हिमाचल प्रदेश में इन दिनों बारिश राहत नहीं, आफ़त बनकर बरस रही है। चारों ओर पानी, मलबा, टूटे रास्ते और टूटी उम्मीदें... और इस भीषण त्रासदी का सबसे बड़ा शिकार बना है मंडी जिला, जहां मानो ज़िंदगी थम सी गई है।
भूस्खलन, अचानक आई बाढ़ और जगह-जगह टूटी सड़कें अब आम नज़ारा बन चुकी हैं। शनिवार शाम तक, पूरे राज्य में 260 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी थीं—जिनमें मंडी की अकेले 176 सड़कें शामिल हैं। ये आंकड़े सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों की मुश्किलों और बेबसी की दास्तां हैं।
31 लोग लापता, उम्मीदें अब भी जिंदा हैं
मंडी के उपायुक्त अपूर्व देवगन ने हालात की गंभीरता को समझाते हुए कहा, “थुनाग की मुख्य सड़क अब खोल दी गई है, जो थोड़ी राहत की बात है। आवश्यक वस्तुएं लेकर कुछ ट्रक मुश्किल से पहुंचे हैं और जहां ट्रक नहीं पहुंच सके, वहां खच्चरों के सहारे राशन और जरूरी सामान पहुंचाया जा रहा है। लेकिन दर्दनाक बात यह है कि अब भी 31 लोग लापता हैं, जिनका अब तक कोई पता नहीं चला है।"
लगभग 250 राहतकर्मी SDRF और NDRF से जुड़े हुए हैं और दिन-रात लोगों की तलाश में लगे हैं, लेकिन ऊबड़-खाबड़ और खतरनाक इलाका राहत कार्य में लगातार बाधा बन रहा है।
मौसम ने दिखाई और सख्ती, रेड अलर्ट से बढ़ी दहशत
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि खतरा अभी टला नहीं है। रविवार के लिए मंडी, कांगड़ा और सिरमौर में रेड अलर्ट जारी किया गया है। इसका साफ मतलब है कि इन जिलों में अगले 24 घंटे बेहद भारी से अत्यधिक भारी बारिश होने की आशंका है।
पांच जिलों में फ्लैश फ्लड का खतरा मंडराया
चंबा, कांगड़ा, मंडी, शिमला और सिरमौर में अचानक बाढ़ की चेतावनी है, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
वहीं, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, सोलन, शिमला और कुल्लू के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जहां शनिवार, सोमवार और मंगलवार को भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।
जोगिंदरनगर में 52 मिमी बारिश, नाहन और पालमपुर में 28.8 मिमी रिकॉर्ड की गई है। और ऊना, पांवटा साहिब, बर्थिन, कांगड़ा जैसे कई इलाके पहले से ही लगातार बारिश से जूझ रहे हैं।
हर बूंद में डर है... हर बादल में आशंका
20 जून को मॉनसून की दस्तक के बाद से अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 45 मौतें सीधे तौर पर बारिश से जुड़ी घटनाओं जैसे भूस्खलन, बादल फटना और बाढ़ से हुई हैं।
मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है। अकेले मंगलवार को 10 बड़ी घटनाएं सामने आईं, जिनमें 14 लोगों की जान चली गई। कई गांवों में तो लोग अब भी मलबे में अपनों की तलाश कर रहे हैं।
₹700 करोड़ तक पहुंच सकता है नुकसान
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र के अनुसार, अब तक हिमाचल को ₹541 करोड़ का नुकसान हुआ है। लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आशंका जताई है कि यह आंकड़ा ₹700 करोड़ तक जा सकता है, क्योंकि कई जिलों से नुकसान की रिपोर्ट अब भी आ रही है।
300 ट्रांसफार्मर और 281 पेयजल योजनाएं भी ठप हो चुकी हैं। न बिजली है, न साफ पानी... और इस सबके बीच लोगों को जीने की जद्दोजहद जारी है।
लोगों से अपील: नदियों, ढलानों और जर्जर इमारतों से रहें दूर
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि नदी-नालों, खिसकती ज़मीन और कमजोर इमारतों से दूर रहें। मौसम विभाग ने दोहराया है कि यदि बारिश इसी तरह जारी रही तो भूस्खलन, बाढ़ और मकानों व फसलों को भारी नुकसान हो सकता है।
"पिछले साल भी मारे गए थे 550 लोग, अब फिर डर का साया..."
पिछले साल की ही तरह, जब मॉनसून ने 550 से ज्यादा जिंदगियां लील ली थीं, इस साल भी बारिश कब थमेगी, कोई नहीं जानता। गांवों में लोग परेशान होकर बस यही सवाल पूछते फिर रहे हैं—
"आखिर ये सब कब रुकेगा? आगे क्या होगा?"
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