भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस वक्त अपने भविष्य की दिशा तय करने के लिए एक अहम मोड़ पर खड़ी है। पार्टी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति की तैयारी में जुटी है और देशभर के कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदले जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में इसका ऐलान अब भी बाकी है। इन तमाम हलचलों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तरफ से एक अहम संकेत आया है, जिसने भाजपा के भीतर चर्चा का माहौल और भी गर्म कर दिया है।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी भले ही सत्ता में लौट आई हो, लेकिन वह पहले जैसी मजबूत बहुमत वाली स्थिति में नहीं है। गठबंधन सरकार के दौर में जब राजनीतिक समीकरण बदले हैं, तो आरएसएस की सक्रियता और दखल भी ज्यादा मुखर हो गया है। अब यह सिर्फ संगठन की बात नहीं रही, बल्कि भावी नेतृत्व के चरित्र और दिशा की बात है।
भागवत के इशारे में छिपा बड़ा संदेश
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि RSS प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान को भाजपा के लिए एक सीधा संदेश माना जा रहा है। भागवत ने सत्ता के गलियारों में पनपते अहंकार और संवादहीनता पर चिंता जताई, जिसे राजनीतिक जानकार BJP नेतृत्व की कार्यशैली पर तंज के रूप में देख रहे हैं। यह संकेत है कि संघ चाहता है अब नेतृत्व कुछ अलग हो—थोड़ा ज़मीन से जुड़ा, थोड़ा ज्यादा सुनने वाला और पूरी तरह विचारशील।
संघ का विज़न: ऐसा हो अगला अध्यक्ष
जवां दिल, परिपक्व सोच: RSS की प्राथमिकता है एक ऐसा अध्यक्ष जो युवा ऊर्जा से भरा हो, पर उसकी सोच में संगठन की परंपरा और मूल्यों की गहराई हो। वह केवल जीत के लिए योजनाएं बनाने वाला रणनीतिकार न हो, बल्कि विचारों से दिशा देने वाला मार्गदर्शक भी हो।
शाखा से निकला सच्चा कर्मयोगी: संघ एक ऐसा नेता चाहता है जिसने शाखा में पसीना बहाया हो, कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझा हो और जमीनी हकीकत से रूबरू रहा हो।
टेक्नोक्रेट नहीं, तपस्वी नेतृत्व: आरएसएस को चिंता है कि भाजपा में बाहरी चेहरों और अवसरवादियों की तादाद बढ़ रही है। इसलिए अगला अध्यक्ष वो हो जो राजनीतिक तपस्या से निखरा हो, न कि पावर पॉइंट प्रजेंटेशन से।
स्पष्ट वैचारिक दृष्टि: समान नागरिक संहिता (UCC), जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा सुधार और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर अगला अध्यक्ष दो टूक राय रखने वाला हो, जो जनता से जुड़कर बात कर सके और सच्चे अर्थों में संगठन का चेहरा बन सके।
पार्टी में बदलाव की तेज़ी: 28 प्रदेश अध्यक्ष बदले गए
BJP ने अब तक 36 में से 28 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात जैसे अहम राज्यों में अब भी नाम तय होना बाकी है। यह सांगठनिक फेरबदल राष्ट्रीय नेतृत्व के बदलाव की ओर एक मजबूत संकेत माना जा रहा है।
भागवत का 75 पार नेताओं पर संकेत – बदलाव की दस्तक?
RSS या BJP में 75 साल की उम्र के बाद रिटायरमेंट को लेकर कोई लिखित नीति नहीं है, लेकिन मोहन भागवत का यह कहना कि उम्रदराज नेताओं के उत्तराधिकार की चर्चा शुरू होनी चाहिए—इसने कई वरिष्ठ नेताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
क्या बीजेपी जल्द ही अपने नेतृत्व में कोई बड़ा बदलाव करेगी? यह आने वाले दिनों में साफ होगा, लेकिन इतना तय है कि संघ अब कोई चूक नहीं चाहता—वो ऐसा चेहरा चाहता है जो जमीनी हो, सरल हो और भाजपा की आत्मा से जुड़ा हो।
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