प्रधानमंत्री मोदी और उनके चुनिंदा साथियों ने वर्ष 2014 के बाद से केवल एक काम बड़े जतन से किया है- संविधान और मानवाधिकार का हनन। विरोध की आवाजों को कुचलना और सत्ता-समर्थित भीड़-हत्या आज की वास्तविकता है। हरेक समाचार के केंद्र में जनता नहीं बल्कि बुल्डोजर रहता है। प्रधानमंत्री समेत तमाम संतरी और मंत्री जनता के बीच अपनी बात नहीं रखते बल्कि अपनी बकवास को जनता पर थोपते हैं। देश के मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया पर दिनरात पहरा देते सत्ता के भाड़े के टट्टूओं ने इस पूरे माहौल को एक सामान्य स्थिति में परिवर्तित कर दिया है, और अब जनता इसे ही सामान्य मान बैठी है। मेनस्ट्रीम मीडिया ने एक व्यक्ति को देश और समाज से ऊपर पहुंचा दिया है।
वैश्विक स्तर पर बहुत सारे सत्ताधीश ऐसे हैं जो अपने लोगों को कुचलने के साथ ही अपने पड़ोसी देशों की जनता को भी कुचल रहे हैं और खुले आम नरसंहार कर रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री को केवल पाकिस्तान का आतंकवाद समझ आता है, किसी और देश का नहीं। इस दौर में निरंकुश शासकों का एक वैश्विक क्लब बन गया है और हरेक ऐसे शासक एक-दूसरे की भरपूर मदद कर रहे है, दुख-सुख में एक साथ खड़े नजर आते हैं।
यूक्रेन को तबाह करता रूस, गाजा में नरसंहार करता इजरायल, अपनी ही जनता को कुचलता म्यांमार, जनता के सभी अधिकारों पर पहरे लगाता तालिबान, मानवाधिकार का दमन करता चीन और नागरिकों को अधिकार विहीन करते मध्य-पूर्वी देश- सभी इस दुनिया को नरक बना रहे हैं- पर हमारे प्रधानमंत्री जी के ये सभी सत्ताधीश बड़े नजदीकी हैं। इसमें से कई नरसंहारी देशों की तो हथियारों से प्रधानमंत्री मोदी सीधी मदद भी कर रहे हैं और इसे भारतीयों के हित में उठाया गया कदम बताते हैं। भारतीयों के हित का तो पता नहीं पर इनमें से कुछ देशों में अडानी के हित जरूर साधे जा रहे हैं।
यूक्रेन की एक गैर-सरकारी संस्था, इकोनॉमिक सिक्युरिटी काउंसिल ने बताया है कि रूस को वायुयानों में उपयोग किए जाने वाले फ्यूल ऐडिटिव का सबसे बड़ा निर्यातक भारत है। अनेक पश्चिमी देशों ने रूस को निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, पर इस मामले में भारत रूस की सीधी मदद कर रहा है। वर्ष 2024 में भारत ने रूस को 2456 टन फ्यूल ऐडिटिव का निर्यात किया, जो रूस द्वारा आयात किए जाने वाले फ्यूल ऐडिटिव की कुल मात्रा का लगभग 50 प्रतिशत है। इस ऐडिटिव का उपयोग वायुयानों के इंजन को सुरक्षित रखने और दक्षता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
यूक्रेन के अनुसार इस ऐडिटिव का उपयोफ रूस की वायु सेना के विमानों में व्यापक तरीके से किया जा रहा है और इन्हीं वायुयानों से यूक्रेन पर लगातार हवाई हमले किए जा रहे हैं, जिसमें निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं। रूस तो हवाई हमले विद्यालयों और अस्पतालों पर भी कर रहा है। इससे पहले भी रूस को भारत द्वारा मदद किए जाने की अंतरराष्ट्रीय चर्चा की जा चुकी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्सकी भी इसे उजागर कर चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने तो भारत द्वारा रूस से पट्रोलीयम पदार्थों का आयात किए जाने के मुद्दे को अपने टैरीफ प्लान में शामिल किया है, और इसी आधार पर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ थोपा है।
