कोलकाता : कलकत्ता लॉ कॉलेज रेप केस में मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा को लेकर रोज नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अब पता चला है कि मनोजीत हर साल 10 से 15 एडमिशन कराता था। इसके लिए वह 50,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक वसूलता था। सूत्रों की मानें तो कॉलेज में उसकी ताकत का कारण उसका पैसा था। लॉ कॉलेज के छात्रों ने बताया कि मोनोजीत, जिसे 'मैंगो' के नाम से भी जाना जाता था, कॉलेज के गेट के पास चाय की दुकान पर या पास के पेड़ के नीचे खड़ा रहता था। वह एडमिशन के समय छात्रों से बात करता था।
एक छात्र, जो अब दूसरे साल में है, उसने कहा, 'जब मैं एडमिशन लेने कॉलेज आया, तो मैं मोनोजीत से चाय की दुकान पर मिला। उसने मुझसे कहा कि अगर मैं किसी ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो लॉ की पढ़ाई करना चाहता है, तो मैं उसे उससे मिलवा सकता हूं। इसके लिए 50,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक लगेंगे।'
कम रैंक के बावजूद दिलवा देता था एडमिशनएक और दूसरे साल के छात्र, वाग्मी त्रिवेदी ने कहा, 'मोनोजीत हर साल पैसे लेकर 10 से 15 एडमिशन कराता था। लॉ के एंट्रेंस एग्जाम में छात्रों को 500 के अंदर रैंक लानी होती है, तभी उन्हें एडमिशन मिलता है। लेकिन हमारे यहां ऐसे छात्र भी हैं जिनकी रैंक 2,000 से भी ज्यादा है, फिर भी उन्हें जनरल कैटेगरी में एडमिशन मिल गया।' छात्रों ने बताया कि ज़ैब अहमद, जो दूसरा आरोपी है, उसकी लॉ एंट्रेंस टेस्ट में रैंक 2634 थी। इसका मतलब है, कम रैंक होने के बावजूद उसका एडमिशन हो गया।
बैकडोर एंट्री से खाली सीटें भरने का खेलएक और लॉ के छात्र ने बताया कि मैंगो बैकडोर एडमिशन में बहुत मदद करता था। वह बैकडोर एंट्री के लिए रेट तय करता था, 50,000 रुपये से लेकर 1-3 लाख रुपये तक लेता था। जिन छात्रों को इस तरह से सीट मिलती थी, वे मोनोजीत के फॉलोवर बन जाते थे। ये एडमिशन रेगुलर प्रोसेस के साथ-साथ चलते थे। कभी-कभी, पहले राउंड के बाद जो सीटें खाली रह जाती थीं, उन्हें 'बैकडोर एंट्री' से भर दिया जाता था।
कल्चरल प्रोग्राम और फेस्टिवल में भी था दबदबाएक लड़की ने चाय की दुकान की ओर इशारा करते हुए कहा, 'वे वहां घूमते रहते थे और कम रैंक वाले परेशान छात्रों को फंसाते थे। वे उनसे पैसे लेकर सीट दिलाने का वादा करते थे। उनमें से कुछ अगले साल वही काम करते थे, और इस तरह शोषण का चक्र चलता रहता था। लड़की ने यह भी कहा कि मोनोजीत कल्चरल प्रोग्राम और फेस्टिवल के लिए भी छात्रों से पैसे लेता था और उसके खिलाफ कई वित्तीय अनियमितता के मामले भी हैं।
निकाला गया, लेकिन फिर हुई वापसीएक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि पैसे लेकर एडमिशन हमेशा से होता रहा है। ऑफिशियल तौर पर 120 सीटें हैं। लेकिन कम से कम 10 से 15 सीटें और ज्यादा पैसे लेकर बेची जाती हैं। मैंगो को 2021 में कॉलेज TMCP यूनिट से निकाल दिया गया था और 2022 में, TMCP यूनिट के दूसरे सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। यूनिट को भंग कर दिया गया और 2023 में मैंगो को अनऑफिशियली कॉलेज का चार्ज दे दिया गया। 2024 में उसकी नौकरी कॉलेज के मामलों और एडमिशन को कंट्रोल करने की थी।
