशी और आक्रामकता का सर्वश्रेष्ठ जवाब खिताब जीतना ही था और उन्होंने शुरुआत में बने दबाव से सहज पार पा लिया था। तिलक के नाबाद 69 रन की मदद से भारत ने दुबई में रविवार को खेले गए फाइनल में 5 विकेट से जीत दर्ज की।
तिलक वर्मा ने एशिया कप को लेकर क्या कहा?तिलक ने दुबई से कल रात यहां पहुंचने के बाद कहा, ‘शुरुआत में कुछ दबाव और तनाव था लेकिन मैने सबसे ऊपर अपने देश को रखा और मैं देश के लिये जीतना चाहता था। मुझे पता था कि दबाव के आगे घुटने टेक दूंगा तो अपने आप को और देश के 140 करोड़ लोगों को निराश करूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बेसिक्स पर भरोसा रखा जो मैंने शुरुआती दिनों में अपने कोचों से सीखे थे और उसका अनुसरण किया। उन्हें सबसे सही जवाब यही था कि हम एशिया कप जीत जाएं और हमने वही किया।’
बल्ले से देना था जवाब
तिलक ने स्वीकार किया कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने मैच में जमकर छींटाकशी की लेकिन उन्होंने खामोश रहना पसंद किया। उन्होंने कहा, ‘आपरेशन सिंदूर के बाद वे हमारे खिलाफ काफी आक्रामक हो गए थे। हमने उन्हें खेल को जिस तरीके से खेला जाना चाहिए, वैसे ही खेलकर जवाब दिया।’ उन्होंने कहा, ‘हमने तीन विकेट जल्दी गंवा दिए थे और माहौल काफी गर्म हो गया था। मैं जल्दी बल्लेबाजी करने आ गया लेकिन मैंने किसी को कुछ नहीं कहा और ना ही कोई खराब शॉट खेलकर टीम और देश को निराश किया।’
देश के लिए जान भी दे सकता हूं- तिलक
उन्होंने कहा कि एक बार भारत जीत गया तो उन्होंने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘मैच के दौरान मेरा फोकस बेसिक्स पर था और मैं उन्हें जवाब नहीं देना चाहता था। मुझे जो कुछ कहना था, वह मैंने मैच के बाद कहा। मैच में बहुत कुछ चल रहा था जो मैं बता नहीं सकता। भारत और पाकिस्तान के मैचों में यह होता है लेकिन हमारा फोकस मैच जीतने पर था।’ भारत को आखिरी ओवर में दस रन चाहिये थे और तिलक ने कहा कि वह तब तक दबाव से ऊपर उठ चुके थे।
उन्होंने कहा, ‘मुझ पर आखिरी ओवर में दबाव नहीं था। मुझे पता था कि मैं मैच जिता दूंगा। मैं अपने देश के बारे में ही सोच रहा था और गेंद दर गेंद रणनीति बना रहा था। मुझे गर्व है कि मैं यह कर सका। वक्त आने पर मैं देश के लिए जान भी दे सकता हूं।’ तिलक ने इस पारी को अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक बताया। उन्होंने कहा, ‘मैं इसे सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक कहूंगा। इसके अलावा इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में मैने नाबाद 72 रन बनाए थे जो बेहतरीन पारी थी। एशिया कप खेलना और पाकिस्तान के खिलाफ दबाव के हालात में फाइनल खेलना बहुत अच्छा अहसास था। मैं इस पारी को अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी कहूंगा।’
तिलक वर्मा ने एशिया कप को लेकर क्या कहा?तिलक ने दुबई से कल रात यहां पहुंचने के बाद कहा, ‘शुरुआत में कुछ दबाव और तनाव था लेकिन मैने सबसे ऊपर अपने देश को रखा और मैं देश के लिये जीतना चाहता था। मुझे पता था कि दबाव के आगे घुटने टेक दूंगा तो अपने आप को और देश के 140 करोड़ लोगों को निराश करूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बेसिक्स पर भरोसा रखा जो मैंने शुरुआती दिनों में अपने कोचों से सीखे थे और उसका अनुसरण किया। उन्हें सबसे सही जवाब यही था कि हम एशिया कप जीत जाएं और हमने वही किया।’
बल्ले से देना था जवाब
तिलक ने स्वीकार किया कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने मैच में जमकर छींटाकशी की लेकिन उन्होंने खामोश रहना पसंद किया। उन्होंने कहा, ‘आपरेशन सिंदूर के बाद वे हमारे खिलाफ काफी आक्रामक हो गए थे। हमने उन्हें खेल को जिस तरीके से खेला जाना चाहिए, वैसे ही खेलकर जवाब दिया।’ उन्होंने कहा, ‘हमने तीन विकेट जल्दी गंवा दिए थे और माहौल काफी गर्म हो गया था। मैं जल्दी बल्लेबाजी करने आ गया लेकिन मैंने किसी को कुछ नहीं कहा और ना ही कोई खराब शॉट खेलकर टीम और देश को निराश किया।’
देश के लिए जान भी दे सकता हूं- तिलक
उन्होंने कहा कि एक बार भारत जीत गया तो उन्होंने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘मैच के दौरान मेरा फोकस बेसिक्स पर था और मैं उन्हें जवाब नहीं देना चाहता था। मुझे जो कुछ कहना था, वह मैंने मैच के बाद कहा। मैच में बहुत कुछ चल रहा था जो मैं बता नहीं सकता। भारत और पाकिस्तान के मैचों में यह होता है लेकिन हमारा फोकस मैच जीतने पर था।’ भारत को आखिरी ओवर में दस रन चाहिये थे और तिलक ने कहा कि वह तब तक दबाव से ऊपर उठ चुके थे।
उन्होंने कहा, ‘मुझ पर आखिरी ओवर में दबाव नहीं था। मुझे पता था कि मैं मैच जिता दूंगा। मैं अपने देश के बारे में ही सोच रहा था और गेंद दर गेंद रणनीति बना रहा था। मुझे गर्व है कि मैं यह कर सका। वक्त आने पर मैं देश के लिए जान भी दे सकता हूं।’ तिलक ने इस पारी को अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक बताया। उन्होंने कहा, ‘मैं इसे सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक कहूंगा। इसके अलावा इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में मैने नाबाद 72 रन बनाए थे जो बेहतरीन पारी थी। एशिया कप खेलना और पाकिस्तान के खिलाफ दबाव के हालात में फाइनल खेलना बहुत अच्छा अहसास था। मैं इस पारी को अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी कहूंगा।’
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