दिवाली के दिन जब सारा देश खुशियां मना रहा था, सारी जिंदगी दर्शकों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने वाले दिग्गज अभिनेता असरानी दुनिया को अलविदा कह गए। हालांकि, अपने कॉमिक अंदाज से भारतीय सिनेमा को समृद्ध करने वाले असरानी की हंसी और कला की विरासत उन्हें हमेशा जीवित रखेगी, क्योंकि ऐसे सच्चे कलाकारों की चमक कभी फीकी नहीं पड़ती।
'अरे, अभी एक हफ्ते पहले ही तो आप जोर से हमारे गले लगे थे। यूं अचानक छोड़कर चले गए।' यह हैरत भरी प्रतिक्रिया है, सुपरस्टार अक्षय कुमार की, जिन्हें यकीन नहीं हो रहा कि एक हफ्ता पहले ही उनके साथ फिल्म हैवान की शूटिंग करने वाले बेहतरीन अदाकार असरानी अब दुनिया में नहीं रहे। सिर्फ अक्षय ही नहीं, सारी जिंदगी अपनी अनूठी हास्य शैली से लोगों को हंसाने वाले असरानी के निधन से उनके तमाम फैंस भी स्तब्ध हैं। 20 अक्टूबर को जब हर कोई दिवाली का जश्न मना रहा था, असरानी 84 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए। वह फेफड़ों की समस्या के चलते कुछ दिनों से मुंबई के भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती थे। उनका अंतिम संस्कार उनकी इच्छानुसार सांताक्रूज श्मशान में निजी रूप से किया गया, जहां पत्नी मंजू बंसल, परिवार और करीबी मित्र ही मौजूद थे।
फीस भरने के लिए रेडियो से जुड़े1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे गोवर्धन असरानी एक भरे-पूरे मध्यमवर्गीय सिंधी परिवार में बड़े हुए। पिता की कालीन की दुकान थी, जिसमें उन्हें कोई रुचि नहीं थी। वहीं, पढ़ाई के मामले में उनकी गणित कमजोर निकली। हालांकि, कला से उनका जुड़ाव पढ़ाई के कारण ही हुआ था। असल में, उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए ही ऑल इंडिया रेडियो में बतौर वॉयस आर्टिस्ट काम शुरू किया था। बताते हैं कि साल 1954-55 के उस दौर में उन्हें 5 रुपये मिलते थे। बाद में, ऐक्टिंग की ओर झुकाव बढ़ने पर उन्होंने साहित्य कलभाई ठक्कर से अभिनय सीखा। फिर किशोर साहू और हृषिकेश मुखर्जी की सलाह पर 1963 में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) जॉइन कर लिया।
350 से अधिक फिल्मों में हंसायासारी ज़िंदगी सेट पर बिताने वाले असरानी बॉलिवुड के सबसे सक्रिय कलाकारों में से एक थे। उनके करियर की शुरुआत 1967 में गुजराती फिल्म हरे कांच की चूड़ियां से हुई। इसके बाद 50 साल से ज्यादा लंबे करियर में उन्होंने 350 से ज्यादा हिंदी और गुजराती फिल्मों में अलग-अलग चरित्र किरदार निभाए। यह उनके अभिनय का ही दम था कि सत्यकाम (1969) और मेरे अपने (1971) जैसी शुरुआती फिल्मों में छोटी भूमिकाओं के बावजूद उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। जबकि 1970 के दशक में तो वह लगभग हर बड़ी फिल्म का नमक थे, मानो उनके बिना फिल्म में स्वाद ही नहीं आ पाएगा। 1970 के दशक में उन्होंने 101 और 1980 में 107 फिल्मों में काम किया। इनमें, बावर्ची, महबूबा, अभिमान, चुपके चुपके, छोटी सी बात, पति, पत्नी और वो, रफू चक्कर, चरस, खून पसीना जैसी तमाम फिल्में शामिल हैं। फिर, शोले 1975 में उनके आइकॉनिक जेलर की भूमिका और डायलॉग हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं को कौन भूल सकता है। यही नहीं, असरानी 2000 के दशक के बाद भी हेरा फेरी, भूल भुलैया, धमाल, ड्रीम गर्ल 2 जैसी बड़ी फिल्मों का हिस्सा रहे। ऐक्टिंग के अलावा, उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया। उनकी आखिरी फिल्म 'नॉन स्टॉप धमाल' (2023) थी।
