नई दिल्ली, 1 जुलाई . विश्व के नाथ का प्रिय माह सावन 11 जुलाई से शुरू होने वाला है. भगवान के दर्शन-पूजन की तैयारी जोरों पर हैं. शिवालय में बम भोले की गूंज सुनाई देगी. शिवलिंग की भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा-अर्चना करेंगे. अमूमन मंदिरों में पत्थर या धातु के शिवलिंग पूजे जाते हैं. हालांकि, कम ही लोग जानते हैं कि धातु या पत्थर ही नहीं, ‘पीपल की लकड़ी’, आंवला, मिश्री, सोंठ, मिर्च और फूलों से बने शिवलिंग की भी पूजा होती है.
हिंदू धर्म में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है. कई सामग्रियों से निर्मित शिवलिंग के विषय में जानकारी धार्मिक ग्रंथों जैसे शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण में मिलती है. प्रत्येक सामग्री से बने शिवलिंग का विशिष्ट फल भी है, जो भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है.
शिव पुराण में पारद (पारा) से बने शिवलिंग का अभिषेक सर्वोत्तम माना गया है, जो सभी सिद्धियों और मोक्ष का दाता है. शिवलिंग की पूजा से न केवल आध्यात्मिक, बल्कि भौतिक सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है.
धर्म ग्रंथों में शिव लिंग के 20 प्रकार एवं महत्त्व का वर्णन मिलता है. शिव पुराण के अनुसार, दही से बने शिवलिंग की पूजा से समस्त सुख और धन की प्राप्ति होती है. वहीं, गुड़ से निर्मित शिवलिंग में अन्न चिपकाकर पूजन करने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है, जो खेती-किसानी से जुड़े भक्तों के लिए विशेष लाभकारी है.
लिंग पुराण में उल्लेख है कि आंवले से बने शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कपूर से निर्मित शिवलिंग की पूजा आध्यात्मिक उन्नति और मुक्ति प्रदान करती है, जो साधकों के लिए महत्वपूर्ण है. स्फटिक के शिवलिंग की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जैसा कि शिव पुराण में वर्णित है. वहीं, स्वर्ण और चांदी से बने शिवलिंग के पूजन सुख-समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि करते हैं. ये पूजा विधान विशेष रूप से गृहस्थ जीवन में समृद्धि लाते हैं.
मिश्री, सोंठ, मिर्च, फूलों से बने शिव लिंग, जौ, गेहूं, चावल, फल, यज्ञ की भस्म, बांस के अंकुर को शिवलिंग के समान काटकर पूजा करने से वंश वृद्धि होती है. दही, गुड़, आंवला, कपूर, दुर्वा, स्फटिक, मोती, स्वर्ण निर्मित शिवलिंग, चांदी के बने शिवलिंग, पीपल की लकड़ी से बना शिवलिंग, लहसुनिया से बना शिवलिंग, बिबर की मिट्टी के बने शिवलिंग, पारद शिवलिंग का अभिषेक सर्वोत्कृष्ट माना गया है.
दुर्वा से बने शिवलिंग की पूजा अकाल मृत्यु के भय को दूर करती है. पीपल की लकड़ी से निर्मित शिवलिंग दरिद्रता का निवारण करता है, जबकि लहसुनिया से बना शिवलिंग शत्रुओं पर विजय दिलाता है. बिबर की मिट्टी से बने शिवलिंग का पूजन विषैले प्राणियों से रक्षा करता है. मिश्री से बना शिवलिंग रोग नाशक और सुखदायक है, जबकि फूलों से निर्मित शिवलिंग भूमि-भवन की प्राप्ति कराता है.
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एमटी/एबीएम
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