नई दिल्ली, 29 मई . पाकिस्तान अपनी डूबी हुई अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भारत की नकल करने की कोशिश कर रहा है और कैशलेस इकॉनमी की तरफ जाने की योजना बना रहा है.
पाकिस्तानी मीडिया डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, प्री-बजट चर्चा के तहत पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने डिजिटलीकरण के माध्यम से कर का बोझ वेतनभोगी वर्ग और संगठित से हटाकर अन्य पर डालने का वादा किया है. साथ ही कैशलेस इकॉनमी और बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है.
पाकिस्तान में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट 2 जून को पेश किया जा सकता है. इस वजह से पड़ोसी देश में उद्योगों और पक्षकारों के साथ प्री-बजट चर्चा का दौर चल रहा है.
रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तानी सरकार असंगठित क्षेत्र में डिजिटाइजेशन को बढ़ाना चाहती है. इसके लिए वह कैश लेनदेन पर टैक्स और डिजिटल पेमेंट पर भारत की तरह इंसेंटिव देने के साथ कुछ सेक्टरों में कैश भुगतान को ब्लॉक करने के प्रस्तावों पर काम कर रही है. इनमें से कुछ को अंतिम रूप दे दिया गया है.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की स्थिति लगातार खराब बनी हुई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1950 से लेकर अब तक पाकिस्तान कम से कम 25 बार अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से लोन ले चुका है.
अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से वह फिर लोन की गुहार लगा रहा है.
मई 2025 में आईएमएफ ने एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) के तहत पड़ोसी देश को एक अरब डॉलर का लोन दिया था.
पाकिस्तान का बाहरी कर्ज 133 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है, जो कि उसकी अर्थव्यवस्था का एक तिहाई है और सरकार की आय का 43 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा ब्याज भुगतान में जा रहा है.
दूसरी तरफ 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ भारत पाकिस्तान से मीलों आगे है.
भारत में डिजिटल इकोसिस्टम पूरी तरह से विकसित हो चुका है. अकेले यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए होने वाले लेनदेन की संख्या अप्रैल में सालाना आधार पर 34 प्रतिशत बढ़कर 17.89 अरब पर पहुंच गई है और इन लेनदेन की वैल्यू 23.95 लाख करोड़ रुपए थी.
यूपीआई से भारत ही नहीं बल्कि भूटान, मलेशिया, यूएई, सिंगापुर, ओमान, कतर, रूस, फ्रांस, श्रीलंका और मॉरीशस में भी भुगतान किया जा सकता है.
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एबीएस/एबीएम
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