सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर मीशा अग्रवाल की मौत से उनके फैन्स को झटका लगा है। यह घटना उनके 25वें जन्मदिन के ठीक दो दिन पहले हुई। फैमिली ने इसे सुसाइड बताया है है। मीशा की बहन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के जरिए इसकी वजह बताई है। उन्होंने लिखा कि - “मेरी छोटी बहन ने अपनी दुनिया इंस्टाग्राम के इर्द गिर्द बना ली थी। अपने फॉलोअर्स की संख्या में कमी को देखकर वह चिंता में थी। जब फॉलोअर्स की संख्या घटने लगी , तो उसे लगा कि वह बेकार है। उसका सपना 1 मिलियन फॉलोअर्स तक पहुंचना था। वह अप्रैल से ही उदास रहने लगी थी और सुसाइड जैसा कदम उठा लिया”। रोती थी, मेरा करियर खत्म हो जाएगापोस्ट में आगे लिखा गया है कि- “हमने उसे समझाया था कि इंस्टाग्राम उसकी दुनिया नहीं है। अगर ये नहीं चलता, तो दुनिया खत्म नहीं होगी। वह रोती थी, कि मैं क्या करूंगी अगर मेरे इंस्टाग्राम फॉलोअर्स कम होते रहे। मेरा करियर खत्म हो जाएगा। समझाने के बाद भी दुर्भाग्यवश मीशा ने हमारी बात नहीं सुनी”। माता-पिता के लिए बेहद कठिन हो जाता है जीवनजवान बच्चे की मौत का गम सहना माता पिता के लिए आसान नहीं होता। मीशा के पेरेंट्स के लिए भी ये सब सहना आसान नहीं होगा। ऐसे मां-बाप जो कम उम्र में अपने बच्चे को खोते हैं, उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गहरा असर पड़ता है। बच्चे की मौत पेरेंट्स पर किस हद तक असर डालती है, इसे नई दिल्ली के चाइल्ड एडोलसेंट एंड फॉरेंसिक साइकेट्रिस्ट डॉ. आस्तिक जोशी ने विस्तार से समझाया। पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं माता-पिताएक्सपर्ट के अनुसार, मनोवैज्ञानिक रूप से अपने बच्चे की मौत गहरा असर छोड़ती है, फिर चाहे कारण कुछ भी रहा है। आमतौर पर परिवार में सबसे बड़े सदस्य और फिर क्रमानुसार छोटे सदस्यों का निधन सामान्य माना जाता है, क्योंकि ये पूरी तरह से प्राकृतिक होता है। लेकिन जब मौत का नेचुरल बायोलॉजिकल ऑर्डर टूट जाता है और बच्चा माता पिता से पहले मर जाता है , तो उन्हें पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति आघात से निपटने में असमर्थ होता है। शर्मिंदगी का अनुभवइस दौरान वे अफसोस में रहते हैं। अचानक हुए आघात से वे खुद को भी दोषी मानने लगते हैं। इसके अलावा घटना के बारे में दोहराव वाले विचार उनके मन में आते रहते हैं। इतना ही नहीं कई माता-पिता आघात से जुड़े शर्मिंदगी भी महसूस करते हैं। दैनिक जीवन पर असरएक्सपर्ट कहते हैं कि इस समस्या के चलते माता-पिता में डिप्रेशन के लक्षण साफ दिखने लगता है। उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती। इतना ही नहीं, उन्हें नींद की समस्या के अलावा रिश्तों में परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। कुल मिलाकर ये सभी चीजें एक व्यक्ति के दैनिक जीवन पर बुरा असर डालती हैं। इस कारण वे अपनी क्षमता के अनुसार काम भी नहीं कर पाते। हो सकती है शारीरिक परेशानीएक्सपर्ट की मानें तो इस स्थिति का जल्द इलाज किया जाना चाहिए। अगर कुछ समय तक ऐसा ना किया जाए, तो मानसिक या शारीरिक समस्या शुरू हो सकती है। ग्रीफ काउंसलिंग का उपयोग करेंयदि कोई पेरेंट्स इस अनुभव से गुजर रहा है, तो एक्सपर्ट उन्हें ग्रीफ काउंसलिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। उनके अनुसार, अगर जरूरी हो, तो हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स की मदद भी ली जा सकती है। (डिस्क्लेमर: ये लेख पूरी तरह से डॉक्टर के विचारों पर आधारित है।)
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