दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पिछले दो-तीन दिनों से GPS स्पूफिंग हो रही है। यह पहली बार हुआ है। इससे उड़ानें प्रभावित हो रही हैं। खासकर जब पूर्वी हवाएं चलती हैं, तो समस्या बढ़ जाती है। जहाज द्वारका की तरफ से लैंडिंग करते हैं और वसंत कुंज की तरफ टेकऑफ करते हैं। इससे एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ गई है और कई उड़ानें डायवर्ट करनी पड़ी हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि GPS स्पूफिंग क्या है और इससे उड़ानें कैसे प्रभावित होती हैं।
800 से ज्यादा उड़ान प्रभावितरिपोर्ट्स बताती हैं कि शुक्रवार को भी एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण 800 से ज्यादा उड़ानें देरी से चलीं। इसका असर उत्तर भारत के ज्यादातर हवाई अड्डों पर पड़ा और सैकड़ों अन्य उड़ानें भी प्रभावित हुईं। मंगलवार रात को ही इंडिगो के पांच और एयर इंडिया के दो जहाज जयपुर डायवर्ट हुए।
क्या है GPS स्पूफिंग ( What is GPS Spoofing )GPS स्पूफिंग एक धोखा देने वाली तकनीक है। इसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजे जाते हैं। ये सिग्नल GPS रिसीवर को गलत जगह, डायरेक्शन और समय की जानकारी देते हैं। इससे हवाई जहाज का नेविगेशन सिस्टम गड़बड़ हो जाता है। यह जैमिंग से अलग है, सिग्नल को पूरी तरह ब्लॉक नहीं करता है। सिर्फ स्पूफिंग में गलत जानकारी डाली जाती है, जिससे पायलट को लगता है कि जहाज कहीं और है।
युद्ध क्षेत्रों में GPS स्पूफिंग ज्यादा होती हैबता दें कि GPS स्पूफिंग और जैमिंग वॉर जोन में आम है। ब्लैक सी और वेस्ट एशिया में ऐसा पहले हो चुका है। स्पूफिंग से जगह 2,500 किलोमीटर तक गलत दिख सकती है। एयरलाइंस पायलटों को पहले से अलर्ट कर रही हैं। पुरानी नेविगेशन सिस्टम इस्तेमाल करने की सलाह दे रही हैं। यह सिविल एविएशन के लिए बड़ा खतरा है।
समस्या को दूर करने में जुटे अधिकारीएयरपोर्ट का मैन रनवे 10/28 अपग्रेड हो रहा है। इसमें इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) को कैटेगरी III बनाया जा रहा है। फिलहाल ILS बंद है। अब जहाज GPS पर आधारित आरएनपी सिस्टम पर निर्भर हैं। अधिकारी समस्या जानते हैं, लेकिन इसका कारण नहीं बता रहे। इसे सुरक्षा का मुद्दा कहा है। ILS बहाल करने पर फोकस है। अपग्रेड पूरा होने पर दोनों तरफ कैटेगरी III ILS होगा। कोहरे में भी उड़ानें आसान होंगी। सब जल्दी सामान्य होने की उम्मीद है।
800 से ज्यादा उड़ान प्रभावितरिपोर्ट्स बताती हैं कि शुक्रवार को भी एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण 800 से ज्यादा उड़ानें देरी से चलीं। इसका असर उत्तर भारत के ज्यादातर हवाई अड्डों पर पड़ा और सैकड़ों अन्य उड़ानें भी प्रभावित हुईं। मंगलवार रात को ही इंडिगो के पांच और एयर इंडिया के दो जहाज जयपुर डायवर्ट हुए।
क्या है GPS स्पूफिंग ( What is GPS Spoofing )GPS स्पूफिंग एक धोखा देने वाली तकनीक है। इसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजे जाते हैं। ये सिग्नल GPS रिसीवर को गलत जगह, डायरेक्शन और समय की जानकारी देते हैं। इससे हवाई जहाज का नेविगेशन सिस्टम गड़बड़ हो जाता है। यह जैमिंग से अलग है, सिग्नल को पूरी तरह ब्लॉक नहीं करता है। सिर्फ स्पूफिंग में गलत जानकारी डाली जाती है, जिससे पायलट को लगता है कि जहाज कहीं और है।
युद्ध क्षेत्रों में GPS स्पूफिंग ज्यादा होती हैबता दें कि GPS स्पूफिंग और जैमिंग वॉर जोन में आम है। ब्लैक सी और वेस्ट एशिया में ऐसा पहले हो चुका है। स्पूफिंग से जगह 2,500 किलोमीटर तक गलत दिख सकती है। एयरलाइंस पायलटों को पहले से अलर्ट कर रही हैं। पुरानी नेविगेशन सिस्टम इस्तेमाल करने की सलाह दे रही हैं। यह सिविल एविएशन के लिए बड़ा खतरा है।
समस्या को दूर करने में जुटे अधिकारीएयरपोर्ट का मैन रनवे 10/28 अपग्रेड हो रहा है। इसमें इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) को कैटेगरी III बनाया जा रहा है। फिलहाल ILS बंद है। अब जहाज GPS पर आधारित आरएनपी सिस्टम पर निर्भर हैं। अधिकारी समस्या जानते हैं, लेकिन इसका कारण नहीं बता रहे। इसे सुरक्षा का मुद्दा कहा है। ILS बहाल करने पर फोकस है। अपग्रेड पूरा होने पर दोनों तरफ कैटेगरी III ILS होगा। कोहरे में भी उड़ानें आसान होंगी। सब जल्दी सामान्य होने की उम्मीद है।
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