छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 26 बच्चों की जहरीले कफ सिरप से हुई मौत के मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शासकीय अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर प्रवीण सोनी, जो अपना निजी क्लीनिक भी चलाते थे, बच्चों के लिए ऐसा सिरप लिखते थे जो वास्तव में मौजूद ही नहीं था। उनकी पत्नी ज्योति, जो एक मेडिकल स्टोर चलाती हैं, डॉक्टर के पर्चे पर लिखे सिरप के बदले कोल्ड्रिफ कफ सिरप देती थीं, जिसमें डीईजी की अधिक मात्रा होने के कारण बच्चों की मौत हो गई। डॉक्टर और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
गलत नाम से लिखते थे सिरप
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि डॉक्टर प्रवीण सोनी जानबूझकर गलत नाम से सिरप लिखते थे। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि अन्य मेडिकल स्टोर वाले उस सिरप को न दे सकें और केवल उनकी पत्नी के मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदी जाए। पुलिस ने कई पर्चों की जांच की है। एक पर्चे में नेस्ट्रो-पीएल कफ सिरप लिखा गया था, जो चिकित्सकों के अनुसार उपलब्ध नहीं है।
परिजनों को Coldrif देती थी पत्नी
जब बच्चे के परिजन दवा खरीदने गए तो उन्हें कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया गया। इस सिरप के सेवन के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। यह घटना मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुई है। इस मामले में डॉक्टर सोनी और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के मालिक और केमिकल एनालिस्ट को भी गिरफ्तार किया गया है। जांच में यह पाया गया कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में 42 प्रतिशत डीईजी की मात्रा थी। यह डीईजी की अधिक मात्रा ही बच्चों की मौत का मुख्य कारण बनी।
पर्चों की पड़ताल में खुला मामला
पुलिस की जांच में पर्चों की पड़ताल महत्वपूर्ण साबित हुई। नेस्ट्रो-पीएल कफ सिरप का उल्लेख एक ऐसे सिरप के रूप में सामने आया जो बाजार में उपलब्ध नहीं है। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि डॉक्टर द्वारा जानबूझकर एक ऐसी दवा का पर्चा लिखा गया था जिसे आसानी से प्राप्त नहीं किया जा सकता था।
गलत नाम से लिखते थे सिरप
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि डॉक्टर प्रवीण सोनी जानबूझकर गलत नाम से सिरप लिखते थे। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि अन्य मेडिकल स्टोर वाले उस सिरप को न दे सकें और केवल उनकी पत्नी के मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदी जाए। पुलिस ने कई पर्चों की जांच की है। एक पर्चे में नेस्ट्रो-पीएल कफ सिरप लिखा गया था, जो चिकित्सकों के अनुसार उपलब्ध नहीं है।
परिजनों को Coldrif देती थी पत्नी
जब बच्चे के परिजन दवा खरीदने गए तो उन्हें कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया गया। इस सिरप के सेवन के बाद बच्चे की तबीयत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। यह घटना मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुई है। इस मामले में डॉक्टर सोनी और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के मालिक और केमिकल एनालिस्ट को भी गिरफ्तार किया गया है। जांच में यह पाया गया कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में 42 प्रतिशत डीईजी की मात्रा थी। यह डीईजी की अधिक मात्रा ही बच्चों की मौत का मुख्य कारण बनी।
पर्चों की पड़ताल में खुला मामला
पुलिस की जांच में पर्चों की पड़ताल महत्वपूर्ण साबित हुई। नेस्ट्रो-पीएल कफ सिरप का उल्लेख एक ऐसे सिरप के रूप में सामने आया जो बाजार में उपलब्ध नहीं है। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि डॉक्टर द्वारा जानबूझकर एक ऐसी दवा का पर्चा लिखा गया था जिसे आसानी से प्राप्त नहीं किया जा सकता था।
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