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स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने की मांग, 'यासीन मलिक के कबूलनामे के बाद होनी चाहिए सख्त कार्रवाई'

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जम्मू, 19 सितंबर . जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के आतंकवादी यासीन मलिक ने एक चौंकाने वाला दावा कर भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है. यासीन मलिक ने कहा कि 2006 में पूर्व Prime Minister डॉ. मनमोहन सिंह ने Pakistan में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और 26/11 Mumbai हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से मुलाकात के बाद उन्हें (यासीन मलिक) व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद और आभार व्यक्त किया था.

यासीन मलिक के इस दावे पर भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

निर्मल ने कहा, “मैंने खुद यासीन मलिक का यह बयान सुना है कि वह 2006 में Pakistan गया था और हाफिज सईद से मिला. इसके बाद वह पूर्व Prime Minister मनमोहन सिंह से मिला, जिन्होंने उसे धन्यवाद दिया. इस मुलाकात की सच्चाई तो डॉ. साहब ही जानते हैं कि आखिर क्या चर्चा हुई थी. अब इससे बड़ा और क्या सबूत चाहिए हमारी Government को? यासीन मलिक हाफिज सईद से मिलने गया था. अब तो यह काम एजेंसियों का है कि उससे पूछताछ करें. वैसे भी यासीन मलिक पर टेरर फंडिंग का मामला चल रहा है. अगर Government चाहे तो सब कुछ सामने आ सकता है.

निर्मल खन्ना ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “मेरे सामने धन्यवाद नहीं कहा गया, लेकिन पीएम हाउस में मीटिंग के दौरान यह जरूर हुआ था. बदकिस्मती यह रही कि डॉ. मनमोहन सिंह कांग्रेस शासनकाल में सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इशारों पर काम करते थे. क्या वे उनसे कम पढ़े-लिखे थे? फिर भी वे अपने फैसले खुद नहीं ले पाए. यह बात हमेशा उनके साथ जुड़ी रहेगी.”

उन्होंने आगे कहा कि अगर यासीन मलिक ने खुद कबूल किया है तो Government को और क्या सबूत चाहिए? उसने यह भी स्वीकार किया है कि 26/11 और अन्य आतंकी हमलों के पीछे हाफिज सईद था. आज भी आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है. हाल ही में पहलगाम की घटना सबके सामने है. यह बदकिस्मती रही कि उस समय कांग्रेस Government थी. अगर उस समय कांग्रेस ने कड़े निर्णय लिए होते तो आज हालात इतने गंभीर नहीं होते. आज भी मारधाड़ जारी है. समझ नहीं आता कि यासीन मलिक को अब तक क्यों बचाकर रखा जा रहा है?

उन्होंने अपनी निजी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि वह अपने पति की शहादत के बाद से टूटी हुई हैं, लेकिन फिर भी इंसाफ की उम्मीद में जी रही हैं.

निर्मल खन्ना ने कहा कि मैं खुद अपने शरीर को ढांचे जैसा महसूस करती हूं और फिर भी उम्मीद पर टिकी हूं कि मुझे इंसाफ मिलेगा. मैं अपना दुख पहले भी बता चुकी हूं. समझ नहीं आता कि Governmentों को आखिर कब समझ आएगी. लेकिन मुझे सर्वोच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है. मैं उम्मीद लगाए बैठी हूं कि मेरे जीते-जी मुझे इंसाफ जरूर मिलेगा और मेरे कानों में यह आवाज सुनाई देगी कि मुझे इंसाफ मिल गया. मैं सुनना चाहती हूं कि जो मैंने चाहा वो हासिल हुआ है.

उन्होंने आगे कहा कि सतीश सरीन जो कांग्रेस के चाटुकार थे, बाद में उन्हें चीफ ऑफ स्टाफ के पद पर पदोन्नत किया गया. यह दर्दनाक और शर्मनाक है, क्योंकि यह वही देश है जिसके लिए इतने सारे महान योद्धाओं ने बलिदान दिया है. है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे सुरक्षा बलों और वायुसेना ने जो साहस दिखाया है, वह सराहनीय है. मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं. Pakistan के मददगार देश भी अब एक्सपोज हो चुके हैं और उन्हें भी समझ आ गया है कि India से टकराना आसान नहीं है.

निर्मल खन्ना ने Prime Minister Narendra Modi से निवेदन किया कि अब कड़ा फैसला लिया जाए. उन्होंने कहा कि Prime Minister मोदी कहते हैं कि कोई छेड़ेगा तो हम छोड़ेंगे नहीं और होना भी ऐसा ही चाहिए. इस घटना को बीस साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन इन बीस सालों में सिर्फ़ Governmentें बदली हैं. हां, मौजूदा समय में कुछ कदम उठाए गए हैं. पहले India जहां था, आज उससे कहीं ऊंचे शिखर पर खड़ा है. मैं Prime Minister Narendra Modi से निवेदन करती हूं कि अगर आपने अब कड़ा फैसला नहीं लिया, तो आगे कोई भी नहीं ले पाएगा. बहुत देर हो चुकी है और अब तुरंत निर्णय लिया जाना चाहिए.

निर्मल खन्ना ने पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती पर भी सवाल उठाए. उन्होंने पूछा कि महबूबा मुफ्ती को आज भी यासीन मलिक के प्रति कौन-सा मोह है? क्या वे 35 साल पुराना जीनोसाइड भूल चुकी हैं? महबूबा मुफ्ती अब भी चाहती हैं कि यासीन मलिक के प्रति नरमी दिखाई जाए. मैं कठोर शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहती लेकिन सच्चाई यही है कि मैं महबूबा मुफ्ती के घर के पास Governmentी आवास में रहती थी, जब मेरे पति की शहादत हुई. उन्हीं के घर से उनकी बहन का अपहरण करवाया गया था और उस समय दुर्भाग्य से उनके पिताजी गृह मंत्री थे.

उन्होंने आगे कहा कि मुझे लेकर उनके मन में एक बार भी नहीं आया कि इस महिला के साथ जो कुछ हुआ है, उसके परिवार से मिलकर सहानुभूति जताएं. ऐसा नहीं हुआ. उस वक्त मानवीय दृष्टिकोण कहां गया था? अगर वे खुद को हमारी जगह रखकर देखते, तो क्या वे ऐसा कुछ करते? महबूबा मुफ्ती को अब इंसानियत का पाठ पढ़कर ऊपर वाले से माफी मांगनी चाहिए. उन्हें यह एहसास नहीं हुआ कि अब तक आंतकियों को अपनी कब्रों में शांति से सो जाना चाहिए था. उन्होंने केवल अपनी कम्युनिटी की सेवा की है, देश की नहीं. अगर उन्होंने देश की सेवा की होती तो उनके मुंह से ऐसे शब्द कभी न निकलते.

एकेएस/डीएससी

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