नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में एयर पल्यूशन खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। हवा में मौजूद जहरीले कण अब सिर्फ खांसी या सांस की बीमारी का कारण नहीं रहे, बल्कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा भी बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह हवा अब धीरे-धीरे शरीर में धीमा जहर बनकर घुस रही है। इसकी वजह से लंग्स ही नहीं, शरीर में होने होने वाले सभी प्रकार के कैंसर के खतरे बढ़ा रहे हैं। सबसे ज्यादा लंग्स के साथ ही लिवर, ब्रेस्ट, स्क्रीन को नुकसान पहुंच रहा है। बता दूं कि नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे हर साल 7 नवंबर को मनाया जाता है। इस खास मौके पर एयर पल्यूशन के खतरे को लेकर एक्सपर्ट ने चेताया है।
एयर पल्यूशन से अंगों को पहुंच सकता है नुकसानईस्ट दिल्ली स्थित दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में कैंसर विशेषज्ञ डॉ प्रज्ञा शुक्ला बताती है कि एयर पल्यूशन की वजह से स्थिति यह है कि जो लोग सिगरेट नहीं पीते हैं, उन्हें भी कैंसर हो रहा है। इसका मुख्य कारण एयर पल्यूशन ही है। यह सांस और गले के जरिए शरीर के अलग-अलग अंगों में पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचाता है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर बढ़ने का एक कारण एयर पल्यूशन भी है। उन्होंने बताया कि एक शोध में यह पाया गया है कि ब्रेस्ट के टिश्यू में भी एयर पल्यूशन के कण पाए गए हैं। ऐसे में लोगों से अपील है कि वह खुद का ख्याल रखें।
आर्टेमिस हॉस्पिटल के वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. प्रवीण यादव ने कहा कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे पीएम 2.5, पीएम 10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड फेफड़ों के भीतर गहराई तक पहुंच जाते हैं। ये कण कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं और धीरे-धीरे कैंसर कोशिकाएं बनने लगती है।
नॉन-स्मोकर में भी बढ़ रहा खतरासाकेत स्थित मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में थोरेसिक सर्जन डॉ. कमरान अली ने कहा कि अब ऐसे लोगों में भी फेफड़ों का कैंसर देखा जा रहा जो कभी धूम्रपान नहीं करते। खासकर महिलाओं और शहरों में रहने वाले युवाओं में। इसका कारण हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5) है, जो शरीर के जीन में छिपे म्यूटेशन को सक्रिय कर देते है। WHO ने भी बाहरी वायु प्रदूषण और पीएम 2.5 को कैंसर पैदा करने वाले तत्व (Group 1 Carcinogen) के रूप में माना है।
कैसे करें बचाव
एयर पल्यूशन से अंगों को पहुंच सकता है नुकसानईस्ट दिल्ली स्थित दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में कैंसर विशेषज्ञ डॉ प्रज्ञा शुक्ला बताती है कि एयर पल्यूशन की वजह से स्थिति यह है कि जो लोग सिगरेट नहीं पीते हैं, उन्हें भी कैंसर हो रहा है। इसका मुख्य कारण एयर पल्यूशन ही है। यह सांस और गले के जरिए शरीर के अलग-अलग अंगों में पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचाता है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर बढ़ने का एक कारण एयर पल्यूशन भी है। उन्होंने बताया कि एक शोध में यह पाया गया है कि ब्रेस्ट के टिश्यू में भी एयर पल्यूशन के कण पाए गए हैं। ऐसे में लोगों से अपील है कि वह खुद का ख्याल रखें।
आर्टेमिस हॉस्पिटल के वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. प्रवीण यादव ने कहा कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे पीएम 2.5, पीएम 10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड फेफड़ों के भीतर गहराई तक पहुंच जाते हैं। ये कण कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं और धीरे-धीरे कैंसर कोशिकाएं बनने लगती है।
नॉन-स्मोकर में भी बढ़ रहा खतरासाकेत स्थित मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में थोरेसिक सर्जन डॉ. कमरान अली ने कहा कि अब ऐसे लोगों में भी फेफड़ों का कैंसर देखा जा रहा जो कभी धूम्रपान नहीं करते। खासकर महिलाओं और शहरों में रहने वाले युवाओं में। इसका कारण हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5) है, जो शरीर के जीन में छिपे म्यूटेशन को सक्रिय कर देते है। WHO ने भी बाहरी वायु प्रदूषण और पीएम 2.5 को कैंसर पैदा करने वाले तत्व (Group 1 Carcinogen) के रूप में माना है।
कैसे करें बचाव
- घर से बाहर निकलते समय N-95 मास्क पहनें।
- घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं।
- हवा को साफ करने वाले पौधे जैसे मनीप्लांट, स्पाइडर प्लांट लगाएं।
- धूम्रपान न करें और घर के अंदर सिगरेट या कॉइल का इस्तेमाल न करें।
- धूल और ट्रैफिक वाली जगहों से बचें।
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