US Education Cost For Indians: अमेरिका हायर एजुकेशन के लिए भारतीयों के बीच एक पॉपुलर देश है, लेकिन यहां पढ़ने के लिए मोटा बजट होना बेहद जरूरी हो जाता है। इसकी एक मुख्य वजह ये है कि अमेरिका की गिनती दुनिया के सबसे महंगे देशों में होती है, जहां लोगों को लाखों रुपये सैलरी तो मिलती है, लेकिन उनका खर्चा भी लाखों में ही होता है। इसका असर कॉलेज की फीस पर भी देखने को मिलता है, जो हजारों डॉलर में होती है, लेकिन भारतीय रुपये में उसका मूल्य लाखों में हो जाता है।
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अमेरिका में यूनिवर्सिटीज दो कैटेगरी में बंटी होती हैं, जिसमें पहली पब्लिक/स्टेट यानी सरकारी और दूसरी प्राइवेट। पब्लिक/स्टेट यूनिवर्सिटीज में पढ़ने का खर्च प्राइवेट के मुकाबले कम होता है। मगर यहां की ज्यादातर टॉप यूनिवर्सिटीज प्राइवेट ही हैं। IDP के मुताबिक, बैचलर्स की सालाना ट्यूशन फीस 20,000 डॉलर (लगभग 18 लाख रुपये) से 40 हजार डॉलर (लगभग 36 लाख रुपये) हो सकती है। इसी तरह से मास्टर्स की फीस 20,000 डॉलर से 45,000 डॉलर (40 लाख रुपये) के बीच हो सकती है।
स्कॉलरशिप से कम होता पढ़ाई का खर्च
हालांकि, आपको फीस जानकर टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह ये है कि अमेरिकी यूनिवर्सिटीज भारी-भरकम स्कॉलरशिप देने के लिए जानी जाती हैं, जो सबसे ज्यादा प्राइवेट संस्थानों में मिलती हैं। सरकारी यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस कम होने से स्कॉलरशिप मिलने की संभावना भी कम रहती है। अमेरिका में 80% तक स्टूडेंट्स को कुछ न कुछ स्कॉलरशिप मिल जाती है, जो उनकी ट्यूशन फीस काफी ज्यादा कम कर देती है। अच्छी बात ये है कि ये स्कॉलरशिप विदेशी छात्रों को भी मिलती है।
जिन प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस ज्यादा है, वहां भर-भरकर स्कॉलरशिप भी मिलती है। QS के मुताबिक, MIT में 58% बैचलर्स स्टूडेंट्स फाइनेंशियल एड मिलती है। Caltech में 60% बैचलर्स स्टूडेंट्स, 98% मास्टर्स स्टूडेंट्स को फुल फाइनेंशियल सपोर्ट मिलता है। ऐसे ही नंबर बाकी की अमेरिकी यूनिवर्सिटीज की भी हैं, जहां स्कॉलरशिप, ग्रांट्स, असिस्टेंटशिप या वर्क-स्टडी स्कीम के जरिए स्टूडेंट्स की पढ़ाई का खर्च काफी हद तक कम हो जाता है।
कैसे कैलकुलेट करें पढ़ने का खर्च?
अमेरिका यूनिवर्सिटीज के लिए अपनी वेबसाइट पर फाइनेंशियल एड कैलकुलेटर लगाना अनिवार्य है, जिसके जरिए स्टूडेंट्स को मालूम चलता है कि उन्हें पढ़ने के लिए कितना पैसा चाहिए और उन्हें कितनी फाइनेंशियल एड मिल सकती है। इन्हें 'नेट प्राइस कैलकुलेटर' कहा जाता है। सरकार का खुद का एक 'सरकारी कैलकुलेटर' भी है, जिसे College Affordability and Transparency Center कहा जाता है। इस पर जाकर आप देख सकते हैं कि किस यूनिवर्सिटी में पढ़ने पर कितना खर्चा आएगा।
US में पढ़ने के लिए कितना पैसा चाहिए?
अब यहां सवाल उठता है कि अमेरिका में पढ़ने के लिए कितना पैसा चाहिए? क्या 40-50 लाख या 1 करोड़ के बजट में अमेरिका में पढ़ाई की जा सकती है? दरअसल, विदेशी छात्रों को एडमिशन के दौरान पढ़ाई की फंडिंग के लिए डिटेल्स जमा करनी होती हैं। हर यूनिवर्सिटी में 'ऑफिस फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एंड स्कॉलर्स' (OISS) होता है, जिसका काम स्टूडेंट्स को अमेरिका के इमिग्रेशन कानूनों के बारे में बताना और स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन करने में मदद करता होता है।
एडमिशन के समय OISS चेक करता है कि स्टूडेंट के पास फर्स्ट ईयर की पढ़ाई के लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं। अगर कोई स्टूडेंट फर्स्ट-ईयर की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पर्याप्त पैसे होने का सबूत दिखा देता है, तो उसे OISS से मंजूरी मिल जाती है और साथ ही I-20 फॉर्म थमा दिया जाता है। इस I-20 फॉर्म मिलने के बाद ही स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन शुरू किया जा सकता है, क्योंकि ये इस बात को साबित करता है कि स्टूडेंट को यूनिवर्सिटी में एडमिशन दे दिया गया है।