कई ऐक्टर-डायरेक्टर के साथ हिट जोड़ीअपने लंबे करियर में असरानी की कई ऐक्टर्स-डायरेक्टर्स के साथ खास बॉन्डिंग रही। जैसे, हृषिकेश मुखर्जी, गुलजार, प्रियदर्शन जैसे निर्देशकों के पसंदीदा कलाकार रहे। वहीं, राजेश खन्ना के साथ 'बावर्ची' (1972), 'घर परिवार' (1991), 'चुपके चुपके' (1975)तक, नमक हराम' (1973) जैसी 25 फिल्मों में काम किया। इसी तरह, बाद के दौर में अक्षय कुमार के साथ हेरा फेरी’ से लेकर भागम भाग, ‘दे दना दन’, ‘वेलकम’ और अनरिलीज्ड फिल्म ‘भूत बंगला’ और ‘हैवान’ तक कई फिल्मों में काम किया।
सदा जिंदा रहेगा 'अंग्रेजों के जमाने का जेलर'ऐसे कलाकार विरले होते हैं, जो दशक दर दशक अपनी जगह बनाए रख सकें, असरानी उन्हीं में से एक थे। ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में निभाए जेलर की भूमिका और उनका डायलॉग "हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं" पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान लाता है। इस रोल में उन्होंने अपने अलहदा अंदाज में एडोल्फ हिटलर की पैरोडी की थी, जो लोगों को खूब भाई। इसके अलावा भी उनके कई डायलॉग और रिएक्शन मीम्स का मसाला बनते रहते हैं। लिहाजा, हास्य और कला की उनकी यह विरासत हमेशा जिंदा रहेगी।
काम मांगने में भी नहीं हिचकिचाएअसरानी के 5 दशक लंबी पारी में लगातार सक्रिय रहने में एक बड़ी वजह काम के प्रति उनकी भूख रही। इसका नज़ीर फिल्म ड्रीमगर्ल 2 के निर्देशक राज शांडिल्य के साझा किए उस वाकये से मिलता है, जब असरानी ने खुद उन्हें फोन करके काम करने की इच्छा जताई थी। राज शांडिल्य बताते हैं, 'ड्रीम गर्ल के रिलीज के बाद उन्हें असरानी जी का फोन आया और मिलने पर उन्होंने कहा, राज तुमने बहुत अच्छी फिल्म बनाई है। मुझे तुम्हारी अगली फ़िल्म में काम करना है।' यही वजह थी कि ड्रीम गर्ल 2 की स्क्रिप्ट पूरी होने के बावजूद राज ने असरानी जी के लिए नए सिरे से किरदार लिखा।
याद आएगा आपका हंसाने वाला अंदाजश्री गोवर्धन असरानी जी के निधन से गहरा दुख हुआ। एक प्रतिभाशाली मनोरंजनकर्ता और वास्तव में बहुमुखी कलाकार। उन्होंने पीढ़ियों से दर्शकों का मनोरंजन किया। अपनी कभी न भूल पाने वाली परफॉर्मेंसेज के जरिए अनगिनत लोगों के जीवन में खुशी और हंसी बिखेरी। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को हमेशा संजोया जाएगा। - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रिय असरानी जी! अपने व्यक्तित्व से दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए धन्यवाद! पर्दे पर और पर्दे के पीछे! हम आपको याद करेंगे! लेकिन सिनेमा और लोगों को हंसाने की आपकी क्षमता आपको आने वाले वर्षों तक जीवित रखेगी! ओम शांति!'