टीएमसी में पहुंच को बनाई सीढ़ी!मनोजित मिश्रा को लेकर सामने आया है कि उसका कॉलेज में बहुत दबदबा था। उससे लोग डरते भी थे। कोई भी उसका खुलकर विरोध नहीं कर सकता था। कॉलेज में प्रिंसिपल से लेकर प्रफेसर तक हर कोई उससे दबाव महसूस करते थे। ऐसा क्यों था, फिलहाल यह साफ नहीं है। वहीं सूत्रों की मानें तो टीएमसी में उसकी ऊंची पहुंच के चलते कोई उससे पंगा लेता था।
एक छात्र, जो अब दूसरे साल में है, उसने कहा, 'जब मैं एडमिशन लेने कॉलेज आया, तो मैं मोनोजीत से चाय की दुकान पर मिला। उसने मुझसे कहा कि अगर मैं किसी ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो लॉ की पढ़ाई करना चाहता है, तो मैं उसे उससे मिलवा सकता हूं। इसके लिए 50,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक लगेंगे।'
कम रैंक के बावजूद दिलवा देता था एडमिशनएक और दूसरे साल के छात्र, वाग्मी त्रिवेदी ने कहा, 'मोनोजीत हर साल पैसे लेकर 10 से 15 एडमिशन कराता था। लॉ के एंट्रेंस एग्जाम में छात्रों को 500 के अंदर रैंक लानी होती है, तभी उन्हें एडमिशन मिलता है। लेकिन हमारे यहां ऐसे छात्र भी हैं जिनकी रैंक 2,000 से भी ज्यादा है, फिर भी उन्हें जनरल कैटेगरी में एडमिशन मिल गया।' छात्रों ने बताया कि ज़ैब अहमद, जो दूसरा आरोपी है, उसकी लॉ एंट्रेंस टेस्ट में रैंक 2634 थी। इसका मतलब है, कम रैंक होने के बावजूद उसका एडमिशन हो गया।
बैकडोर एंट्री से खाली सीटें भरने का खेलएक और लॉ के छात्र ने बताया कि मैंगो बैकडोर एडमिशन में बहुत मदद करता था। वह बैकडोर एंट्री के लिए रेट तय करता था, 50,000 रुपये से लेकर 1-3 लाख रुपये तक लेता था। जिन छात्रों को इस तरह से सीट मिलती थी, वे मोनोजीत के फॉलोवर बन जाते थे। ये एडमिशन रेगुलर प्रोसेस के साथ-साथ चलते थे। कभी-कभी, पहले राउंड के बाद जो सीटें खाली रह जाती थीं, उन्हें 'बैकडोर एंट्री' से भर दिया जाता था।
कल्चरल प्रोग्राम और फेस्टिवल में भी था दबदबाएक लड़की ने चाय की दुकान की ओर इशारा करते हुए कहा, 'वे वहां घूमते रहते थे और कम रैंक वाले परेशान छात्रों को फंसाते थे। वे उनसे पैसे लेकर सीट दिलाने का वादा करते थे। उनमें से कुछ अगले साल वही काम करते थे, और इस तरह शोषण का चक्र चलता रहता था। लड़की ने यह भी कहा कि मोनोजीत कल्चरल प्रोग्राम और फेस्टिवल के लिए भी छात्रों से पैसे लेता था और उसके खिलाफ कई वित्तीय अनियमितता के मामले भी हैं।
निकाला गया, लेकिन फिर हुई वापसीएक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि पैसे लेकर एडमिशन हमेशा से होता रहा है। ऑफिशियल तौर पर 120 सीटें हैं। लेकिन कम से कम 10 से 15 सीटें और ज्यादा पैसे लेकर बेची जाती हैं। मैंगो को 2021 में कॉलेज TMCP यूनिट से निकाल दिया गया था और 2022 में, TMCP यूनिट के दूसरे सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। यूनिट को भंग कर दिया गया और 2023 में मैंगो को अनऑफिशियली कॉलेज का चार्ज दे दिया गया। 2024 में उसकी नौकरी कॉलेज के मामलों और एडमिशन को कंट्रोल करने की थी।
टीएमसी में पहुंच को बनाई सीढ़ी!मनोजित मिश्रा को लेकर सामने आया है कि उसका कॉलेज में बहुत दबदबा था। उससे लोग डरते भी थे। कोई भी उसका खुलकर विरोध नहीं कर सकता था। कॉलेज में प्रिंसिपल से लेकर प्रफेसर तक हर कोई उससे दबाव महसूस करते थे। ऐसा क्यों था, फिलहाल यह साफ नहीं है। वहीं सूत्रों की मानें तो टीएमसी में उसकी ऊंची पहुंच के चलते कोई उससे पंगा लेता था।
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