इसका मतलब है कि स्टूडेंट के पास कम से कम एक साल की पढ़ाई का खर्च उठाने भर पैसा होना चाहिए। अमेरिका में औसतन एक साल की पढ़ाई का खर्च 20 लाख से 40 लाख रुपये के बीच होता है। इसमें ट्यूशन फीस भी शामिल है। इस वजह से स्टूडेंट को वीजा आवेदन के दौरान कम से कम इतने पैसे होने का सबूत दिखाना चाहिए। बेहतर यही रहता है कि स्टूडेंट के पास कम से कम दो साल की पढ़ाई का बजट होना चाहिए, जो 40 लाख से 80 लाख रुपये के बीच हो सकता है।
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अमेरिका में यूनिवर्सिटीज दो कैटेगरी में बंटी होती हैं, जिसमें पहली पब्लिक/स्टेट यानी सरकारी और दूसरी प्राइवेट। पब्लिक/स्टेट यूनिवर्सिटीज में पढ़ने का खर्च प्राइवेट के मुकाबले कम होता है। मगर यहां की ज्यादातर टॉप यूनिवर्सिटीज प्राइवेट ही हैं। IDP के मुताबिक, बैचलर्स की सालाना ट्यूशन फीस 20,000 डॉलर (लगभग 18 लाख रुपये) से 40 हजार डॉलर (लगभग 36 लाख रुपये) हो सकती है। इसी तरह से मास्टर्स की फीस 20,000 डॉलर से 45,000 डॉलर (40 लाख रुपये) के बीच हो सकती है।
स्कॉलरशिप से कम होता पढ़ाई का खर्च
हालांकि, आपको फीस जानकर टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह ये है कि अमेरिकी यूनिवर्सिटीज भारी-भरकम स्कॉलरशिप देने के लिए जानी जाती हैं, जो सबसे ज्यादा प्राइवेट संस्थानों में मिलती हैं। सरकारी यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस कम होने से स्कॉलरशिप मिलने की संभावना भी कम रहती है। अमेरिका में 80% तक स्टूडेंट्स को कुछ न कुछ स्कॉलरशिप मिल जाती है, जो उनकी ट्यूशन फीस काफी ज्यादा कम कर देती है। अच्छी बात ये है कि ये स्कॉलरशिप विदेशी छात्रों को भी मिलती है।
जिन प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में ट्यूशन फीस ज्यादा है, वहां भर-भरकर स्कॉलरशिप भी मिलती है। QS के मुताबिक, MIT में 58% बैचलर्स स्टूडेंट्स फाइनेंशियल एड मिलती है। Caltech में 60% बैचलर्स स्टूडेंट्स, 98% मास्टर्स स्टूडेंट्स को फुल फाइनेंशियल सपोर्ट मिलता है। ऐसे ही नंबर बाकी की अमेरिकी यूनिवर्सिटीज की भी हैं, जहां स्कॉलरशिप, ग्रांट्स, असिस्टेंटशिप या वर्क-स्टडी स्कीम के जरिए स्टूडेंट्स की पढ़ाई का खर्च काफी हद तक कम हो जाता है।
कैसे कैलकुलेट करें पढ़ने का खर्च?
अमेरिका यूनिवर्सिटीज के लिए अपनी वेबसाइट पर फाइनेंशियल एड कैलकुलेटर लगाना अनिवार्य है, जिसके जरिए स्टूडेंट्स को मालूम चलता है कि उन्हें पढ़ने के लिए कितना पैसा चाहिए और उन्हें कितनी फाइनेंशियल एड मिल सकती है। इन्हें 'नेट प्राइस कैलकुलेटर' कहा जाता है। सरकार का खुद का एक 'सरकारी कैलकुलेटर' भी है, जिसे College Affordability and Transparency Center कहा जाता है। इस पर जाकर आप देख सकते हैं कि किस यूनिवर्सिटी में पढ़ने पर कितना खर्चा आएगा।
US में पढ़ने के लिए कितना पैसा चाहिए?
अब यहां सवाल उठता है कि अमेरिका में पढ़ने के लिए कितना पैसा चाहिए? क्या 40-50 लाख या 1 करोड़ के बजट में अमेरिका में पढ़ाई की जा सकती है? दरअसल, विदेशी छात्रों को एडमिशन के दौरान पढ़ाई की फंडिंग के लिए डिटेल्स जमा करनी होती हैं। हर यूनिवर्सिटी में 'ऑफिस फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एंड स्कॉलर्स' (OISS) होता है, जिसका काम स्टूडेंट्स को अमेरिका के इमिग्रेशन कानूनों के बारे में बताना और स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन करने में मदद करता होता है।
एडमिशन के समय OISS चेक करता है कि स्टूडेंट के पास फर्स्ट ईयर की पढ़ाई के लिए पर्याप्त पैसे हैं या नहीं। अगर कोई स्टूडेंट फर्स्ट-ईयर की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पर्याप्त पैसे होने का सबूत दिखा देता है, तो उसे OISS से मंजूरी मिल जाती है और साथ ही I-20 फॉर्म थमा दिया जाता है। इस I-20 फॉर्म मिलने के बाद ही स्टूडेंट वीजा के लिए आवेदन शुरू किया जा सकता है, क्योंकि ये इस बात को साबित करता है कि स्टूडेंट को यूनिवर्सिटी में एडमिशन दे दिया गया है।
इसका मतलब है कि स्टूडेंट के पास कम से कम एक साल की पढ़ाई का खर्च उठाने भर पैसा होना चाहिए। अमेरिका में औसतन एक साल की पढ़ाई का खर्च 20 लाख से 40 लाख रुपये के बीच होता है। इसमें ट्यूशन फीस भी शामिल है। इस वजह से स्टूडेंट को वीजा आवेदन के दौरान कम से कम इतने पैसे होने का सबूत दिखाना चाहिए। बेहतर यही रहता है कि स्टूडेंट के पास कम से कम दो साल की पढ़ाई का बजट होना चाहिए, जो 40 लाख से 80 लाख रुपये के बीच हो सकता है।
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