क्वेटा, 19 अक्टूबर . Pakistan स्थित बलूचिस्तान के विभिन्न हिस्सों से Pakistanी सुरक्षा बलों ने आठ नागरिकों को जबरन गायब कर दिया है. ये खुलासा स्थानीय मीडिया की एक रिपोर्ट करती है.
ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजगुर, मस्तुंग और खरान में कई युवाओं को हिरासत में लिया गया है और अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया है. बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, Pakistanी सेना ने Sunday तड़के लगभग 1:45 बजे खरान के किल्ली हसनाबाद इलाके के मसकन कलात में उनके घर पर छापा मारकर चार युवकों को हिरासत में लिया.
हिरासत में लिए गए लोगों में से एक की पहचान बीएनपी सदस्य नजीब हसनाबादी के छोटे भाई जहांगीर के रूप में हुई है. गौरतलब है कि 2013 में एक अभियान के दौरान इसी घर के दो भाइयों को हिरासत में लिया गया था.
इनमें से, नजीब को सात महीने बाद और बाबू हसन को छह साल बाद जेल से रिहा किया गया था.
हिरासत में लिए गए दूसरे व्यक्ति की पहचान 2013 में लापता हुए महमूद शाह के भाई अहमद शाह के तौर पर हुई है. तीसरा लापता व्यक्ति काली टांप का निवासी है. लापता व्यक्ति, बौल खान, को भी इसी अभियान के दौरान हिरासत में लिया गया था.
18 अक्टूबर की रात, फ्रंटियर कॉर्प्स (एफसी) के जवानों ने मस्तुंग के काली करक इलाके में लगभग 2 बजे घरों पर छापा मारा और तीन बलूच युवकों को हिरासत में लेकर उन्हें गायब कर दिया.
लापता युवकों की पहचान किल्ली करक निवासी लियाकत और अकील और परंगाबाद निवासी इरफान के रूप में हुई है. परिवारों ने बताया है कि हिरासत में लिए जाने के बाद से दोनों युवकों का कोई पता नहीं चला है. इसी तरह की एक घटना में, हमीद को हिरासत में लेकर किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया था.
Saturday को, मानवाधिकार संगठन बलूच यकजेहती कमेटी (बीवाईसी) ने बलूचिस्तान में Pakistanी अधिकारियों द्वारा जबरन गायब किए जाने, न्यायेतर हत्याओं और यातनाओं में वृद्धि पर प्रकाश डाला.
बीवाईसी ने कहा कि बलूच नागरिकों के खिलाफ मानवाधिकारों का उल्लंघन तेज हो गया है क्योंकि Pakistan ने बल और कानूनी उपायों का इस्तेमाल करके अपना नियंत्रण कड़ा कर दिया है.
‘बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में, मानवाधिकार संस्था ने जुलाई और अगस्त के बीच Pakistanी अधिकारियों द्वारा किए गए व्यापक उल्लंघनों का विवरण दिया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “जबरन गुमशुदगी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है और 182 लोग लापता हुए हैं, जिनमें से 80 जुलाई में और 102 अगस्त में हुए. इनमें से 38 को रिहा कर दिया गया है. एक व्यक्ति हिरासत में मारा गया और 142 अभी भी लापता हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है. पीड़ितों में 40 छात्र, 15 नाबालिग और एक महिला शामिल हैं.”
रिपोर्ट्स के निष्कर्षों की मानें तो क्वेटा, केच और अवारन सहित बलूचिस्तान के कई जिलों में जबरन गुमशुदगी के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जिनमें Pakistan की फ्रंटियर कोर कथित तौर पर मुख्य अपराधी है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “न्यायिक हत्याएं धड़ल्ले से जारी हैं. जुलाई और अगस्त के दौरान 29 लोग मारे गए. इनमें से ज्यादातर मामले टारगेट किलिंग, हिरासत में हत्याओं और हत्या करके फेंक देने के थे. केच, अवारन और खुजदार जिलों में क्रमशः सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए.”
रिपोर्ट में बताया गया है कि दर्ज उल्लंघनों में से 59 प्रतिशत Pakistan समर्थित मौत दस्तों द्वारा और 21 प्रतिशत सशस्त्र बलों द्वारा किए गए, जबकि नाबालिगों को भी निशाना बनाया गया, जिसमें दो बच्चों की नागरिक आबादी पर दागे गए मोर्टार के गोले से मौत हो गई.
बीवाईसी ने कहा, “पीड़ितों के साथ अत्याचार, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार दर्ज किया गया क्योंकि बलूच युवाओं के कई शव क्षत-विक्षत हालत में सड़क किनारे फेंके हुए पाए गए. ये लोग जबरन गायब किए गए थे और उन्हें भारी यातना का सामना करना पड़ा, जो उनके शरीर पर साफ दिखाई दे रहा था. केच और अवारन में सबसे ज्यादा प्रताड़ित और क्षत-विक्षत शव दर्ज किए गए.”
इसमें आगे कहा गया है, “बलूचिस्तान में सामूहिक दंड का प्रचलन है, जहां राज्य के अधिकारी Political कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के परिवारों को निशाना बनाते हैं. गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ प्रतिरोध को कुचलने के लिए बल और कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा, नागरिक आबादी पर बमबारी के मामले भी सामने आ रहे हैं.”
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केआर/
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