दरअसल रसोई में रखा कच्चा आलू आपकी मदद कर सकता है। जी हां, कच्चा आलू गुड़हल के पौधे की ग्रोथ बढ़ाने और उस पर ढेर सारे फूल लाने का एक जादुई, प्राकृतिक और बेहद आसान उपाय है। माली ने फूलों से भरा प्लांट दिखाकर इस नुस्खे के बारे में बताया है, तो चलिए जानते हैं आलू का इस्तेमाल कैसे करना है।
क्यों फायदेमंद है कच्चा आलू?
कच्चा आलू पोषक तत्वों का खजाना है। खासतौर पर इसमें पोटेशियम , फास्फोरस, और कुछ मात्रा में नाइट्रोजन का होना है। ये सभी तत्व पौधों के लिए बेहद जरूरी हैं। वहीं आलू में मौजूद स्टार्च मिट्टी में सूक्ष्मजीवों के लिए भोजन का काम करता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है और पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है।
पोटेशियम- यह फूलों के उत्पादन, फलों के विकास और पौधे की मजबूती के लिए जरूरी है। फूलों की संख्या और आकार को बढ़ाने का भी का करता है।
फास्फोरस- यह जड़ों के विकास और फूलों -बीजों को बनाने में मदद करता है।
नाइट्रोजन- यह पौधे की हरी-भरी पत्तियों और हेल्दी ग्रोथ के लिए जरूरी है।
माली के तरीके से यूं डालें आलू
माली का शेयर तरीका आजमाने के लिए आलू से लिक्विड फर्टिलाइजर बनाना होगा। इसके लिए 1-2 मीडियम साइज के कच्चे आलू लें और उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इन्हें मिक्सर में पीसने के बाद एक बर्तन में निकालें। अब 5 गुना पानी को इस पेस्ट में मिक्स कर दें। उसके बाद घोल को गुड़हल के पौधे की मिट्टी में डाल दें।
इस तरह भी बना सकते हैं लिक्विड खाद

एक आलू को टुकड़ों में काटने के बाद एक लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह उबाल लें, जब तक आलू नरम न हो जाएं। अब पानी को ठंडा होने दें, उसके बाद आलू के टुकड़ों को छानकर अलग कर लें। जो पानी बचेगा, वही आलू की तरल खाद होगी। सामान्य पानी की तरह इसे गुड़हल के पौधे में डाल दें। हर 1-2 हफ्ते में एक बार इस खाद का उपयोग कर सकते हैं।
आलू के टुकड़े सीधे मिट्टी में गाड़ना
यह सबसे सरल और सीधा तरीका है। एक मीडियम साइज का कच्चा आलू लें और उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। चाहें तो एक आलू को 4-6 टुकड़ों में काट सकते हैं। गुड़हल के गमले या क्यारी की मिट्टी को हल्का सा खोदें अब इन आलू के टुकड़ों को पौधे के तने से थोड़ी दूरी पर मिट्टी में दबा दें, 2-3 इंच गहरा गाड़ना ठीक होगा। हर 3-4 हफ्ते में एक बार नए आलू के टुकड़े डाल सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- हमेशा कच्चे आलू का ही इस्तेमाल करें, उबले या पके हुए आलू का नहीं, क्योंकि पकाने से उनके पोषक तत्व कम हो जाते हैं।
- बहुत ज्यादा आलू का इस्तेमाल न करें, खासकर अगर छोटे गमले में पौधा उगा रहे हैं। जरूरत से ज्यादा पोषक तत्व भी हानिकारक होते हैं।
- गुड़हल के पौधे को रोजाना धूप और पानी देना न भूलें। कोई भी खाद या उपाय तभी काम करता है जब पौधे की बेसिक जरूरतें पूरी हों।
- किसी भी प्राकृतिक उपाय को रिजल्ट दिखाने में थोड़ा समय लगता है। 2-4 हफ्तों में अपने गुड़हल के पौधे में सुधार दिखना शुरू हो जाएगा।
डिस्क्लेमर: इस लेख में किए गए दावे इंस्टाग्राम वीडियो और इंटरनेट पर मिली जानकारी पर आधारित हैं। एनबीटी इसकी सत्यता और सटीकता जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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