हाल में ही यूक्रेन की सेना ने रूस की तरफ से सेना में शामिल एक भारतीय का वीडियो भी जारी किया है। गुजरात के मोरबी का यह व्यक्ति रूस की सेना में शामिल होकर यूक्रेन से युद्ध के दौरान पकड़ा गया है। पहले भी रूस की तरफ से भारतीयों के लड़ने की खबरें आती रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने इस मुद्दे पर बार-बार आश्वासन भी दिया है, पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लगभग 2 वर्ष पहले सरकार ने बताया था कि रूस की सेना में 150 भारतीय हैं, जिनमें से 12 की युद्ध में मौत हो चुकी है, 16 लापता हैं और 96 को सेना से मुक्त कर दिया गया है। इसके बाद भी भारतीयों की रूसी सेना में मौजूदगी की खबरें आती ही रहती हैं।
इजरायल के राष्ट्रपति नेतान्याहू का सत्ता में अस्तित्व ही गाजा के साथ ही सभी पड़ोसी देशों पर हमलों पर ही टिका है। वे गाजा को दुनिया के नक्शे से हटाना चाहते हैं और भारत इसमें भरपूर साथ दे रहा है। वहां के अनेक मंत्री समय-समय पर दुनिया को बताते रहे हैं कि भारत किस तरह नरसंहार में सहायता कर रहा है और इस सहायता के लिए धन्यवाद भी देते हैं। इजरायल लगातार स्कूलों, अस्पतालों और सहायता शिविरों पर हवाई हमले करता रहा है। गाजा के लगभग सभी मीडिया के ठिकानों पर हमले कर चुका है।
26 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र ने बताया था कि अब तक 247 पत्रकार मारे जा चुके हैं, इसके ठीक बाद पत्रकारों की एक संस्था ने इस संख्या को 274 बताया था। कहा जाता है कि इतने पत्रकार इतिहास के किसी भी युद्ध में नहीं मारे गए। हमारे देश में भी इतिहास के किसी भी मोड़ पर इतने पत्रकार सत्ता की भक्ति में लीन नहीं रहे। इजरायल ने 7 अक्टूबर 2023 से अब तक 67000 से अधिक लोगों का नरसंहार किया है जिसमें से 20000 से अधिक बच्चे हैं। इजरायल की अपनी रिपोर्ट के अनुसार भले ही युद्ध हमास का खात्मा करने के नाम पर किया जा रहा हो पर अब तक मारे गए लोगों में से 83 प्रतिशत से अधिक गाजा के आम नागरिक हैं। गाजा की लगभग 10 प्रतिशत आबादी हमलों में मारी जा चुकी है, जबकि लगभग 170000 नागरिक घायल हैं। इस नरसंहार में भारत समेत हरेक वो देश शरीक है जो इजरायल की मदद कर रहा है।
पड़ोसी देश म्यांमार में सेना ने लोकतंत्र को ध्वस्त कर दिया, पर मोदी सरकार उस नरसंहार में लिप्त सेना के साथ खड़ी है। वहां की सेना भी सार्वजनिक तौर पर सहायता के लिए मोदी सरकार को धन्यवाद दे चुकी है। हाल में ही एक गांव में एक शांतिपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम पर हवा से हमला कर 20 से अधिक लोगों को मार डाला गया। फरवरी 2021 से लगातार म्यांमार सेना अपने की निर्दोष नागरिकों का नरसंहार कर रही है, और हमारी सरकार इसमें हत्यारों के साथ खड़ी है।
लगातार महिलाओं को बढ़ावा देने की बात करने वाली मोदी सरकार तो तालिबान से भी सहयोग कर रही है। हाल में ही तालिबानी विदेश मंत्री, जिनपर तमाम प्रतिबंध लगे हैं, भारत दौरे पर आने वाले हैं। तालिबान, जो परंपरागत तौर पर नरसंहार और मानवाधिकार हनन में लिप्त रहा है और आज भी कर रहा है, भारत का मित्र है।
दुनिया की हरेक निरंकुश सत्ता के साथ हमारी सरकार खड़ी है और हम अपने आप को लोकतंत्र के जननी बताते हैं। दरअसल, जब आप निरंकुश होते हैं, हिंसक होते हैं तब देश-परदेस हरेक जगह ऐसी ही विचारधारा का साथ देते हैं और यही आज का न्यू इंडिया है, विकसित भारत है।
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