New Delhi, 29 सितंबर . नामीबिया का इटोशा अभयारण्य आग से धधक रहा है. 7 दिनों से लगी आग विकराल रूप ले चुकी है और पार्क के 30 फीसदी से ज्यादा के हिस्से को खाक कर चुकी है. लगातार बढ़ रही आग से निपटने के लिए देश की Government ने सेना को तैनात कर दिया है.
ये वो क्षेत्र हैं जहां 114 स्तनपायी प्रजातियां रहती हैं, जिनमें लुप्तप्राय काले गैंडे भी शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि नामीबिया ने अफ्रीका के सबसे बड़े शिकार अभयारण्यों में से एक, विशाल इटोशा राष्ट्रीय उद्यान के एक-तिहाई हिस्से में लगी आग को बुझाने के लिए सैकड़ों सैनिकों को तैनात करना शुरू कर दिया है.
पर्यावरण, वानिकी और पर्यटन मंत्रालय ने Sunday को घोषणा की कि जंगल की आग ने इटोशा राष्ट्रीय उद्यान के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे व्यापक क्षति हुई है और वन्यजीवों की भी भारी क्षति हुई है.
पर्यावरण मंत्रालय ने बताया कि आग 22 सितंबर से जल रही थी और इससे व्यापक पारिस्थितिक क्षति हुई है, और उद्यान का लगभग 34 फीसदी हिस्सा जलकर खाक हो चुका है.
एक बयान में, मंत्रालय ने कहा कि 22 सितंबर को दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में लगी आग के बाद से लगभग 775,163 हेक्टेयर, यानी पार्क का लगभग 34 प्रतिशत, जलकर खाक हो गया है, जबकि ओमुसाती और ओशाना क्षेत्रों में पार्क के बाहर 171,098 हेक्टेयर चरागाह और सामुदायिक क्षेत्र प्रभावित हुए हैं.
मंत्रालय ने कहा कि आग प्रभावित क्षेत्रों में नौ मृगों के शव मिले हैं, जबकि एक पैंगोलिन को बचाया गया है. साथ ही, चेतावनी दी कि आकलन जारी रहने तक तादाद और बढ़ सकती है. बोले, “इटोशा राष्ट्रीय उद्यान और आसपास के क्षेत्रों में जंगल की आग का संकट नामीबिया की जैव विविधता, स्थानीय आजीविका और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए एक बड़ा खतरा है.”
मंत्रालय ने बताया कि अधिकारियों ने अग्निशमन प्रयासों को तेज कर दिया है, अतिरिक्त 40 सैनिकों, एक पानी के टैंकर और दो हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है, और अधिक सैन्य कर्मियों के अभियान में शामिल होने की उम्मीद है.
Saturday को एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक के बाद, Government ने Sunday से 500 अतिरिक्त सैनिकों को घटनास्थल पर सैनिकों, Police, स्थानीय लोगों और अन्य अग्निशामकों की सहायता के लिए तैनात किया. Prime Minister एलिजा नगुरारे के कार्यालय ने फेसबुक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी थी.
स्थानीय मीडिया आउटलेट्स के अनुसार अधिकारी अब पार्क के संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र को हुए नुकसान और इसके कुल पशु हताहतों की संख्या का आकलन करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
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केआर/
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