Mumbai , 10 अक्टूबर . केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने बिहार के गयाजी जिले में स्थित महाबोधि महाविहार के प्रबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है.
उन्होंने कहा कि बोधगया का महाबोधि मंदिर वह पवित्र स्थल है, जहां सिद्धार्थ गौतम बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था. यह मंदिर बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, लेकिन इसका प्रबंधन वर्तमान में बिहार Government के महाबोधि मंदिर अधिनियम 1949 के तहत एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है. इस ट्रस्ट में आठ सदस्य होते हैं, जिनमें चार बौद्ध और चार हिंदू होते हैं, और स्थानीय कलेक्टर भी शामिल होता है.
आठवले ने मांग की है कि मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए, क्योंकि अन्य धार्मिक संस्थानों में भी केवल संबंधित समुदाय के लोग ही प्रबंधन करते हैं.
उन्होंने कहा, “हमारी मांग है कि ट्रस्ट का चेयरमैन और सभी सदस्य बौद्ध हों. इसके लिए हम 14 अक्टूबर को बोधगया में रैली निकालेंगे.”
इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने भी समर्थन जताया. उन्होंने कहा कि वह महाबोधि महाविहार मुक्ति संघर्ष समिति की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुईं, जिसमें केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे.
वर्षा गायकवाड़ ने कहा, “महाबोधि मंदिर वह स्थान है, जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. 1949 के महाबोधि मंदिर अधिनियम को निरस्त कर मंदिर का प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपा जाना चाहिए, जैसे अन्य धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन उनके समुदायों द्वारा किया जाता है.”
वहीं, Haryana के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में केंद्रीय राज्यमंत्री ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने कहा, “मुझे इस मामले की जानकारी है. जो हुआ, वह ठीक नहीं है. किसी वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें अपमानित करने की कोशिश की, जिसके कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली. इसकी पूरी जांच होनी चाहिए. मैं Haryana के Chief Minister के संपर्क में हूं. Government का इससे कोई संबंध नहीं है. राहुल गांधी का इसे Political मुद्दा बनाना ठीक नहीं है.”
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एकेएस/एबीएम
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