-अनुपम खेर, अभिनेता
असरानी जी के चले जाने के दुख में मैं स्तब्ध हूं। हमने अभी से एक सप्ताह पहले ‘हैवान’ की शूट के दौरान एक-दूसरे को गर्मजोशी से गले लगाया था। बहुत प्यारे इंसान थे… उनका कॉमिक टाइमिंग लीजेंडरी था। हेरा फेरी, दे दना दन, वेलकम और अनरिलीज फिल्म भूत बंगला और हैवान तक… उनके साथ काम किया और बहुत कुछ सीखा। इंडस्ट्री के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है।
- अक्षय कुमार, एक्टर
उनके निधन की ख़बर सुनके मैं बहुत ज़्यादा भावुक हो गया। उनकी एनर्जी, उनकी मुस्कान और उनका ड्रीम गर्ल 2 के सुपर हिट होने के बाद मुझसे ये कहना कि राज इसी तरह लोगों को हंसाते रहना, अगली फ़िल्म का इंतजार करूंगा। असरानी जी, मुझे यकीन है आप स्वर्ग जाके भगवान को हंसा ही रहे होंगे। ॐ शान्ति: - राज शांडिल्य, डायरेक्टर
'अरे, अभी एक हफ्ते पहले ही तो आप जोर से हमारे गले लगे थे। यूं अचानक छोड़कर चले गए।' यह हैरत भरी प्रतिक्रिया है, सुपरस्टार अक्षय कुमार की, जिन्हें यकीन नहीं हो रहा कि एक हफ्ता पहले ही उनके साथ फिल्म हैवान की शूटिंग करने वाले बेहतरीन अदाकार असरानी अब दुनिया में नहीं रहे। सिर्फ अक्षय ही नहीं, सारी जिंदगी अपनी अनूठी हास्य शैली से लोगों को हंसाने वाले असरानी के निधन से उनके तमाम फैंस भी स्तब्ध हैं। 20 अक्टूबर को जब हर कोई दिवाली का जश्न मना रहा था, असरानी 84 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए। वह फेफड़ों की समस्या के चलते कुछ दिनों से मुंबई के भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती थे। उनका अंतिम संस्कार उनकी इच्छानुसार सांताक्रूज श्मशान में निजी रूप से किया गया, जहां पत्नी मंजू बंसल, परिवार और करीबी मित्र ही मौजूद थे।
फीस भरने के लिए रेडियो से जुड़े1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे गोवर्धन असरानी एक भरे-पूरे मध्यमवर्गीय सिंधी परिवार में बड़े हुए। पिता की कालीन की दुकान थी, जिसमें उन्हें कोई रुचि नहीं थी। वहीं, पढ़ाई के मामले में उनकी गणित कमजोर निकली। हालांकि, कला से उनका जुड़ाव पढ़ाई के कारण ही हुआ था। असल में, उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए ही ऑल इंडिया रेडियो में बतौर वॉयस आर्टिस्ट काम शुरू किया था। बताते हैं कि साल 1954-55 के उस दौर में उन्हें 5 रुपये मिलते थे। बाद में, ऐक्टिंग की ओर झुकाव बढ़ने पर उन्होंने साहित्य कलभाई ठक्कर से अभिनय सीखा। फिर किशोर साहू और हृषिकेश मुखर्जी की सलाह पर 1963 में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) जॉइन कर लिया।
350 से अधिक फिल्मों में हंसायासारी ज़िंदगी सेट पर बिताने वाले असरानी बॉलिवुड के सबसे सक्रिय कलाकारों में से एक थे। उनके करियर की शुरुआत 1967 में गुजराती फिल्म हरे कांच की चूड़ियां से हुई। इसके बाद 50 साल से ज्यादा लंबे करियर में उन्होंने 350 से ज्यादा हिंदी और गुजराती फिल्मों में अलग-अलग चरित्र किरदार निभाए। यह उनके अभिनय का ही दम था कि सत्यकाम (1969) और मेरे अपने (1971) जैसी शुरुआती फिल्मों में छोटी भूमिकाओं के बावजूद उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। जबकि 1970 के दशक में तो वह लगभग हर बड़ी फिल्म का नमक थे, मानो उनके बिना फिल्म में स्वाद ही नहीं आ पाएगा। 1970 के दशक में उन्होंने 101 और 1980 में 107 फिल्मों में काम किया। इनमें, बावर्ची, महबूबा, अभिमान, चुपके चुपके, छोटी सी बात, पति, पत्नी और वो, रफू चक्कर, चरस, खून पसीना जैसी तमाम फिल्में शामिल हैं। फिर, शोले 1975 में उनके आइकॉनिक जेलर की भूमिका और डायलॉग हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं को कौन भूल सकता है। यही नहीं, असरानी 2000 के दशक के बाद भी हेरा फेरी, भूल भुलैया, धमाल, ड्रीम गर्ल 2 जैसी बड़ी फिल्मों का हिस्सा रहे। ऐक्टिंग के अलावा, उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया। उनकी आखिरी फिल्म 'नॉन स्टॉप धमाल' (2023) थी।
