नई दिल्ली: करीब 47 साल पुरानी बात है। साल था 1978, जब इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने भारत के एक वैज्ञानिक को निजी मेहमान के तौर पर अपने देश के दौरे पर बुलाया। तय कार्यक्रम के मुताबिक, भारत के यह वैज्ञानिक इराक पहुंचे और उन्हें परमाणु केंद्र का दौरा कराया गया। सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी कुछ ऐसा हुआ, जिससे इस भारतीय वैज्ञानिक के सामने बड़ी ही अजीब स्थिति पैदा हो गई। दरअसल, सद्दाम हुसैन ने एक चौंकाने वाला ऑफर देते हुए, उनसे कहा कि वह इराक का परमाणु कार्यक्रम अपने हाथों में ले लें। सद्दाम उस समय अपना परमाणु बम बनाना चाहता थे।सद्दाम हुसैन ने कहा, 'अपने देश के लिए आपने बहुत किया है। लेकिन, मैं चाहता हूं कि अब आप यहीं रहें। आप हमारे देश का परमाणु कार्यक्रम संभालिए। बदले में आपको जो रकम चाहिए, वो मैं देने को तैयार हूं।' भारतीय वैज्ञानिक ये ऑफर सुनकर हैरान रह गए। पद काफी बड़ा था, साथ में मुंह मांगी तन्ख्वाह का भी ऑफर था। वैज्ञानिक ने एक पल सोचा और बहुत ही सम्मान के साथ इस ऑफर को ठुकरा दिया।वैज्ञानिक ने अगले दिन भारत की फ्लाइट ली और अपने देश वापस आ गए। इस वैज्ञानिक का नाम था डॉक्टर राजा रमन्ना, जिन्होंने लालच छोड़कर भारत के प्रति अपनी निष्ठा को चुना। डॉक्टर राजा रमन्ना वो नाम थे, जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। वो रमन्ना ही थे, जिन्होंने भारत के पहले परमाणु परीक्षण पोखरण-I को राजस्थान के रेगिस्तान में अंजाम दिया।28 जनवरी 1925 को कर्नाटक के तुमकुर में जन्मे राजा रमन्ना ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में विज्ञान की पढ़ाई की। इसके बाद वह लंदन चले गए। यहां उन्होंने किंग्स कॉलेज से भौतिकी में पीएचडी की। 1949 में वह भारत लौट आए। भारत लौटने पर होमी भाभा ने उन्हें भारतीय परमाणु कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बुलाया। राजा रमन्ना ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक के रूप में दो बार काम किया। पद्म विभूषण से नवाजे गए रमन्नाराजा रमन्ना के कार्यकाल में ही 1974 में भारत ने अपना पहला परमाणु बम परीक्षण किया। इस काम के लिए उन्हें भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया। बाद में वह रक्षा राज्य मंत्री और राज्यसभा के सदस्य भी रहे। राजा रमन्ना के साथ इराक में घटी घटना की तुलना पाकिस्तान के वैज्ञानिक एक्यू खान के साथ भी की जाती है। एक तरफ रमन्ना ने इराक का ऑफर ठुकराया था। वहीं, एक्यू खान ने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को परमाणु सीक्रेट्स बेचे थे। क्यों दिया गया था स्माइलिंग बुद्धा नाम?1972 में जब इंदिरा गांधी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र का दौरा कर रही थीं, तब उन्होंने वैज्ञानिकों को एक परमाणु उपकरण बनाने और उसका परीक्षण करने की अनुमति दी थी। रमन्ना उस समय BARC के निदेशक थे। इस उपकरण को 'शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट' कहा गया और नाम दिया गया- 'स्माइलिंग बुद्धा'। ऐसा इसलिए, क्योंकि परीक्षण बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया था। भारत के दोस्त भी नहीं थे परीक्षण से खुशपोखरण में परीक्षण के समय सिर्फ कुछ लोगों को ही इसके बारे में पता था। इनमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके सलाहकार पीएन हक्सर और डीपी धर शामिल थे। परीक्षण के बाद रमन्ना और इसमें शामिल दूसरे वैज्ञानिक राष्ट्रीय नायक बन गए। परीक्षण ने इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को भी बढ़ा दिया। रमन्ना ने बाद में कहा कि दुनिया में कोई भी भारत की सफलता से खुश नहीं था। यहां तक कि वो देश भी नहीं, जो भारत के दोस्त थे। इन देशों को भरोसा ही नहीं हुआ कि भारत ने खुद ही परमाणु परीक्षण किया है।
You may also like
उद्योग मंत्री देवांगन आज कोरबा में आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला में होंगे शामिल
तेज रफ्तार का कहर: ममेरे भाइयों की मौत, एक घायल
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान दूतावास में जिस शख्स ने पहुंचाया था केक, उसी के साथ यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की तस्वीर हो रही वायरल, देखें यहाँ
रॉयल्स और किंग्स की भिड़ंत: आज कौन बचाएगा अपनी साख?
RBSE: कक्षा 10वीं और 12वीं के परिणाम को लेकर आया बड़ा अपडेट, किसी भी समय सामने आ सकती हैं तारीख