न्यूयॉर्क शहर के इतिहास में पहली बार एक भारतीय मूल के नेता ने मेयर का पद हासिल किया है। जोहरान ममदानी ने दो मजबूत उम्मीदवारों — पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो और रिपब्लिकन उम्मीदवार कर्टिस स्लीवा — को हराकर यह बड़ी जीत दर्ज की है। दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी उनके खिलाफ खुलकर बयान दिया था और यहां तक कि न्यूयॉर्क को फेडरल फंड रोकने की धमकी तक दे डाली थी। इसके बावजूद ममदानी ने अपने विचारों, सरलता और सामाजिक दृष्टिकोण से जनता का दिल जीत लिया।
जोहरान ममदानी — जड़ों से भारतीय, पहचान से न्यूयॉर्कर
34 वर्षीय जोहरान ममदानी वर्तमान में न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के सदस्य हैं। उनका जन्म युगांडा में हुआ और बचपन न्यूयॉर्क शहर में बीता। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद विविध है — मां हिंदू और पिता मुस्लिम। मां प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता मीरा नायर, जबकि पिता जाने-माने स्कॉलर महमूद ममदानी हैं। जोहरान अपने राजनीतिक सफर में सामाजिक न्याय, समानता और प्रवासी समुदायों के अधिकारों को लेकर काफी मुखर रहे हैं।
मां मीरा नायर — भारतीय सिनेमा की गौरवशाली पहचान
मीरा नायर का जन्म 1957 में ओडिशा के राउरकेला में हुआ था। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने फिल्ममेकिंग की दुनिया में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म सलाम बॉम्बे! (1988) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया — इस फिल्म ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में कैमरा डी'ओर अवॉर्ड जीता और ऑस्कर नॉमिनेशन भी हासिल किया। इसके बाद मिसिसिपी मसाला (1991), मॉनसून वेडिंग (2001) और द नेम्सेक (2006) जैसी फिल्मों ने उन्हें एक वैश्विक निर्देशक के रूप में स्थापित किया। मीरा नायर की फिल्मों में प्रवास, संस्कृति और पहचान के संघर्ष को गहराई से दिखाया गया है।
पिता महमूद ममदानी — अफ्रीका के राजनीतिक इतिहास के प्रमुख विचारक
जोहरान के पिता महमूद ममदानी का जन्म 1946 में मुंबई में हुआ और उनका बचपन युगांडा के कंपाला में बीता। वे अफ्रीकी उपनिवेशवाद, राजनीति और समाजशास्त्र के अग्रणी विद्वानों में से एक हैं। 1972 में इदी अमीन के शासनकाल के दौरान युगांडा से निष्कासित किए जाने के बाद उन्होंने 1974 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की। वर्तमान में वे कोलंबिया यूनिवर्सिटी में गवर्नमेंट और एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर हैं। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक Citizen and Subject (1996) ने “बाइफरकेटेड स्टेट” जैसी अवधारणा को जन्म दिया, जो अफ्रीका में उपनिवेशोत्तर शासन की समझ में एक मील का पत्थर मानी जाती है।
जोहरान की उपलब्धि — प्रवासी समुदाय के लिए नई उम्मीद
जोहरान ममदानी की जीत न केवल भारतीय मूल के अमेरिकियों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह बहुसांस्कृतिक समाज में समावेश और विविधता की शक्ति का भी प्रतीक है। एक ऐसे समय में जब राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है, जोहरान ने सामाजिक एकता, समानता और समावेशी विकास के मुद्दों को अपने अभियान का केंद्र बनाया। उनकी यह जीत बताती है कि अगर नीयत साफ हो और विचार सकारात्मक हों, तो सीमाएं भी इंसान की उड़ान नहीं रोक सकतीं।
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