कई ऐक्टर-डायरेक्टर के साथ हिट जोड़ीअपने लंबे करियर में असरानी की कई ऐक्टर्स-डायरेक्टर्स के साथ खास बॉन्डिंग रही। जैसे, हृषिकेश मुखर्जी, गुलजार, प्रियदर्शन जैसे निर्देशकों के पसंदीदा कलाकार रहे। वहीं, राजेश खन्ना के साथ 'बावर्ची' (1972), 'घर परिवार' (1991), 'चुपके चुपके' (1975)तक, नमक हराम' (1973) जैसी 25 फिल्मों में काम किया। इसी तरह, बाद के दौर में अक्षय कुमार के साथ हेरा फेरी’ से लेकर भागम भाग, ‘दे दना दन’, ‘वेलकम’ और अनरिलीज्ड फिल्म ‘भूत बंगला’ और ‘हैवान’ तक कई फिल्मों में काम किया।
सदा जिंदा रहेगा 'अंग्रेजों के जमाने का जेलर'ऐसे कलाकार विरले होते हैं, जो दशक दर दशक अपनी जगह बनाए रख सकें, असरानी उन्हीं में से एक थे। ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में निभाए जेलर की भूमिका और उनका डायलॉग "हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं" पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान लाता है। इस रोल में उन्होंने अपने अलहदा अंदाज में एडोल्फ हिटलर की पैरोडी की थी, जो लोगों को खूब भाई। इसके अलावा भी उनके कई डायलॉग और रिएक्शन मीम्स का मसाला बनते रहते हैं। लिहाजा, हास्य और कला की उनकी यह विरासत हमेशा जिंदा रहेगी।
काम मांगने में भी नहीं हिचकिचाएअसरानी के 5 दशक लंबी पारी में लगातार सक्रिय रहने में एक बड़ी वजह काम के प्रति उनकी भूख रही। इसका नज़ीर फिल्म ड्रीमगर्ल 2 के निर्देशक राज शांडिल्य के साझा किए उस वाकये से मिलता है, जब असरानी ने खुद उन्हें फोन करके काम करने की इच्छा जताई थी। राज शांडिल्य बताते हैं, 'ड्रीम गर्ल के रिलीज के बाद उन्हें असरानी जी का फोन आया और मिलने पर उन्होंने कहा, राज तुमने बहुत अच्छी फिल्म बनाई है। मुझे तुम्हारी अगली फ़िल्म में काम करना है।' यही वजह थी कि ड्रीम गर्ल 2 की स्क्रिप्ट पूरी होने के बावजूद राज ने असरानी जी के लिए नए सिरे से किरदार लिखा।
याद आएगा आपका हंसाने वाला अंदाजश्री गोवर्धन असरानी जी के निधन से गहरा दुख हुआ। एक प्रतिभाशाली मनोरंजनकर्ता और वास्तव में बहुमुखी कलाकार। उन्होंने पीढ़ियों से दर्शकों का मनोरंजन किया। अपनी कभी न भूल पाने वाली परफॉर्मेंसेज के जरिए अनगिनत लोगों के जीवन में खुशी और हंसी बिखेरी। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को हमेशा संजोया जाएगा। - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रिय असरानी जी! अपने व्यक्तित्व से दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए धन्यवाद! पर्दे पर और पर्दे के पीछे! हम आपको याद करेंगे! लेकिन सिनेमा और लोगों को हंसाने की आपकी क्षमता आपको आने वाले वर्षों तक जीवित रखेगी! ओम शांति!'
-अनुपम खेर, अभिनेता
असरानी जी के चले जाने के दुख में मैं स्तब्ध हूं। हमने अभी से एक सप्ताह पहले ‘हैवान’ की शूट के दौरान एक-दूसरे को गर्मजोशी से गले लगाया था। बहुत प्यारे इंसान थे… उनका कॉमिक टाइमिंग लीजेंडरी था। हेरा फेरी, दे दना दन, वेलकम और अनरिलीज फिल्म भूत बंगला और हैवान तक… उनके साथ काम किया और बहुत कुछ सीखा। इंडस्ट्री के लिए यह बहुत बड़ी क्षति है।
- अक्षय कुमार, एक्टर
उनके निधन की ख़बर सुनके मैं बहुत ज़्यादा भावुक हो गया। उनकी एनर्जी, उनकी मुस्कान और उनका ड्रीम गर्ल 2 के सुपर हिट होने के बाद मुझसे ये कहना कि राज इसी तरह लोगों को हंसाते रहना, अगली फ़िल्म का इंतजार करूंगा। असरानी जी, मुझे यकीन है आप स्वर्ग जाके भगवान को हंसा ही रहे होंगे। ॐ शान्ति: - राज शांडिल्य, डायरेक्टर
You may also like
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे... वो मुस्लिम बेटा, देशभक्ति के लिए जिसकी आज भी लोग खाते हैं कसमें
दीपावली पर कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो और हैंडीक्राफ्ट जैसे उत्पादों की बिक्री बढ़ना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत : अर्थशास्त्री
देवेन वर्मा : बॉलीवुड के 'सबसे प्यारे' हास्य कलाकार, जिन्होंने बनाई अपनी अलग पहचान
UCO Bank Apprentice Recruitment 2025: 532 पदों पर आवेदन करने का सुनहरा मौका, सीधा लिंक है यहां
JNVST 2026: खुशखबरी!नवोदय विद्यालय एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन डेट बढ़ी, अब इस तक भरे जाएंगे फॉर्म