एक हालिया रिपोर्ट (Ref) ने इस बात का खुलासा किया है कि एक गुलाब जामुन में छिपा शुगर और सैचुरेटेड फैट का स्तर आपके शरीर को सीधा नुकसान पहुंचा सकता है। यह न सिर्फ मोटापा बढ़ाता है, बल्कि हार्ट डिजीज, डायबिटीज और लीवर से जुड़ी समस्याओं की भी वजह बन सकता है।
इसीलिए @MoHFW_INDIA और @EatRightIndia की पहल के तहत अब देशभर में "शुगर और ऑइल बोर्ड" लगाए जा रहे हैं, ताकि लोग जागरूक होकर सेहतमंद चुनाव करें। आइए जानते हैं विस्तार से। (Photo Credit): canva
एक गुलाब जामुन में कितना शुगर और फैट छिपा है?

शायद आपको जानकर हैरानी हो कि एक छोटा-सा गुलाब जामुन औसतन 125 से 150 कैलोरी तक देता है। इसमें लगभग 20 ग्राम चीनी और 5 ग्राम से ज्यादा सैचुरेटेड फैट छिपा होता है। यानी इसे खाने से आप बिना सोचे-समझे अपने शरीर में काफी मात्रा में अनहेल्दी चीजें डाल लेते हैं। लगातार इस तरह के मिठाई के सेवन से शरीर में फैट जमा होता है, मेटाबॉलिज़्म धीमा होता है और तेजी से वजन बढ़ने लगता है। अगर आप वजन नियंत्रित रखना चाहते हैं, तो यह जरूरी है कि आप मिठाइयों को समझदारी से खाएं और उनके पोषण तत्वों को जानें।
क्यों मीठा सिर्फ स्वाद नहीं, सेहत पर भी भारी है

भारतीय समाज में मीठा खाना संस्कार माना जाता है, लेकिन अब वक्त है इस सोच को थोड़ा बदलने का। आज की जीवनशैली में जहां फिजिकल एक्टिविटी कम है, वहां अत्यधिक चीनी का सेवन शरीर पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। मीठा न केवल ब्लड शुगर को असंतुलित करता है बल्कि लिवर फैट और हाई ट्राइग्लिसराइड्स का कारण भी बनता है। बच्चों और बुजुर्गों में यह असर और भी खतरनाक होता है। इसलिए हमें यह समझना होगा कि 'स्वाद' के नाम पर हम अपनी सेहत से कितना बड़ा समझौता कर रहे हैं।
वो फैट-सुगर जो मोटापा बढ़ा सकता है
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शुगर और ऑइल बोर्ड क्यों हैं जरूरी?
Ministry of Health द्वारा शुरू की गईशुगर और ऑइल बोर्ड योजनाका मकसद आम जनता को जागरूक करना है। इन बोर्ड्स पर यह जानकारी दी जाएगी कि किसी भी खाद्य पदार्थ में कितनी मात्रा में शुगर और ऑइल है। यह पहल लोगों को खुद निर्णय लेने में सक्षम बनाएगी कि उन्हें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। भारत में पहली बार इस तरह की ट्रांसपेरेंसी लाई जा रही है ताकि उपभोक्ता सिर्फ ब्रांड या पैकेजिंग के आधार पर नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की जानकारी के आधार पर अपनी थाली भरें। यह पहल मोटापा और जीवनशैली संबंधी रोगों को रोकने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
एक गुलाब जामुन रोज़ खाना क्यों खतरनाक हो सकता है

अगर आप रोज़ एक गुलाब जामुन खाते हैं, तो यह आदत धीरे-धीरे आपके शरीर में शुगर की ओवरलोडिंग कर सकती है। शरीर में अतिरिक्त शुगर जब ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल नहीं होती, तो वह फैट में बदल जाती है और पेट, जांघों और लिवर में जमा होने लगती है। इससे इंसुलिन रेसिस्टेंस की स्थिति बनती है, जो डायबिटीज का शुरुआती चरण हो सकता है। साथ ही, शुगर ब्रेन पर भी असर डालता है और खाने की लत जैसी आदतें विकसित हो सकती हैं। इसलिए मिठाइयों को नियमित आदत न बनाएं बल्कि त्योहारों या खास मौकों तक सीमित रखें।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए कितना खतरनाक है मिठा

बच्चों में अधिक मिठाई खाने से मोटापा, दांतों की सड़न, और हाइपरएक्टिविटी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। वहीं बुजुर्गों में मीठा ब्लड शुगर को बिगाड़ सकता है, जिससे डायबिटीज, हार्ट डिजीज और किडनी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार लोग सोचते हैं कि "थोड़ा मीठा खाने से क्या फर्क पड़ेगा", लेकिन यही थोड़ी-थोड़ी मात्रा मिलकर शरीर पर बड़ा असर डालती है। खासतौर पर बच्चों की आदतों को बचपन से ही सही दिशा देना जरूरी है ताकि आगे चलकर उन्हें हेल्थ से जुड़ी दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
कैसे लें सेहतमंद मीठे का विकल्प
मीठा खाना पूरी तरह बंद करना जरूरी नहीं, लेकिन समझदारी से चुनाव करना बेहद जरूरी है। गुड़, खजूर, नारियल चीनी, या शहद जैसे नैचुरल विकल्प आजकल खूब प्रचलित हो रहे हैं। साथ ही, घर पर बनी मिठाइयों में आप शुगर की मात्रा नियंत्रित कर सकते हैं। बाजार की मिठाइयों से बचें क्योंकि उनमें शुगर और ऑइल दोनों की मात्रा अधिक होती है। ड्रायफ्रूट्स, ताजे फल और दही के साथ मिलाकर भी हेल्दी डेज़र्ट तैयार किए जा सकते हैं। संतुलन ही कुंजी है—अगर आपको मीठा पसंद है, तो उसे पोषण के साथ मिलाकर खाएं और सेहत का स्वाद भी लें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता । ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें । एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है ।
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